Friday 24 June 2022 12:36 PM IST : By Nishtha Gandhi

चटोरों का अड्डा है इंदौर का सर्राफा बाजार

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रानी अहिल्याबाई होल्कर के शहर इंदौर के पास गर्व करने की बहुत सी वजहें हैं। यह भारत के सबसे साफ शहरों में से एक है, धीरे-धीरे यह शहर विकसित हो कर आईटी हब बनता जा रहा है, पर फिर भी अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर रखा है। कभी इंदौर जाने का मौका मिले, तो इतिहास और संस्कृति के इस तोहफे को समेटते हुए वहां के सर्राफा बाजार में जरूर जाएं। यों तो इंदौर अपनी खट्टी-मीठी नमकीन, पोहा जलेबी के लिए ही ज्यादा जाना जाता है, लेकिन यहां के सर्राफा बाजार में आपको ऐसी-ऐसी चीजों का स्वाद चखने को मिलेगा, जिनका आपने नाम भी नहीं सुना होगा।

कई लोगों को हैरानी होती है कि सर्राफा बाजार तो अमूमन गहनों के लिए मशहूर होता है, फिर यहां का बाजार फूड हब कैसे बन गया। दरअसल, इंदौर का सर्राफा बाजार भी सोने-चांदी के जेवर खरीदने के लिए मशहूर है, लेकिन रात को जब सुनार अपने घर लौट जाते हैं, तो खाने के जौहरी वहां जमघट लगा लेते हैं। शाम ढलते ही खोमचे वाले इस बाजार में आ जाते हैं और सर्राफा बाजार की गलियों को रातभर गुलजार किए रहते हैं। रात को खोमचे यहां कब से और कैसे लगने शुरू हुए, इस बारे में अलग-अलग राय हैं, पर ऐसा माना जाता है कि सर्राफा बाजार के दुकानदारों ने इन खोमचे वालों को यहां दुकान लगाने की इजाजत इसलिए दे दी, क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे उनकी दुकानें चोरी-डकैती से सुरक्षित रहेंगी। 

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खैर, इतिहास की बात खत्म करके आगे चलते हैं, उस बात की तरफ, जिसकी वजह से सर्राफा बाजार मशहूर है। यहां पर आपको चाट पकौड़े, मोमोज समेत वे सभी चीजें मिलेंगी, जिन्हें आप आम स्ट्रीट फूड की श्रेणी में रख सकते हैं। लेकिन यहां पर मिलने वाली भुट्टे की कीस, खोपरा पेटिस, गराडू, गुलाब जामुन, नागौरी की शिकंजी, जोशी जी के दही-बड़े, कोकोनट क्रश सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं। भुट्टे के नरम दानों को बेसन, हरी मिर्च व कई मसालों के साथ मिला कर भुट्टे की कीस बनायी जाती है। वहीं जोशी जी के दही बड़े खाने में जितने स्वादिष्ट हैं, उससे ज्यादा उनके परोसने का स्टाइल फेमस है। दही बड़ों को दही में डुबो कर दोने में रखा जाता है, लेकिन इससे पहले कि दही बड़ा आपके हाथ में आए, वह दो बार हवा में गोते लगाता है। जी हां, परोसने से पहले जोशी जी दोने को हवा में उछालते हैं, वह भी इस कदर सधे हाथों से कि एक बूंद भी दही या मीठी चटनी नीचे नहीं टपकती। इसी करामात की वजह से यह फ्लाइंग दही बड़े के नाम से भी फेमस है। यह तो हुई आम स्ट्रीट फूड की बात, अब बात करते हैं उस डिश की, जिसका नाम शायद इंदौर से बाहर रहने वाले लोगों ने सुना भी नहीं होगा- गराडू चाट। जिमीकंद को डीप फ्राई करके उसमें सीक्रेट मसाला और नीबू का रस डाल कर चटपटा बनाया जाता है। नागौरी की शिकंजी भी यहां की ऐसी अनोखी डिश है। यह ऐसी शिकंजी है, जो नीबू और मसालों से नहीं, बल्कि दूध और ड्राई फ्रूट्स से बनायी जाती है। 

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इनके अलावा विजय चाट भंडार की खोपरा पैटीस हो, कोकोनट क्रश हो, किटकैट आइसक्रीम रोल हो, पोटैटो स्पाइरल हो, मालपुआ,जलेबा, हलवा या चाइनीज फूड हो, सर्राफा बाजार की दुकानों में स्वाद की पूरी गारंटी हो। यहां पर ज्यादा से ज्यादा चीजें ट्राई करना चाहते हों, तो 4-5 लोगों के ग्रुप में जाएं और थोड़ा-थोड़ा सब टेस्ट करें। 

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समय हो और पेट इजाजत दे, तो सर्राफा बाजार के अलावा छप्पन दुकान भी जाया जा सकता है। यह सुबह 6 बजे से ले कर रात के 10 बजे तक खुली रहती है। दरअसल, पहले यहां 56 दुकानें थीं, लेकिन अब नवीनीकरण की वजह से बहुत से लोगों ने अपनी दुकानें या तो बंद कर दीं या फिर बेच दीं। लेकिन अभी भी इस बाजार में आपको 56 खंभे दिखायी दे जाएंगे। यहां पर ज्यादातर युवा, छात्र या फिर परिवार के साथ घूमने आए लोग आपको दिख जाएंगे। मधुरम स्वीट्स, अग्रवाल स्वीट्स, विजय चाट हाउस, गणगौर स्वीट्स यहां की प्रसिद्ध दुकानों में से हैं। यहां पर आप घोड़े व ऊंट की सवारी भी कर सकते हैं व कई और एक्टिविटीज भी यहां मौजूद हैं। 

सर्राफा बाजार पहुंचने के लिए बेहतर होगा कि आप रिक्शा या ऑटो ले लें, क्योंकि यहां पार्किंग की सुविधा मौजूद नहीं है, इसके अलावा यहां बहुत भीड़भाड़ भी होती है। कोशिश करें कि आप यहां रात में 8-9 बजे के बीच पहुंच जाएं, क्योंकि देर होने पर जोशी के दही बड़े,विजय चाट भंडार की खोपरा पैटीज खत्म हो सकती है।