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बारिश के मौसम में दिल्ली समेत पूरा उत्तर भारत वायरल बुखार की मार झेल रहा है। डॉक्टरों के क्लीनिक बुखार के मरीजों से भरे पड़े हैं। लेकिन मुसीबत अभी और बढ़ने वाली है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक बारिश के बाद मच्छरों से होने वाली बीमारियां और तेजी से फैलती हैं। इसलिए मच्छरदानी और मच्छर भगाने के दूसरे सामान के साथ-साथ बचाव के बारे में जरुर जानें।

वायरल बुखार वातावरण में ज्यादा नमी और बार बार तापमान बदलने की वजह से वायरस को पनपने का मौका मिलता है और वायरल बुखार का हमला होता है। ये बुखार अस्थमा यानी दमा और सांस की बीमारियों के मरीज को जल्दी जकड़ता है। ऐसे लोग जिनका श्वसन तंत्र कमजोर है उन्हें निमोनिया का बुखार भी हो सकता है।

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इसके अलावा, पेट खराब हुआ है तो गैस्ट्राइटिस यानी पाचन तंत्र खराब होने से भी बुखार हो सकता है – ऐसे मे पीला पेशाब, दस्त या कब्ज और उल्टी की शिकायत हो सकती है। ऐसे में जल्द इलाज कराना चाहिए – क्योंकि पेट की खराबी गंभीर इंफेक्शन में बदल सकती है। ये वायरस नहीं, बल्कि बैक्टीरिया के हमले की वजह से होता है।

वायरल बुखार है या कुछ और – ऐसे पहचानें

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वायरल के लक्षण हैं कि आमतौर पर ठंड लगने की वजह से बुखार आता है – तेज बुखार आता है और सर्दी जुकाम लगा है तो साधारण बुखार की दवा, तरल पदार्थ और आराम करने से ठीक हो जाता है। आम तौर पर 3 से 5 दिन में बुखार से राहत मिल जाती है – हालांकि इस बार कमज़ोरी – खांसी जुकाम जैसी परेशानियां बुखार ठीक होने के बाद भी कई दिनों तक देखने में आ रही हैं।

नाक बहने और खांसी के लक्षणों को डॉ शरीर के प्रतिरोधी सिस्टम के एक्टिव होने से जोड़ते हैं। फरीदाबाद के यथार्थ अस्पताल के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ विजय कुमार अग्रवाल के मुताबिक, "शरीर का डिफेंस सिस्टम सांस की नली में बनने वाली बलगम से लड़ रहा होता है। शरीर का नेचुरल इम्यून सिस्टम 5 से 7 दिन में एक्टिव रहता है और बीमारी से लड़ने लगता है। लेकिन अगर खांसी में बलगम आए जो समय के साथ गाढ़ी और पीली होने लगे और खांसी में खून आने लगे तो देर नहीं करनी चाहिए – ये गंभीर लक्षण हो सकते हैं। किसी भी हालत में अपने आप बिना डॉ से मिले एंटीबायोटिक दवाएं ना खाएं।"

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बारिशों के बाद बुखार का डबल अटैक – बरतें ये सावधानियां

अब जब बारिश कम होने लगी है तो अब मच्छर से जुड़ी बीमारियां डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे बुखार बढ़ेंगे। डेंगू मच्छर साफ और रुके हुए पानी में पनपता है। इस मच्छर के सुबह-शाम काटने की संभावना ज्यादा होती है। इसके लक्षणों में अक्सर 104 डिग्री तक बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, उल्टी और शरीर पर लाल दाने शामिल हैं। इसे ‘हड्डी तोड़ बुखार’ भी कहा जाता है। वहीं चिकनगुनिया बुखार में भी जोड़ों में तेज दर्द है जो बुखार खत्म होने के बाद भी कई दिनों और कई महीनों तक परेशान कर सकता है।

अगर पहले कभी डेंगू हो चुका है और किसी मरीज को दोबारा डेंगू होता है तो उसे सावधान रहना चाहिए। डेंगू के कुछ टाइप का इलाज करना डॉक्टरों के लिए कई बार चुनौती साबित होता है।

कुछ लोगों में वायरल बुखार के बाद भी कई दिनों तक कमजोरी और खांसी ज़ुकाम के लक्षण बने रहते हैं। ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं।

सबसे पहला लक्षण है कमजोर इम्यून सिस्टम

जब वायरस शरीर पर हमला करता है, तो इम्यून सिस्टम उसे खत्म करने के लिए बहुत ताकत लगाता है। कई वायरस सिर्फ बुखार ही नहीं करते। वे मांसपेशियों, श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र पर भी असर डालते हैं। इसलिए बुखार उतरने के बाद भी खांसी, गले में खराश, सिरदर्द या बदन दर्द बना रह सकता है। वायरस से लड़ाई में शरीर के अंदर सूजन हो जाती है।यह सूजन जल्दी खत्म नहीं होती और इसकी वजह से जोड़ों का दर्द और मांसपेशियों में अकड़न लंबे समय तक बनी रह सकती है।

इसके अलावा कुछ गलतियां ऐसी भी हैं जो बुखार से रिकवरी को मुश्किल बना देती हैं। बुखार में पसीना और भूख न लगने की वजह से शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी हो जाती है। इससे कमजोरी और चक्कर जैसे लक्षण बुखार के बाद भी बने रहते हैं।

वायरल बुखार से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे भी कारगर हो सकते हैं। अदरक और तुलसी की चाय, हल्दी वाला दूध, गुनगुना पानी और नारियल पानी शरीर को ताकत देते हैं। ठंडी चीजों और भारी खाने से दूर रहें। पानी और पैरासिटामोल से तीन से चार दिन में आराम आ जाता है। रिकवर होने के बाद धीरे-धीरे काम पर वापस लौटें। लक्षण 1 हफ्ते से ज्यादा बने रहें या सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, लगातार खांसी हो—तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

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