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सीमा पिछले कुछ दिनों से बेहद परेशान थी। उसका शरीर फूलने लगा था। मासिकधर्म अनियमित होने लगा था, कभी-कभी तो होता भी नहीं था। चेहरे पर मुंहासे हो गए थे। छाती और मुंह पर अवांछित बाल उगने लगे थे। उसकी शादी के 3-4 साल हो गए थे, पर अभी तक गर्भधारण नहीं हो पाया था। वह डॉक्टर से मिली, तो डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद कहा कि वह हारमोनल असंतुलन की शिकार है। हारमोन संबंधी गड़बड़ी की पुष्टि के लिए डॉक्टर ने उसे कुछ खास टेस्ट कराने की सलाह दी। आखिर ये हारमोन क्या हैं और हमारे शरीर में इनकी क्या भूमिका है और इनमें असंतुलन कैसे हो जाता है, इन्हीं सवालों के चक्रव्यूह में उलझी सीमा ने डॉक्टर द्वारा बताए टेस्ट कराए। टेस्ट के परिणामों के आधार पर डॉक्टर ने उसे कुछ दवाएं दीं और सीमा अब पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही है।

हमारे शरीर की लगभग हर प्रक्रिया को नियंत्रित व संतुलित करने वाले हारमोन्स की पूरी जानकारी पाने के लिए हमने मुलाकात की सेंट्रल हेल्थ सर्विसेज, दिल्ली के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. अशोक भटनागर से। उन्होंने हमें हारमोन्स के बारे में विस्तार से बताते हुए उपयोगी जानकारी दी।

क्या हैं हारमोन्स

हारमोन हमारे शरीर में अंतःस्रावी ग्रंथियों और कोशिकाओं द्वारा स्रावित होने वाले रासायनिक पदार्थ होते हैं, जो मैसेंजर की तरह काम करते हैं। अंतःस्रावी ग्रंथियां शरीर के विभिन्न हिस्सों में उपस्थित होती हैं और शरीर की दूसरी ग्रंथियों से अलग होती हैं, क्योंकि इनमें नलिकाएं नहीं होती हैं। हारमोन्स न्यूरोकेमिकल्स होते हैं, जो एमिनो एसिड से बने होते हैं। ये ग्रंथियों से सीधे ब्लड में चले जाते हैं। हम इंसानों में 230 हारमोन्स पाए गए हैं। शरीर के एक भाग में बनने के बाद वे शरीर के अन्य भागों में जाते हैं। वहां उनका काम कोशिकाओं और अंगों के कार्य को नियंत्रित और सुचारु बनाए रखना होता है। ये हमारे दैनिक जरूरत के अनुसार भोजन का मेटाबॉलिज्म, बॉडी की ग्रोथ, री-प्रोडक्शन जैसे फंक्शन को सही तरीके से चलाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

किसी कारण से हारमोन्स की पर्याप्त मात्रा स्रावित ना हो या जरूरत से अधिक स्रावित होने लगे, तो कई किस्म की सेहत संबंधी परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं। सामान्य भाषा में कहा जाए, तो हारमोन्स हमें स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Endocrine system. Young woman doing thyroid self examination on white background
Endocrine system. Young woman doing thyroid self examination on white background

कितने तरह के हारमोन्स

हमारे एंडोक्राइन सिस्टम में मुख्य रूप से जो अंतःस्रावी ग्रंथियां होती हैं, उनके नाम हैं पिट्यूटरी ग्लैंड, पीनियल ग्लैंड, थाइरॉइड ग्लैंड, थायमस ग्लैंड, एड्रिनल ग्लैंड, पैंक्रियाज, ओवरी और टेस्टिस। ये सभी ग्रंथियां अलग-अलग हारमोन्स का स्राव करती हैं। पिट्यूटरी ग्रंथि मास्टर ग्लैंड की तरह कार्य करती है, जो ब्रेन में मौजूद होती है और उसका काम अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों को नियंत्रित करना होता है। हाइपोथैलेमस ग्रंथि बॉडी के टेंपरेचर को नियंत्रित करती है।

हारमोन्स के प्रकार और कार्य

ग्रोथ हारमोन : यह हारमोन हमारे शरीर की ऊंचाई और बॉडी मास को नियंत्रित करता है। यह बच्चों और युवाओं में ग्रोथ के लिए विशेष महत्वपूर्ण है।

हैप्पी हारमोन : ये 4 प्रकार के होते हैंÑ डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन। इन चारों हारमोन्स की अलग-अलग जिम्मेदारी होती है। इनके नियमित स्राव से मन खुश रहता है, इसीलिए इन्हें हैप्पी हारमोन कहते हैं। ये मुख्यतः हमारे ब्रेन में स्रावित होते हैं। स्वस्थ जीवनशैली जैसे नियमित एक्सरसाइज, मेडिटेशन, मनपसंद खाना-पीना, ठहाके मार कर हंसना और सोशल बॉन्डिंग, ये सभी इन हारमोन्स को बढ़ाने में मदद करते हैं।

परथाइरॉयड हारमोन : यह हारमोन हमारी हड्डियों से कैल्शियम को फ्री करने में मदद
करता है और इसे ब्लड में सही स्तर पर बनाए रखता है।

मेलाटोनिन : इस हारमोन का कार्य हमारी नींद को नियंत्रित करना है।

इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन : ये मुख्यत: महिलाओं में पाए जाते हैं और गर्भाधान की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

टेस्टोस्टेरॉन : यह पुरुषों में प्रमुख रूप से होता है, लेकिन महिलाओं में भी पाया जाता है। यह हारमोन मासिक धर्म, स्वास्थ्य और ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित करता है।

थायरॉइड हारमोन्स : ये शरीर की ऊर्जा स्तर को नियंत्रित करते हैं और मेटाबॉलिज्म को सुनिश्चित करते हैं।

इंसुलिन : इसका कार्य शरीर में ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित करना है, जिससे डाइबिटीज का खतरा कम होता है। इंसुलिन के पूरी तरह काम ना करने और इसकी कमी से डाइबिटीज हो सकता है।

कॉर्टिसोल : यह तनाव वाली स्थितियों में शरीर को तनाव से जूझने में मदद करता है। इसे फाइट ऑर फ्लाइट हारमोन कहते हैं।

गोनैडोट्रोपिन : यह हारमोन महिलाओं के ओवेरियन फैलोपियन ट्यूब्स को उत्तेजित करता है और गर्भाशय को प्रेरित करता है, ताकि गर्भधारण हो सके।

प्रोलेक्टिन : इस हारमोन का कार्य ब्रेस्टफीडिंग के लिए बॉडी को तैयार करना है और गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट की ग्रोथ में मदद करता है।

भ्रूण हारमोन : महिलाओं में यह हारमोन गर्भावस्था की शुरुआत में बनता है। यह गर्भ को बनाए रखने और कोशिकाओं की सुरक्षा करने में मदद करता है।

हारमोन्स और यौन स्वास्थ्य

हारमोन्स यौन स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनमें विभिन्न प्रकार के हारमोन्स शामिल होते हैं, जो पुरुषों और महिलाओं के यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। हारमोन्स की असमानता से यौन समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, अनवांछित गर्भपात और यौन इच्छा में कमी। इन समस्याओं का समाधान अपने डॉक्टर की सलाह ले कर किया जा सकता है।

हारमोनल रोग

Sleepless Asian woman looking her face in the mirror and worry about dark circles under eyes
Sleepless Asian woman looking her face in the mirror and worry about dark circles under eyes

हारमोनल रोग विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं और इनमें से कुछ सामान्य हैं, जबकि कुछ गंभीर हो सकते हैं।

पीसीओएस : यह महिलाओं में होने वाला एक सामान्य हारमोनल रोग है, जिसमें अनियमित मासिक धर्म की शिकायत होती है और शरीर में अवांछित बाल बढ़ जाते हैं।

हाइपोथायरॉइडिज्म : थायरॉइड हारमोन्स की कमी से होने वाली यह स्थिति शरीर की ऊर्जा स्तर को कम कर सकती है और थकान, ओवरवेट आदि का कारण बन सकती है।

डाइबिटीज : इंसुलिन की कमी के कारण होने वाली यह बीमारी गंभीर है और संपूर्ण जीवन को प्रभावित कर सकती है।

एक्रोमेगाली : पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा ग्रोथ हारमोन के बहुत अधिक मात्रा में स्रावित होने पर हाथ, पैर, जबड़े और दूसरे अंग असामान्य रूप से बड़े हो जाते हैं। आमतौर पर यह पिट्यूटरी ट्यूमर के कारण होता है। पिट्यूटरी ग्रंथि की माइक्रोसर्जरी व दवाओं से इसका उपचार किया जा सकता है।

हाइपर प्रोलैक्टिनिमिया : प्रोलेक्टिन हारमोन की अधिकता से मासिक धर्म में अनियमितता और बहुत अधिक दूध बनने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

एडिसन डिजीज : कोर्टिसोल हारमोन की कमी से कमजोरी, भूख में कमी, वजन घटने व माहवारी रुक जाने जैसी समस्याएं आती हैं।

हारमोन की कमी की जांच

हारमोन की कमी की जांच के लिए कई प्रकार के टेस्ट उपलब्ध हैं। डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री देख कर, शारीरिक जांच करके और लैब टेस्ट्स के माध्यम से आपके हारमोन स्तर की जांच कर सकते हैं।

ब्लड टेस्ट : इस टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर आपके रक्त में हारमोन के स्तर को मापते हैं और किसी भी असमानता की संभावना की जांच कर सकते हैं।

अल्ट्रासाउंड टेस्ट : यह टेस्ट महिलाओं के लिए पीसीओएस की जांच के लिए किया जा सकता है, जिससे डॉक्टर गर्भाशय में किसी भी अनियमितता को पहचान सकते हैं।

स्कैनिंग और एक्स-रे टेस्ट : इन टेस्टों के माध्यम से डॉक्टर शरीर के अंदर की ग्रंथियों और अंगों की स्थिति की जांच कर सकते हैं।

गर्भावस्था में हारमोनल बदलाव

गर्भावस्था में होने वाले हारमोनल बदलाव के कारण कई महिलाएं अलग-अलग अनुभव कर सकती हैं। ये बदलाव सोने-जागने की अवस्था, मूड स्विंग्स और अन्य शारीरिक परिवर्तनों के साथ आ सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान हारमोनल रोग : गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को हारमोनल संतुलन में समस्याएं हो सकती हैं, जैसे गर्भाशय संग्रहण, गर्भाशय ट्यूमर्स और अन्य समस्याएं। इन स्थितियों के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है, ताकि सही समय पर सही उपाय किया जा सके। गर्भावस्था के दौरान हारमोनल बदलाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन सही देखभाल से इस समय को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखा जा सकता है।

स्वस्थ रहने के लिए सुझाव

हारमोन्स का सही स्तर बनाए रखना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां दिए गए कुछ टिप्स आपको स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं-

स्वस्थ आहार : एक बैलेंस्ड और पौष्टिक आहार लेना हमारे हारमोन्स को सही रूप से काम करने में मदद कर सकता है।

नियमित व्यायाम : नियमित रूप से व्यायाम करना भी हारमोन्स को संतुलित रखने में मदद कर सकता है।

पर्याप्त नींद : अच्छी नींद लेना भी हारमोन्स को सुधारने में मदद कर सकता है।

आयुर्वेद में सुझाव दिया जाता है कि सात्विक आहार, सही प्रकार के योगाभ्यास, मेडिटेशन और प्राणायाम हारमोन्स को संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं।

जड़ी-बूटियां : कुछ जड़ी-बूटियों का आयुर्वेद में उपयोग हारमोन्स को संतुलित बनाए रखने में किया जाता है, जैसे अश्वगंधा, शतावरी और ब्राह्मी।

स्ट्रेस मैनेजमेंट : किसी भी किस्म के तनाव को कम करना भी हारमोनल संतुलन में मदद कर सकता है, इसलिए स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीकों को अपनाएं।

हारमोन्स से जुड़ी रिसर्च

हारमोन्स के अध्ययन में नवीनतम अनुसंधान और तकनीकी उन्नति से हम अब अधिक जानते हैं कि ये कैसे काम करते हैं और हमारे स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव डालते हैं। तकनीकी उन्नति ने नए उपचार की दिशा को बदल दिया है।

जेनोमिक्स : जेनोमिक्स के क्षेत्र में अनुसंधान से हमने हारमोन्स की जेनेटिक विश्लेषण में बड़ी प्रगति देखी है, जिससे नए उपचारों का विकास किया जा सकता है।

न्यूरोएंडोक्राइनोलॉजी : न्यूरोएंडोक्राइनोलॉजी न्यूरोलॉजी और एंडोक्राइनोलॉजी को जोड़ता है और दिमाग में चल रही प्रक्रियाओं और हारमोन्स के बीच संबंधों को समझने में मदद करता है।

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