October-2025
वनिता लायी है कवर गर्ल कॉन्टेस्ट, जानकारी के लिए देखें लेटेस्ट अंक
December-2025
समंदर की नगरी से लौट कर आया तो पाया कि अभी गोमती के शहर ने अपनी निर्मलता को बरकरार रखा है। यह अलग बात थी कि भाईचारे में वह पहले वाली बात नहीं रही। पापा ने भी चौक का घर बेच कर गोमती नगर में नया ठिकाना बनाया है। मेरा ऑफिस भी शहीद पथ के उस पार है। अब पुराना लखनऊ सिर्फ जेहन के कहीं बहुत भीतर फंस कर रह
सलोनी के परिवार में जिस फोन की सुबह से प्रतीक्षा थी, वह 12 बजे आया। उसके पापा सोमनाथ जी ने अपना फोन कान से लगा कर कुछ देर सुना, फिर बरस पड़े , “नहीं, नहीं ! हरगिज नहीं ! अरे, लड़के और लड़की को मिलाना है, ना कि कपड़ा खरीदना है... यह पसंद आया वह नहीं!” दूसरी ओर से सावित्री बुआ की आवाज आ रही थी,
भैया जी बहुत नाराज थे, आज भी उन्हें मेट्रो में सीट मिलते-मिलते रह गयी थी। भाभी जी वैसे तो भैया जी की बड़ी से बड़ी नाराजगी की रत्तीभर भी परवाह नहीं करती थीं, लेकिन आज मसला कुछ अलग ही था। कभी पानी का गिलास भैया जी को नहीं पकड़ाने वाली भाभी जी ने आज बड़ी नजाकत से उन्हें पानी का गिलास पकड़ाया तो वे
हमारी एक भाभी जी हैं, बात के ही नहीं, अकसर बिना बात के भी हंसती रहती हैं। एक दिन उनकी नॉनस्टॉप हंसी सुन कर हमारे भैया को स्कूल की किताब में पढ़ा द्रौपदी की किस्सा याद आ गया। उनको लगा कि इन मोहतरमा की हंसी किसी दिन महाभारत पार्ट टू ना करवा दे, सो प्यार से उनको समझाया कि इस तरह हंसोगी तो किसी दिन
प्रेम करने की कोई उम्र फिक्स नहीं, तो प्रेम दिवस मनाने में क्या रिस्क, यही सोच कर जब हमने वेलेंटाइन बाबा का व्रत रखना चाहा, तो देखिए क्या-क्या गुल खिले...
छोटी उम्र में वैधव्य का दंश झेलने वाली बड़ी मां ने जीवन को रुकने नहीं दिया। अपनी निजी खुशी को दरकिनार करते हुए उन्होंने सबके सुख के लिए जीवन निछावर कर दिया। उन्होंने ऐसा क्या किया कि वे मेरी मां के लिए आदर्श बन गयीं?
अंतरंग सखी से मिले धोखे से हतप्रभ दिव्या को अकस्मात ही उसका खोया प्यार हासिल हो गया। उसकी मौकापरस्त सखी ने आखिर किस तरह उसका दिल छलनी किया था?
भाविनी को अपने प्यार और कैरिअर के बीच चुनाव करना था। प्यार उसके सपनों का बलिदान मांग रहा था। आखिर उसने क्या फैसला लिया?
कॉलेज के मस्त माहौल में मैं आजाद पंछी की तरह उड़ा-उड़ा फिरता था, तभी मेरी मुलाकात स्वाति से हुई। क्या मेरा प्यार परवान चढ़ पाया? क्या मैं उसे कभी अपने दिल के जज्बात बता सका?
अनुजा यों तो पारंपरिकता में विश्वास करती थी, पर उसके पहनावे में बदलाव देख कर उसकी भाभी हैरान थी। आखिर यह परिवर्तन की बयार कैसे चली?
नेहा शादी के बाद ससुराल में घरेलू कामों में सासू मां का हाथ बंटाना चाहती थी, लेकिन उसकी सास खुशी-खुशी सारा काम खुद कर देतीं। ऐसा क्या हुअा कि सासू मां ने उसकी गृहस्थी अलग बसा दी?
हवेली की खिड़की पर नजर आने वाली वह लड़की लॉज के लड़कों में मोहब्बत का सुरूर जगा रही थी, लेकिन वह कितने दुखों से भरी थी, यह जानते ही उन लड़कों ने क्या किया?
श्रुति के सपने उसे परेशान करते थे, लेकिन क्या ये उसके भावी जीवन के संकेत थे। सपनों की बिखरी कड़ियों को उसने कैसे जोड़ा? कौन था वह, जिससे श्रुति का नाता जुड़ने वाला था? ऋषभ से सगाई होने के बावजूद श्रुति ने अनुज के लिए क्यों हां कर दी?
श्रुति के सपने उसे परेशान करते थे, लेकिन क्या ये उसके भावी जीवन के संकेत थे। सपनों की बिखरी कड़ियों को उसने कैसे जोड़ा?
कमलनयन जी हैरान थे कि उनके छोटे भाई की बेटी मोना इतने बड़े घर को छोड़ कर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने हॉस्टल में रहेगी। स्वयं को घर का मुखिया मानते हुए उन्होंने इस बात पर आपत्ति भी जतायी, लेकिन मोना को तो हॉस्टल जाना ही था। क्या मोना हॉस्टल में रह कर अपनी तैयारी कर पायी या कहीं आकांक्षा योग्यता से बहुत ज्यादा तो नहीं हो गयी?
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