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पिछले कुछ वर्षों से विशेषज्ञ कह रहे हैं कि दुनिया का तापमान आने वाले समय में तेजी से बढ़ेगा, लेकिन महज दो वर्षों में विश्व का औसत तापमान डेढ़ डिग्री तक बढ़ गया। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की रिपोर्ट का कहना है कि स्थिति अब खतरनाक होती जा रही है। ब्रिटेन की वेदर सर्विस का अनुमान है कि वर्ष 2025 भी अब तक के तीन सबसे गर्म वर्षों में एक होगा।

अभी क्लाइमेट चेंज के कारण लगातार सूखे, तूफान, बाढ़ और गर्म थपेड़ों की मार विश्व पर पड़ ही रही है। सऊदी अरब की गर्मी, एशिया और उत्तरी अमेरिका की भयावह बाढ़, यूरोप और अफ्रीका की बाढ़ ने आगाह किया है कि यह अलार्मिंग सिचुएशन है। 2025 शुरू होते ही पूरे हॉलीवुड के जलने की खबरें पढ़ने-देखने को मिलने लगी हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया की लॉस एंजिल्स काउंटी के जंगलों में लगी आग ने आबादी को घेरना शुरू कर दिया है। पिछले कई वर्षों में इन जंगलों में आग लगती आ रही है और बस्तियों तक भी पहुंच रही है। मगर इस बार संपन्न इलाकों में इसका दायरा फैल चुका है। अभी लगी इस भीषण आग से लगभग दो हजार घर जलकर खाक हो गए हैं। कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते के अंत तक यह आग और भयावह हो सकती है, क्योंकि अभी हवाएं तेज चल रही हैं। हॉलीवुड हिल्स सहित लॉरेल कैनीयोन, ब्रेंटवुड, पैलिसेड्स जैसे इलाके आग से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। एक लाख से ज्यादा लोग अपना घर छोड़कर भाग चुके हैं। हालत यह है कि लोगों के पास पीने को पानी तक उपलब्ध नहीं है, क्योंकि इलाके का सारा पानी आग से दूषित हो चुका है। हॉलीवुड एक्टर्स पेरिस हिल्टन, क्रिस्टल, जेम्स वुड और म्यूजिशियन मैंडी मूर के घर खाक हो गए हैं।

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1970 के दशक में जिमी कार्टर को जब राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया था तो उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के लिए लाल, सफेद, नीले रंग के बजाय हरे रंग को चुना। इसके 35 साल बाद पेरिस समझौता हुआ था, जिसमें उनकी पर्यावरण चिंता को लेकर बात की गई। अब कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट की ताजा रिपोर्ट यही कह रही है कि यह चिंता जायज थी, अगर उसी वक्त ठोस कदम उठा लिए जाते तो आज ऐसी स्थितियों से काफी हद तक बचा जा सकता था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्तर पर त्वरित निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है। पिछले 10 वर्ष (2015-2024) अब तक के सबसे गर्म 10 साल रहे हैं। इनमें भी 2024 अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर सबसे गर्म साल रहा है। हालांकि ठोस आंकड़ों की बात करें तो 1850 के बाद से (इसी वर्ष से दुनिया का तापमान मापा जा रहा है) 2024 सबसे गर्म साल रहा। इस साल ग्रीन हाउस गैसों का स्तर वायुमंडल में अब तक का सबसे ज्यादा अधिक रहा।

कैलिफोर्निया में आग के इतने विकराल रूप धारण करने का कारण यह है कि यहां दो-तीन महीनों से बारिश नहीं हुई, लकड़ियां सूखती गईं, हवाएं तेज चल रही हैं, जिस कारण पेड़ जलने लगे और पानी न होने के कारण यह आग तेजी से फैलती गई और कई हॉलीवुड अभिनेताओं के घरों को अपनी जद में ले लिया। इसके अलावा कई शहर तो भूतिया हो गए हैं।

The La Tuna Fire burns in the Verdugo Mountains in the Eastern San Fernando Valley of Los Angeles, CA. 9/1/2017
The La Tuna Fire burns in the Verdugo Mountains in the Eastern San Fernando Valley of Los Angeles, CA. 9/1/2017
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धरती की सतह धधक रही है। इससे सर्वाधिक नुकसान हो रहा है गरीब और विकासशील देशों और लोगों को। भारत में भी हर वर्ष जंगलों में आग की घटनाएं आम होती जा रही हैं। हर साल फरवरी महीने से जून तक आग लगने की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं क्योंकि यह मौसम अपेक्षाकृत शुष्क और गर्म होता है। सूखी पत्तियों का जमावड़ा होता है, हवाएं चलती हैं और लकड़ियां सूख जाती हैं। कई बार लोगों की लापरवाही भी होती है, जो जलती हुई चीजें छोड़ देते हैं। कई बार लोग कैंप फायर करते हैं, सरदियों में आग सेंकने के लिए अलाव जलाते हैं, कूड़ा जलाते हैं और उसे यूं ही छोड़ देते हैं। ऐसे में अगर तेज हवा चली तो आग फैलने से कोई नहीं रोक सकता। भारत में रिजर्व फॉरेस्ट में आग जलाना या जलती हुई चीजें जैसे सिगरेट आदि फेंकना दंडनीय अपराध है, इसके बावजूद मानवजनित लापरवाहियों से नुकसान की खबरें आती रहती हैं। आग की घटनाओं से हमारे देश में हिमाचल, उत्तराखंड, झारखंड, असम और बिहार जैसे राज्य सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं और यहां की खेती, फसलों और इकोलॉजिकल सिस्टम के लिए भी खतरा पैदा हुआ है। बहरहाल आम इंसान सिर्फ अपने हिस्से का कर्तव्य निभा सकता है। इतनी कोशिश तो कर ही सकता है कि उसकी वजह से पर्यावरण को कोई नुकसान न हो।

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