2024
वनिता के जुलाई, 2025 अंक में पढ़ें स्किन और हेअर हेल्थ पर विशेष जानकारी
July-2025
भारत के कुछ राज्य ऐसे हैं, जिनकी दीवाली, खानपान, कला, संस्कृति, साज-सज्जा, परंपरा, पूजा और आस्थाएं बिलकुल अलग हैं। जानिए कुछ ऐसे ही राज्याें के बारे में, जहां दीवाली की रौनक आश्चर्य में डाल देगी और आप कह उठेंगे, क्या वाकई ऐसा होता है?
नमक से लेकर जहाज और सॉफ्टवेअर तक फैली टाटा इंडस्ट्रीज को लगातार नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सीधे-सादे और सरल उद्योगपति रतन टाटा का हाथ था। आखिर ऐसा क्या था इस उद्योगपति में कि वह भारतीयों के इतने चहेते रहे हैं!
बीके शिवानी का मानना है कि आंतरिक विकास एक सतत प्रक्रिया है। नारी शक्ति पुरस्कार प्राप्त राजयोग मेडिटेशन शिक्षिका बीके शिवानी पिछले 25 वर्षों से लाखों-करोड़ों जीवन की उलझनें सुलझा रही हैं। घर-घर में लोग उनके विचारों, वीडियोज और पॉडकास्ट से अपने जीवन को समृद्ध कर रहे हैं।
क्या भारत प्यारा देश हमारा कहने के दिन लद गए ! नागरिकता छोड़ने के आंकड़ों पर एक नजर।
सिंगल पेरेंट्स ना सिर्फ दोहरी जिम्मेदारी निभाते हैं, बल्कि कई तरह की चुनौतियों का सामना करते हुए अपने बच्चे के मेंटल और इमोशनल हेल्थ को स्वस्थ रखने की कोशिश भी करते हैं।आइए, इस बार मदर्स डे पर कुछ खास मांओं से एक छोटी मुलाकात करें।
कुछ लोगों के लिए मामी, आंटी या टीचरों ने मां की जगह ली है। इन मदर फिगर्स ने हमेशा मां से बढ़ कर प्यार देने की कोशिश की है और हर कदम पर दोस्त की तरह साथ भी दिया है। मदर्स डे पर मां के साथ-साथ उन सभी लोगों की भी याद जरूर आ जाती है, जो मां से कम नहीं हैं। मां की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन मां का फर्ज
मुंबई की डॉ. सिमरन कपूर पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन दिल से पर्यावरण प्रेमी हैं। वे हाल ही में लॉन्च हुए वुमन क्लाइमेट कलेक्टिव का हिस्सा हैं। वे महिलाओं को बता रही हैं कि पर्यावरण के लिए खतरनाक सैनिटरी पैड्स का निस्तारण कैसे संभव हो सकता है।
यूनाइटेड नेशंस ने हाल ही में दुनिया की जो हैप्पीनेस रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसमें अभी हम 136वें नंबर पर हैं, जबकि पिछले साल हम 139वें पायदान पर थे। यानी हम सुधर रहे हैं। लाफ्टर योग कम्युनिटी मई महीने के पहले संडे को लाफ्टर डे मनाती है। यों भी पोस्ट कोविड दुनिया में लाफ्टर थेरैपी की जबर्दस्त जरूरत है।
राजस्थान के सीकर के एक गांव में हाल ही में एक सास ने अपनी विधवा बहू की शादी करवायी है। महज 3 महीने की शादी के बाद जब कमला देेवी का बेटा चल बसा, तो उनके दिल में बस यही सवाल था कि बहू, जो महज 21 साल की है अपना जीवन कैसे काटेगी।
फागुन का मस्त महीना अपने साथ रंगों व जोशीले गीतों का तोहफा ले कर आया है। आइए, आप भी झूमें फाग की धुन पर।
हमारे देश का सबसे मजेदार त्योहार है होली। सही मायनों में मस्ती, उमंग, रंग, तरंग जैसे शब्द इसी त्योहार से जुड़े हुए महसूस करते हैं। यह दुश्मनों को भी गले लगाने का त्योहार है। हालांकि अब समाज में आते खुलेपन के कारण होली से जुड़ा वह आकर्षण भी नहीं रहा।
पीले वस्त्रों, पलाश के फूलों से सजे छात्र-छात्राएं शांतिनिकेतन परिसर में नाचते-गाते एक छोर से दूसरे छोर तक गुजरते हैं, तो अलग ही समां बंधता है। जिसने भी यह नजारा देखा, फिर-फिर इसे देखने यहां खिंचा चला आया और कहे बिना रह नहीं पाता कि ओ रे भाई फागुन लगेछे बोने बोने...
यह परवरिश की चूक है या हमारा परंपरागत ढांचा कि आज भी घरेलू काम करने की जिम्मेदारी एक महिला पर ही होती है। पुरुष कामकाजी महिला से शादी करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए वे मानसिक रूप से तैयार नहीं।
कोरोना दौर ने हर कला पर कहर बरपाया है, मूर्तियों का कारोबार भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन इस बार पिछले बरस के मुकाबले तसवीर थोड़ी साफ है। कलाकार उम्मीद कर रहे हैं कि त्योहार उनके जीवन में भी कुछ रंग भरेंगे। मूर्तियों का ये रंगबिरंगा संसार पिछले कुछ वर्षों में बहुत बदल गया है और कलाकारों ने भी अपने तौर-तरीके बदले हैं। एक रिपोर्ट
बंगाल से बाहर रह कर भी बंगाली परिवार कैसे अपनी संस्कृति को कायम किए हुए हैं। मिलिए, ऐसे ही एक परिवार की चौथी पीढ़ी से, जिनके पूर्वज ईस्ट इंडिया कंपनी के समय दिल्ली आए थे। इस परिवार ने दुर्गा पूजा से जुड़ी मान्यताअों और परंपराअों को आज तक संजोए रखा है।
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