छोटा आइडिया, छोटे सपने भी बड़े हो सकते हैं, अगर इरादे पक्के और नजरिया साफ हो। राजस्थान के छोटे से गांव लावा की एक बेटी ने कुछ ऐसा कर दिखाया है कि सभी को उस पर नाज है। पांच हजार के करीब की आबादी वाले गांव से निकल कर इंजीनियर बनना और फिर अपना खुद का कारोबार शुरू करना कोई मजबूत इरादे वाली लड़की ही कर सकती है। सुरभि जैन ने ना सिर्फ लीक से हट कर सोचा, बल्कि अपने आइडिया को सफलतापूर्वक धरातल पर भी ला कर दिखाया। इन्होंने आम इंसान की एक बड़ी समस्या को हल करने के लिए ‘नींद’ नाम से एप लॉन्च किया है। यह देश का पहला और एकमात्र फ्री एप है, जहां हिंदी समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में संगीत के साथ कहानियां सुनने को मिलती हैं, जिन्हें सुन कर लोगों को नींद आ जाती है। कंपनी की संस्थापक सुरभि जैन कहती हैं कि हमें कभी भी खुद को किसी सीमा में बांधने की जरूरत नहीं है। अपने पंखों को फैलाएं। जो सपने बुने हैं, उन्हें पूरा करने के लिए अपना सब कुछ लगा देना चाहिए।
राजस्थान के लावा गांव में दसवीं के बाद पढ़ाई की सुविधा नहीं थी। बाहर जा कर पढ़ना पड़ता था, वह भी तब माता-पिता की मंजूरी मिले या उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो। सुरभि इस मामले में खुशनसीब रहीं। 11वीं पास पिता और आठवीं तक पढ़ीं मां ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि अपने दोनों बच्चों की पढ़ाई में किसी प्रकार की रुकावट नहीं आने देंगे। वे हर क्षण उनका हौसला बढ़ाते रहे। बताती हैं सुरभि, ‘‘हमारे गांव में लड़कियों को ले कर एक खास प्रकार की रूढ़िवादिता थी। उनकी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया जाता था। ऐसी मान्यता थी कि एक दिन तो वह शादी करके पराये घर चली जाएगी। फिर उस पर पैसे क्यों खर्च करना? लड़कों में निवेश को महत्व देते थे। मेरे दादा-दादी भी ऐसा सोचते थे। लेकिन माता-पिता खुले विचारों वाले थे। उन्होंने मुझे और दोनों भाइयों को पढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की। अपनी हैसियत से ज्यादा किया। खुशकिस्मती से हम पढ़ाई में अच्छे थे, तो आगे का रास्ता निकलता गया। मैं कोटा गयी, तैयारी की और मेरा दाखिला आईआईटी बांबे में हो गया।’’
ऐसे मिला आइडिया
सुरभि को एक बात समझ आ रही थी कि जॉब के साथ अपना बिजनेस शुरू करना संभव नहीं था। इसलिए अक्तूबर 2020 में आखिरकार उन्होंने कंपनी छोड़ दी। लेकिन 2-3 महीने बाद ही उनका पूरा परिवार कोविड-19 की चपेट में आ गया। 90 वर्ष की दादी से ले कर गर्भवती भाभी और छोटे-छोटे बच्चे सभी संक्रमित थे। सुरभि बताती हैं, ‘‘मैं रात-रात भर जाग कर सबका ध्यान रखती थी। कुछ समय में सब रिकवर हो गए। लेकिन मेरी नींद उड़ गयी। उसी दौरान मेरी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई, जिन्हें भी नींद ना आने की समस्या थी। हम दोनों घंटों बातें करते रहते थे। एक दिन मैं उन्हें फोन पर किसी यात्रा की कहानी सुना रही थी। उन्हें ट्रैवलिंग का बिलकुल शौक नहीं था। फिर भी वे कहानी सुन रहे थे और सुनते-सुनते उन्हें नींद आ गयी।’’
सुरभि की मानें, तो पहले उन्हें बुरा लगा। लेकिन बात करने पर दोस्त ने बताया कि कैसे वे यात्रा की कहानी को मन में विजुअलाइज कर रहे थे और उन्हें नींद आ गयी। कहती हैं, ‘‘अकसर बचपन में दादी-नानी की कहानियां सुनते वक्त ऐसा होता है। हम कहानियों में खो जाते हैं। यहीं से मुझे मेरा बिजनेस आइडिया मिल गया।’’
देशज भाषा में तैयार एप
सुरभि ने पहले ऑनलाइन मार्केट सर्वे किया कि क्या कोई कंपनी है, जो खासतौर पर नींद के विषय पर काम कर रही है? लेकिन इंटरनेट मीडिया पर उन्हें अधिकतर विदेशी कंटेंट ही मिले, जो भारत में उतने कारगर नहीं थे। वे बताती हैं, ‘‘देश-दुनिया का एक बड़ा वर्ग आज नींद की समस्या से जूझ रहा है। इसके कई कारण हैं। सेहत से जुड़ी समस्या, काम का दबाव, तनाव आदि। मैंने तय किया कि क्यों ना अपनी भाषा में कहानी तैयार की जाए? शुरू में 3 कहानियां यूट्यूब चैनल पर डालीं। देखते ही देखते लोगों का रिस्पाॅन्स मिलने लगा। वे और कहानियों की मांग करने लगे। हमने उनकी डिमांड के अनुसार, कहानियां अपलोड करनी शुरू कीं। चैनल के सब्सक्राइबर्स की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही थी। लेकिन कंज्यूमर्स के साथ एकतरफा संवाद चल रहा था। तब हमने नींद एप लाॅन्च करने का फैसला लिया। इसका भी बहुत अच्छा रिस्पाॅन्स मिला। अब तक इसके 2.5 लाख के करीब डाउनलोड हो चुके हैं। लोगों का पाॅजिटिव फीडबैक मिला है कि कैसे एेप की मदद से वे सो पा रहे हैं।’’ कहानियों के लिए सुरभि फ्रीलांसर लेखकों की मदद लेती हैं। लेकिन क्वाॅलिटी कंट्रोल का जिम्मा उनकी टीम का होता है। टीम में राइटर्स के अलावा मेडिटेशन के एक्सपर्ट हैं। पूरी गाइडलाइन कंपनी तैयार करती है। इसके अलावा, इन्होंने स्लीप गमीज (sleep gummies) नाम से एक स्लीप एड प्रोडक्ट लाॅन्च किया है, जो रिलैक्स करने एवं सोने में काफी मददगार है।
निवेशकों ने जताया भरोसा
हर नए उद्यमी की तरह सुरभि के सामने भी चुनौतियां आयीं। उनका काॅन्सेप्ट थोड़ा अलग था, इसलिए समझाने में वक्त लगा। वे बताती हैं, ‘‘शुरू में मैंने कंपनी में 5 लाख रुपए का निजी निवेश किया था। लेकिन कुछ समय पूर्व बेटर कैपिटल ने प्री-सीरीज फंडिंग के तहत 7 करोड़ रुपए का निवेश किया है। कुणाल शाह ने भी इन्वेस्ट किया है। इन फंड्स से हम योग निद्रा, गाइडेड मेडिटेशन सेशन, म्यूजिक और प्रोडक्ट्स डेवलप करेंगे। मेरा मकसद नींद एेप को देश के घर-घर और विदेशों में भी पहुंचाना है। इस समय एेप फ्री है, लेकिन जल्द ही इस पर पेड सब्सक्रिप्शन सर्विस शुरू की जाएगी। स्लीप एवं अन्य एक्सपर्ट्स को प्लेटफाॅर्म से जोड़ा जाएगा, जिससे यूजर्स को फायदा पहुंचाने के साथ बिजनेस को सस्टेन किया जा सके। हिंदी, अंग्रेजी के अलावा मराठी, तमिल एवं तेलुगू में भी कहानियां अपलोड करने की योजना है।’’ सुरभि के लिए सक्सेस का मतलब किसी लक्ष्य को पूरा करने की तरह है। अगर यूजर्स को प्रोडक्ट पर विश्वास होता है, उसकी महत्ता को समझते हैं, अच्छी नींद ले पाते हैं, तो वही उनकी असल कामयाबी होगी।