Thursday 16 January 2025 02:24 PM IST : By Ruby Mohanty

ओडिशा में हैं घूमने की ऐसी जगहें जहां से वापस आने का दिल नहीं करता

pics-7

यही वह मौसम है, जब हम हिलोरे लेती सागर की लहरों के साथ मस्ती कर सकते हैं। मुलायम नमकीन हवाओं में कुछ वक्त बिता सकते हैं। जी हां, यह मौसम सागर किनारे सैर सपाटा करने के लिए बढि़या माना जाता है। दिसंबर से मार्च के मध्य तक यानी होली से पहले सी बीचेज घूमने लायक होते हैं। उसके बाद जैसे-जैसे गरमी बढ़ती है, सागर के किनारे रेत गरम होने लगती है और उमस की वजह से घूमना मुश्किल हो जाता है। पर सवाल यह है कि कौन से सी-बीच जाएं?

pics-8

चलिए, इस बार उड़ीसा के गोपालपुर बीच चलते हैं, जो ना सिर्फ शांंत और साफ सुथरे हैं बल्कि सी फूड के शौकीन लोग भी यहां खाने-पीने का पूरा आनंद ले सकते हैं।

pic-6

वैसे उड़ीसा के इन समुद्र तटों में घूमने के लिए कम से कम 3 रात और 4 दिन चाहिए हैं। गोपालपुर के पास चिलका झील भी है जहां एक बार ताे जाना बनता है। यह झील एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है जिसका क्षेत्रफल 1100 वर्ग कि.मी से अधिक है। यह झील फ्लेमिंगो पक्षियों और समुद्री जीव की कई प्रजातियों का घर है। इसमें प्यारी-प्यारी डॉल्फिन भी हैं।

कैसे पहुंचें 

pic-3

आप अपने क्षेत्र से भुवनेश्वर तक ट्रेन या हवाई यात्रा कर सकते हैं। भुवनेश्वर से चिलका लेक जाने के लिए बालू गांव तक ट्रेन से आ सकते हैं या फिर रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट से टैक्सी शुरू कर सकते हैं। चिलका झील बालू गांव के खोरदा डिस्ट्रिक्ट में आती है। यह भुवनेश्वर से 103 किलोमीटर की दूरी पर है और चिलका झील से गोपालपुर 68 किलोमीटर की दूरी पर है। गोपालपुर जाने के लिए यदि ट्रेन लेते हैं तो सीधे ब्रह्मपुर या भुवनेश्वर से बदल कर ब्रह्मपुर जा सकते हैं। ब्रह्मपुर से गोपालपुर मात्र 12 कि.मी है।

कहां घूमें 

pic-5

मां उग्र तारा देवी शक्ति पीठ मंदिर है। यहां दर्शन करते हुए चिलका जा सकते हैं। इस मंदिर में मछली का भोग लगता है। यहां ओडिशा के लोकल लोग ही नहीं बल्कि भारत के अन्य क्षेत्रों से भी लोग दर्शन के लिए आते हैं। दर्शन के बाद आप चिलका लेक जा सकते हैं। झील के बीच में प्रसिद्ध कालीजाई मंदिर है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। लोग मंदिर मन्नत मांगने और उसके पूरा होने पर फिर से दर्शन के लिए आते हैं। पहले यहां बकरे की बलि दी जाती थी, लेकिन अब मुर्गे की बलि दी जाती है। मंदिर पहुंचने के लिए लेक के किनारे से फेरी और स्टीमर बोट चलती हैं। स्टीमर में चढ़ने से पहले आप मछलियों और पक्षियों को खिलाने के लिए दाना ले सकते हैं। काफी संख्या में वहां स्टीमर बोट चलते हैं। टिकट काउंटर से टिकट लिया जाता है।

pic-2

स्टीमर बोट आपको आधे घंटे के अंदर मंदिर तक पहुंचा देती है और 1-2 घंटे वहां दर्शन के लिए रोकती है। उसके बाद वही स्टीमर बोट वापस ले कर आती है। मंदिर के प्रांगण में प्रसाद, चूडि़यों और मालाओं की छोटी-मोटी दुकाने भी हैं। खाजा, लड्डू, चाट-पकौड़ी और आइसक्रीम के खोमचे भी हैं। चिलका झील का आकर्षण हैं यहां के फ्लेमिंगो पक्षी जो आपकी स्टीमर बोट के साथ- साथ उड़ते हैं और जैसे ही आप दाना डालते हैं, ये अपना-अपना हिस्सा का ले कर उड़ जाते हैं।

pic-1

इस प्रसिद्ध् और विशाल झील की लहरों में बोट चलने की आवाज और पक्षियों का कलरव आपके मन काे मोह लेगा, चिलका के किनारे होटल में आप एक दिन ठहर सकते हैं यहां उड़ीसा टूरिज्म के अलावा अनेक स्तरीय होटल और रिजॉर्ट हैं। उसके बाद आप गोपालपुर की ओर टैक्सी से रवाना हो सकते हैं। गोपालपुर गंजम डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत आता है। चिलका लेक और गोपालपुर बीच में ऋषिकुलिया नदी मिलेगी, जिसके किनारे अगस्त्यमुनि का आश्रम है। यहां रास्ते में आपको गोपालपुर पोर्ट भी दिखेगा। यह भी यहां का आकर्षण है। गोपालपुर में आप 2-3 दिन आराम से गुजार सकते हैं।

क्या खाएं

चिलका लेक के मंदिर से लौट कर आप लेक के किनारे छोटी-छोटी दुकानें देख सकते हैं। यहां बेर, कमरख, चिनिया केलों का लुत्फ ले सकते हैं। चिलका लेक प्रॉन्स के लिए काफी फेमस है। अगर आप प्रॉन्स खाने के शौकीन हैं तो उसका लुत्फ ले सकते हैं। छोटे होटल और पांथा निवास का रेस्तरां प्रॉन्स के लिए बेस्ट है। गोपालपुर में सी फूड प्रेमी यहां क्रैब, प्रॉन्स, सी फिश ट्राई कर सकते हैं। बीच के किनारे-किनारे नारियल पानी और झालमूड़ी, मैगी के खोमचेवाले अपने पास प्लास्टिक की चेअर रखते हैं। आप सागर के किनारे बैठ कर नारियल पानी पी सकते हैं और झालमूड़ी ट्राई कर सकते हैं।

क्या शॉपिंग करें 

गोपालपुर में आप सागर के किनारे शंख और शंख सीपी से बनी चीजें खरीद सकते हैं। चूडि़यां, झुमके, नेकपीस के अलावा आप तोरण, फ्रिज मैगनेट, खिलौने और गिफ्ट आइटम भी खरीद सकते हैं।

और भी जगहें 

pic-4

गोपालपुर से 34 किलोमीटर दूर तांपारा फ्रेश वॉटर लेक भी देखने लायक है। यहां मंदिर और पिकनिक स्पॉट भी है। मां तारातारिनी मंदिर गोपालपुर से 38 किलोमीटर की दूरी पर है।