चलो, एक छुट्टी ऐसी मनाएं, जिसमें कुदरत के नजारों, उड़ते परिंदों और पेड़ों से आंखें चार हों। एक बार तो यह महसूस करें कि जब कोई पंछी फुर्र से कंधे के पास से गुजरता है, तो क्या लगता है। ऊंची उड़ान से थके-हारे पक्षी जब किसी पेड़ की टहनी पर लैंडिंग करते हैं, तो पेड़ों की सरसराती पत्तियां कैसे उनके पंजे सहलाती हैं। इधर नजर उठी, तो दिखा आसमां में पक्षियों का मार्च पास्ट और उधर पलक झपकी, तो दिखा पूरे हुजूम को चुनौती दे कर एकाकी बेलौस उड़ान भरता कोई आवारा पंछी, जो अगली पलक झपकने तक तालाब के पानी में जा कर गुम हो गया सा लगेगा। नजर वहीं टिकी रही, तो अगले ही सेकेंड गीले पंख झटकाता वही बेलौस आवारा प्राणी किसी अनसुने संगीत पर मटकता हुआ दिखायी देगा। नैनीताल से 15 किलोमीटर दूर बसे पनगोट में इन नजारों के साथ फ्री ऑफर में आपको मिलेंगे घने जंगलों के बीच राहगीरों का इंतजार करती पगडंडियां, आपसे बतियाने को आतुर इन जंगलों में पसरा सन्नाटा और इस सन्नाटे को तोड़ती पहाड़ी झरनों की कलकल...
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पनगोट एक छोटा सा पहाड़ी गांव है। ट्रेकिंग हो या फोटोग्राफी, यहां आ कर आपका हर शौक पूरा होगा। यहां की बर्ड वॉचिंग साइट्स में आपको पक्षियों की लगभग 600 प्रजातियां देखने को मिलेंगी, जिनमें शामिल हैं काला मुर्गा, कोकलास, खेरमुतिया या छोटा बाज, सलेटी पंखों वाली बुलबुल, रेड स्टार्ट, कीटभक्षी, फिंच यानी छोटी चिडि़या, कठफोड़वे की विभिन्न प्रजातियां, कलगीदार चील, कैनरी फ्लाईकैचर, दाढ़ी वाला गिद्ध आदि। जब भी बर्ड वॉचिंग के लिए जाएं, तो बेज, ब्राउन, खाकी, ऑलिव ग्रीन जैसे रंग पहनें, ताकि आप पत्तों के बीच में घुलेमिले से लगें, वरना इस जंगल के वीआईपी मेहमान आपसे मिलने नहीं आएंगे। खास पक्षी आपको अगर ना दिख पाएं, तो भी चीड़, देवदार और लाल बुरांश के पेड़ों से पटे पड़े घने जंगल किसी तोहफे से कम नहीं। पेड़ों के बीच में बनी पगडंडियों पर चलते जाइए, यहां सूरज की रोशनी आपके साथ लुकाछुपी खेलने को आतुर रहती है। कहीं-कहीं जंगल इतने घने हैं कि वहां तक सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती। अप्रैल के महीने में बुरांश के पेड़ लाल फूलों से लद जाते हैं, तो पूरा जंगल लाल दिखता है। यहां पर बुरांश का जूस जरूर पिएं।
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पनगोट में एक दिन ट्रेकिंग और नाइट सफारी के लिए जरूर रखें। लकी हुए, तो जंगल सफारी के दौरान आपको तेंदुआ भी दिखायी दे सकता है। आमतौर पर ये जानवर आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचाते, जब तक कि आप इन्हें ना छेड़ें। इसलिए अगर आपको कोई जंगली जानवर दिखे, तो फोटो जरूर लें, पर दूर से लें।
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बहुत ज्यादा रोमांच पसंद नहीं है, तो ट्रेकिंग के लिए किल्बरी की तरफ जाएं। इस रूट पर आप नैनीताल की चाइना पीक देख सकते हैं। इसका नाम अब नैना पीक कर दिया गया है। पास ही पावलगढ़ गांव है। इसके बारे में कहा जाता है कि यही वह जगह है, जहां जिम कॉर्बेट ने 10 फुट लंबे बाघ को मारा था। लगभग डेढ़ किलोमीटर आगे धमधमियागांव है, जहां आ कर पर्यटक यह भूल ही जाते हैं कि उन्हें ट्रेकिंग के लिए आगे भी जाना है।
खुद को धकेलते हुए आगे बढ़ें, तो अखोरवाड़ी में ब्रेक ले सकते हैं। अखरोट के ढेरों पेड़ होने की वजह से ही इस जगह का नाम अखोरवाड़ी पड़ा है।
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घोरगट्टी के पतले से झरने पर कई जंगली जानवर पानी पीते हुए दिखायी देंगे, वहीं सलीमधर पहुंचने पर कुहरे की चादर में लिपटी हुई घाटी आपकी ट्रेकिंग की थकान मिटा देगी। चाहें, तो ढलाई वाला रास्ता पकड़ कर नैनीताल पहुंच जाएं या फिर पनगोट की तरफ मुड़ जाएं। पनगोट के होटलों और रिजॉर्ट में आपके लिए रात को बॉनफायर का इंतजाम भी हो जाता है। एक रात अलाव जला कर नेचर के सुर के साथ ताल मिलाएं, पेड़ों की पत्तियां और हवा की सरसराहट के बैकग्राउंड म्यूजिक की रिदम में आपके पैर खुदबखुद थिरकने लगेंगे और साथ में डांस करेंगी देवदार और बुरांश की टहनियों पर झूलती पत्तियां और जंगली झाडि़यां।
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पनगोट जाएं, तो ध्यान रखें कि यह इको फ्रेंडली विलेज है, इसलिए यहां पर प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें और यहां-वहां कचरा ना फैलाएं। ट्रेन से यहां आना चाहते हैं, तो काठगोदाम या रामनगर आएं। काठगोदाम से नैनीताल होते हुए और रामनगर से कालाडूंगी होते हुए आप पनगोट पहुंच जाएंगे, वहीं पंतनगर एअरपोर्ट हवाई यात्रा करनेवालों के लिए बेस्ट ऑप्शन है।
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