गुवाहाटी का कामाख्या देवी मंदिर कई मायनों में अनूठा है। यह वह जगह है जहां देवी के योनि रूप की पूजा की जाती है। कई रहस्यों, किंवदंतियों और मिथकों का केंद्र है यह शक्तिपीठ। जानिए ऐसे मंदिर के बारे में जहां देवी रजस्वला होती हैं।

यों तो नॉर्थ ईस्ट में घूमने के लिए कई खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं और गुवाहाटी भी आपको उनमें से एक ही लगेगा, जब तक कि आप खुद एक बार यहां आ नहीं जाएंगे। गुवाहाटी आएं और कामाख्या देवी के दर्शन किए बिना लौट आएं, ऐसा कैसे हो सकता है। गुवाहाटी के नीलांचल पर्वत की चोटी पर स्थित है कामाख्या देवी का मंदिर, जिसे भारत के प्रमुख व सबसे शक्तिशाली 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। किंवदंतियों को सच मानते हैं और वेद पुराणों की कथाओं में आस्था है, तो यह वह स्थान है, जहां पर देवी सती के मृत शरीर का योनि भाग गिरा था। यही वजह है कि इस मंदिर में माता के योनि रूप की पूजा की जाती है।
अगर आपने इस मंदिर के बारे में इससे पहले कुछ नहीं सुना है, तो बता दें कि साल में तीन दिनों के लिए इस मंदिर को बंद रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन दिनों में माता रजस्वला होती हैं, जिसकी वजह से मंदिर के पास की नदी का पानी लाल हो जाता है। तीन दिनों बाद उस लाल पानी से भीगा कपड़ा श्रद्धालुओं को दिया जाता है, जिसे लेने के लिए वहां कई किलोमीटर लंबी लाइन भी लगी रहती है।
इस बात में कितनी सचाई है, क्या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है, इस पर बहस करना बेकार है, क्योंकि आस्था तर्कों से परे है। कुछ लोग यह भी आरोप लगाते हैं कि मंदिर के पंडे ही उन दिनों पानी में सिंदूर मिला कर पानी को लाल कर देते हैं, लेकिन जिस तरह से माता के रजस्वला होने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, वैसे ही इस आरोप को भी कोई आज तक सिद्ध तो नहीं कर पाया है। बात चाहे कुछ भी हो, इतना तो तय है कि कामाख्या मंदिर वह जगह है, जहां पर स्त्रीत्व के आगे हर पुरुष नतमस्तक होता है। यह मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है, तो जाहिर सी बात है कि यहां पर आपको भरपूर प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने को मिलेगा, लेकिन यहां पर आपको भीड़भाड़ भी खूब मिलेगी। लगभग 4-5 घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद ही आप यहां पर दर्शन कर पाएंगे। भीड़भाड़ के अलावा मंदिर परिसर में घूमने वाले पंडों पुजारियों के चंगुल में फंसने से भी बचें।
क्या है अंबुवासी पर्व

अंबुवासी पर्व या मेला हर साल जून के महीने में लगता है। कहा जाता है कि यही वह समय है, जब माता रजस्वला होती हैं। इस दौरान गर्भ गृह के कपाट अपने आप बंद हो जाते हैं। इस दौरान गर्भ गृह में सफेद कपड़ा बिछा दिया जाता है। तीन दिन बाद जब कपाट खोले जाते हैं, तो यह वस्त्र माता के रज से लाल हो जाता है। इसे अंबु वस्त्र कहा जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है। इसे लेने के लिए दूर-दूर से आए लोगों को तांता लगा रहता है। तीन दिन तक ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भी लाल दिखायी देता है।
और क्या देखें गुवाहाटी में

गुवाहाटी में देखने के लिए कई खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं। कामाख्या देवी के अलावा उमानंदा आइलैंड पर बने मंदिर में भी जरूर जाएं। ब्रह्मपुत्र नदी के बीचोंबीच एक छोटे से आइलैंड पर यह मंदिर बना हुआ है। यहां तक पहुंचने के लिए बोट राइड भी काफी मजेदार है। इसके अलावा गुवाहाटी प्लेनिटेरियम, नेहरू पार्क, असम स्टेट म्यूजियम, जू व बोटैनिकल गार्डन, पबित्रा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, डिगोली पुखुरी पार्क, एकोलैंड वॉटर पार्क, दीपोर बील लेक, डॉ. भूपेन हजारिका की समाधि भी देखने लायक हैं।

समय निकाल कर फैंसी बाजार जरूर जाएं। यह यहां का सबसे फेमस बाजार है, जहां आपको हैंडीक्राफ्ट से ले कर असम सिल्क तक सब मिल जाएगा। गुवाहाटी पहुंचने के लिए फ्लाइट, ट्रेन, बस सारे विकल्प आसानी से मिलेंगे। कामाख्या देवी मंदिर जाने के लिए पान बाजार से आपको बस, टुकटुक, प्राइवेट टैक्सी आदि मिल जाएंगे।
