सफर और हमसफर, किसी भी मंजिल पर पहुंचने के लिए दोनों ही जरूरी हैं। हमसफर अच्छा हो, तो जिंदगी सुहानी होती है और सफर सुहाना हो, तो मंजिल नजदीक लगती है। जी हां, छुट्टी प्लान करते समय हम अमूमन यह सोचते हैं कि पर्यटन स्थल ऐसा होना चाहिए, जो मनोरम और सुंदर हो, लेकिन सफर की खूबसूरती पर हमारा ध्यान नहीं जाता। लेकिन अगर आप ट्रेन से सफर करने के शौकीन हैं, तो जानिए रेल के कुछ ऐसे सफर के बारे में, जहां पर सुंदर नजारे हर कदम पर बिखरे पड़े होंगे, आपका मन करेगा कि यह सफर कभी खत्म ही ना हो, ट्रेन एक घंटा लेट चले या फिर 4-5 घंटे देरी से पहुंचे, आपको इस बात का अहसास ही नहीं होगा, क्योंकि बाहर के नजारों से नजरें हटेंगी, तब तो जा कर घड़ी की सुइयों पर टिकेंगी। कंफर्म टीकेटी के कोफाउंडर व सीईओ दिनेश कुमार कोथा से जानिए ऐसी ही खूबसूरत रेल यात्राओं के बारे में, जो अपनी खूबसूरती के कारण प्रसिद्ध हैं-

गोवा से लोंडा: ट्रेवलिंग जिनकी नयी-नयी हॉबी बनी है, उनकी लिस्ट में टॉप पर है गोवा से कर्नाटक के लोंडा तक का ट्रेन का सफर। जिस दूधसागर फॉल्स को देखने के लिए लोग पैसे खर्च करके गोवा आते हों, उसे आप ट्रेन में बैठे-बैठे देख सकें, तो इससे बढि़या बात और क्या होगी भला। गोवा के वास्को डा गामा से शुरू हो कर पश्चिमी घाटों से गुजरती हुई ट्रेन का साढ़े तीन घंटे का सफर किसी मनोरंजन से कम नहीं। पहाड़ों को अपने दूधिया पानी से भिगोते हुए कई छोटे-बड़े झरने आपको इस सफर में देखने को मिलेंगे, जिनमें सबसे गजब है 310 मीटर की ऊंचाई से गिरनेवाला दूधसागर फॉल्स।

सिलिगुड़ी से अलीपुरद्वार: सिलिगुड़ी तो पश्चिम बंगाल का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है ही, लेकिन इतिहास में रुचि रखने वालों को अलीपुरद्वार के बारे में जरूर पता होगा। इसे भूटान का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। चर्चित सिल्क रूट के अवशेष भी यहां पर आप देख सकते हैं। सिलिगुड़ी से अलीपुरद्वार की तरफ चलने वाली ट्रेन घने जंगलों, वन्य जीव अभ्यारण्यों जैसे महानंदा, छापरामारी, जल्दापारा और बक्सा से हो कर गुजरती है। इसके अलावा कई छोटे-बड़े झरने, तालाब आप देख पाएंगे और अगर लकी रहे, तो हिरण, हाथी, बंदर, पक्षियों के अलावा बक्सा में बाघ के दर्शन भी आपको हो सकते हैं।

मंडपम से पंबन: इस सफर को टॉप 10 ट्रेन जर्नीज में से एक माना गया है। तमिलनाडु के मंडपम से रामेश्वरम के पंबन आईलैंड के बीच का सफर सच में बहुत खूबसूरत है और युवाओं के बीच काफी चर्चित है। समुद्र पर बने 2.2 किलोमीटर लंबे कैंटीलिवर ब्रिज से जब ट्रेन गुजरती है, तो एकबारगी दिल करता है कि काश जिंदगी एक कभी ना खत्म होने वाला सफर बन जाए और हम इन पटरियों से गुजरते हुए खिड़की से बाहर झांकते रहें।

काजीगुड से बारामुला: यों तो श्रीनगर में हर कदम पर खूबसूरत वादियां आपको अपने हुस्न के जादू में गुम करने को तैयार रहती हैं, पर जब बनिहाल टनल आपको अपने आगोश में एक बार ले लेती है, तो इसकी गिरफ्त से छूटना नामुमकिन सा लगता है। यह भारत की सबसे लंबी रेलवे टनल मानी जाती है। वैसे भी जब ट्रेन के टिकट में ही साइटसीइंग का मजा मिल जाए, तो फिर और क्या चाहिए। और अगर पहाड़ों पर बर्फबारी हो जाए, तब तो सोने पर सुहागा। ऐसे सफर जीवनभर याद रहते हैं।

कालका से शिमला टॉय ट्रेन: किसी रोमांटिक सपने से कम नहीं है कालका से शिमला तक की टॉय ट्रेन का सफर। इस रास्ते में आपकी यह छुक-छुक गाड़ी छोटी-बड़ी लगभग 103 सुरंगों से हो कर गुजरती है। खिड़की से बाहर सिर निकाल कर झांकें, तो कभी ट्रेन का अगला हिस्सा सुरंग में गायब दिखता है, तो कभी पिछला हिस्सा। ऐसा भी हो सकता है कि आप बीच वाले कोच में हों और आगे और पीछे के हिस्से सुंरग में गायब नजर आएं। वैसे इन सुरंगों से ध्यान हट ही नहीं पाता, लेकिन जब सुरंग के घुप्प अंधेरों में खो कर मन ऊबने लगे, नजर उठा कर गर्व से सिर उठाए खड़े पहाड़ों को देखिए। उदासी की बंजर धरती को चीर कर उम्मीद का दरख्त भी ऐसे ही पैदा होता है।
केंदुझारगढ़ से भुवनेश्वर: ओडिशा के एक छोटे से शहर केंदुझारगढ़ से भुवनेश्वर तक का 5 घंटे का सफर इतना यादगार हो सकता है, यह कोई सोच भी नहीं सकता। अदभुत प्राकृतिक सुंदरता, चावल के खेतों के बीच में से आपको एक नहीं बल्कि कई झरने देखने को मिलेंगे। यह सफर उन लोगों की सोच बदल देगा, जिन्हें दिन में ट्रेन का सफर करना समय की बर्बादी लगता है। इतना ही नहीं, खिड़की से बाहर झांकेंगे, तो यहां के सीधे-सादे ग्रामीण जीवन की झलक भी आपको दिख जाएगी। अगर अपनी एक शाम इस सफर के नाम करने का इरादा है, तो आपको सूर्यास्त भी देखने को मिलेगा।

दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन: रेल के सफर की बात हो और उसमें दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन का जिक्र ना हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। इसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया हुआ है। शहर के बीच से गुजरती ट्रेन से मुसाफिर आसानी से चढ़ व उतर सकते हैं। ट्रेन में बैठिए और कोई मीठा सा बांग्ला गीत गुनगुनाते जाइए। नहीं आता हो, तो फिल्म परिणीता का पिया बोले गाना जरूर सुनें। वह इसी ट्रेन में फिल्माया गया था। यह ट्रेन जैसे-जैसे पहाड़ों पर चढ़ना शुरू होती है, पहाड़, जंगल, हरियाली आपका दिल लुभाने को सोलह शृंगार करके तैयार हो जाते हैं।