Thursday 25 August 2022 12:19 PM IST : By Ruby Mohanty

महाबलेश्वर में मनाएं स्ट्रॉबेरी वाली छुटि्टयां

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इन गरमियों में कुछ ऐसी जगहों को देखा जाए, जहां, सपने सच होते दिखायी दें। जी हां, महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित महाबलेश्वर। मंदिर और हिल स्‍टेशन के साथ-साथ यह स्ट्रॉबेरी की नगरी भी है। स्ट्रॉबेरी प्रेमियों के लिए यहां आने का मौसम है अप्रैल से जून तक का। वैसे जुलाई के पहले सप्ताह में भी अच्छा है, क्योंकि यहां की फिजा में स्ट्रॉबेरी की मिठास देखने और चखने को मिलेगी। ये गरमी के महीने स्ट्रॉबेरी की महक से भरे होते हैं, जो बच्चों के साथ-साथ आपको भी दीवाना बना देंगे। 

इस गरमी की छुट्टी मैंने भी स्ट्रॉबेरी के नाम की। दिल्ली से पूना की पौने दो घंटे हवाई यात्रा और पूना से महाबलेश्वर 3 घंटे टैक्सी का सफर...! गरमी बिलकुल भी थकाऊ नहीं थी। पूना से महाबलेश्वर तक की टैक्सी यात्रा बहुत रोचक और मजेदार रही। रास्ते में श्रीराम बेस्ट वड़ा पाव और जोगेश्वरी में मटकी मिसल पाव का स्वाद लिया। वड़ा पाव के साथ जो सिंगदाने की चटनी थी, वह लाजवाब थी। नॉन वेजिटेरियंस को मटन-भाकड़ी या इंद्राणी चावल लुभाता है। अनाज में यहां ज्वार काफी खाया जाता है। भाकड़ी यहां ज्वार या बाजरा की रोटी को कहते हैं। लोकल ड्रिंक में 3 तरह के अलग फ्लेवर ने गरमी महसूस नही होने दी- ताक, जो ताजे हरे धनिए के फ्लेवर के साथ नमकीन छाछ थी। सोल कढ़ी, नारियल के दूध में अदरक, हरी मिर्च और लहसुन का पेस्ट था और कोकम शरबत, जो खट्टे फल कोकम से तैयार होता है।

खुशबूभरी फिजा

हॉलीडे ट्रेवलिंग के इस शॉर्ट ब्रेक के बाद मैंने टैक्सी में फिर से बैठ कर वेस्टर्न घाट का मजा लिया। खम्बात घाट की चिकनी सड़क,जो वनवे है। प्राचीन विशालकाय वटवृक्षों से घिरे छांवदार रास्तों से गरमी का अहसास नहीं होता। कदम-कदम पर रसवंती गृह भी देखने को मिले। गन्ने के रस की छोटी-बड़ी गुमटियां, जहां बच्चों के लिए झूले और बड़ों के लिए गुलाचा चाह, यानी गुड़ की चाय, जो पर्यटकों के लिए सफर में खास है। उसके बाद 10 किलोमीटर तक पसरणी घाट की खूबसूरती देखिए। कम आबादी, जंगल, हल्की ठंडक लिए हुए मीठी बयार के साथ वाई गांव देखने को मिलेगा। वहां का गणेश मंदिर अपनी भव्य खूबसूरत प्रतिमा के लिए मोहित करता है। रास्ते में हल्दी और घर के पिसे मसालों के छोटे-छोटे बोर्ड लगे हुए थे। वहां के लोकल लोगों से पूछने पर मालूम हुआ कि यहां की हल्दी खास किस्म की है, जो शरीर से गरमी और दर्द हरती है। जी हां, 2 पैकेट तो लाना बनता ही है।

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कुछ और आगे बढ़ने पर पंचगनी है, एक से बढ़ कर एक बोर्डिग स्कूल यहां के हॉटस्पॉट हैं। और यहीं से स्ट्रॉबेरी की खुशबू दस्तक देती है। कुछ ही दूरी पर मेपरो गार्डन है, स्ट्रॉबेरी के ये बगीचे विशेष तौर पर बच्चों और पर्यटकों को पसंद आते हैं। यहां पर स्ट्रॉबेरी से तैयार होने वाली टॉफी, चॉकलेट, शरबत, मिठाई, पापड़ी, जेली और भी बहुत कुछ मिलते हैं। यहां आप फ्रेश स्ट्रॉबेरी के खेत देख सकते हैं, चख सकते हैं और अपनी चटोरी सहेलियों के लिए स्ट्रॉबेरी से तैयार चीजें खरीद कर ला भी सकते हैं। वैसे मैंने अपने दोस्तों के लिए स्ट्रॉबेरी के छोटे सॉफ्ट टॉय मेपरो गार्डन से ही खरीदे।

यादों का गोल्डन अलबम

महाबलेश्वर में छोटे-बड़े हर बजट के होटल हैं। बुकिंग पहले से ऑनलाइन हो, तो पहुंच कर रिलैक्स होना आसान होगा। सच तो ये है कि शाम को वेना लेक की बोटिंग आपकी रही-सही थकान उतारने के लिए काफी है। बोटिंग के बाद लेक के किनारे, स्वीट कॉर्न, काले मोटे शहतूत, स्ट्रॉबेरी, रसबेरी, पतले कटे और मसाला लगे कच्चे आम और गाजरों ने वाकई मेरी छुट्टियों की शुरुआत को रसीला और चटपटा बना दिया। समझ ही नहीं आ रहा था, क्या खाऊं? खैर, यह तो शुरुआत थी, मुझे दूसरे दिन का इंतजार था। यहां पर्यटकों के लिए 4 दिन के हिसाब से रोज 800 से 1400 रुपए में 2.30 से 3 घंटे का टूर पैकेज है। पर आपको देखना है आप कितना समय यहां रहना चाहते हैं। एक दिन में आप दो लोकल टूर पैकेज भी ले सकते हैं।

महाबलेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए मैं दोपहर ढलने पर ही गयी। ऐसा लगा, जब गरमी अपने पूरे यौवन पर हो, तो उसे चैलेंज करना ठीक नहीं है। मंदिरों की शृंखला में सबसे पहले अतिबलेश्‍वर मंदिर में शिवलिंग के दर्शन किए। उसके बाद महाबलेश्‍वर मंदिर गयी। यह भगवान शिव का तकरीबन 5000 साल पुराना मंदिर है। दर्शन के बाद पंच गंगा मंदिर देखना ना भूलें। यहां पर कृष्‍णा, सावित्री, वेन्‍ना, कोयना और गायत्री का उदगम स्‍थल है। पांच नदियों की धारा गाय की मूर्ति के मुख से निकलती है। यहां का पानी विशेष पूजा के लिए लोग ले कर आ सकते हैं। इसके बाद करीब 7 किलोमीटर के घुमावदार पहाड़ी रास्‍ते से गुजर कर टैक्‍सी ने हमें पारसी पॉइंट पर छोड़ा। यहां से सीढि़यों से मुझे ऊपर जाना था। गहरी घाटी के किनारे से पहाड़ों का व्यू देखते ही बनता है। सावित्री पॉइंट से सुदूर पहाड़ से निकलती सावित्री नदी की धारा को देखा जा सकता है। घने जंगलों के बीच ये पर्यटन स्थल गरमियों में काफी ठंडक देते हैं। टाइगर स्प्रिंग, टाइगर पॉइंट भी खास हैं। घूमते-घूमते जब शाम हो जाए, तो एक बार सनसेट पॉइंट का आनंद लें और शाम को महाबलेश्वर में बाजार दर्शन और माल रोड का लुत्‍फ जरूर लें। यहां मिट्टी के खिलौने, डमरू, मूर्तियां और बरतन के अलावा कई तरह की चिक्की देखने को मिलेंगी।

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तीसरे दिन सुबह सनराइज पॉइंट से घूमने की शुरुआत कर सकते हैं। उसके बाद आप नीडल होल, एलिफैंट हेड, छोटे-छोटे स्ट्रॉबेरी के खेत में घूम सकते हैं, जहां होममेड फ्रेश स्ट्रॉबेरी आइसक्रीम, शेक और जूस मिलते हैं। मैंने फ्रेश फार्म स्ट्रॉबेरी जूस ट्राई किया। यहां का मिनी कश्मीर शूटिंग पॉइंट अपनी वादियों के लिए काफी महशूर है। यहां अकसर पिक्चर की शूटिंग होती है। आपकी किस्‍मत अच्छी हुई, तो हो सकता है आपको यहां शूटिंग भी देखने को मिल जाए। वैसे खुद भी इन वादियों के वीडियो बना सकते हैं। बहरहाल, इस 3 दिन के ट्रिप के बाद मैंने पूना से शाम की फ्लाइट ली। फ्लाइट में बैठे-बैठे मैं सोच रही थी कि काश ! सभी छोटे-बड़े बच्चों को इस हरीभरी स्‍ट्रॉबेरी की दुनिया में आने का मौका मिलता। यहां आना आसान है, क्योंकि पूना देश के सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन द्वारा भी जुड़ा हुआ है। 

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