नीता लुल्ला को खुद भी यकीन नहीं होता कि उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में चार दशक हो चुके हैं। फिल्म तमाचा से शुरुआत करते हुए उनकी यह यात्रा लमहे, खुदा गवाह, मणिकर्णिका, थलाइवी तक पहुंची। नीता फैशन कोरियोग्राफर थीं, फिर उन्हें फैशन डिजाइनिंग की समझ हुई। एक बार ब्राइडल कुटूर में हिस्सा लिया और फिर उनके कदम फैशन डिजाइनिंग में बढ़ गए।
परिवार के सपोर्ट से आगे बढ़ना आसान हुआ
नीता कहती हैं, ‘‘जब मैं इस फील्ड में आयी तो परेशानियों के साथ झिझक भी थी। लेकिन मेरे सीनियर डिजाइनर झर्केस बथना थे, जो पहली बार चमकीली-ग्लैमरस ड्रेसेज लेकर आए, लोगों ने इन्हें पसंद भी किया। इससे मेरी हिचक खुली। मैं छोटी-छोटी बातों से नहीं घबराती। मैं आज जहां भी हूं, उसमें मेरे पति डॉ. श्याम लुल्ला और ससुर जी जो डॉक्टर हैं, का हाथ है। मैं केवल 10वीं तक पढ़ी, फिर शादी हो गई। ससुर जी ने कहा कि मुझे कोई हॉबी रखनी चाहिए। डॉक्टर्स बहुत व्यस्त रहते हैं, मैं घर पर बोर हो जाती। कुकिंग का शौक मुझे नहीं था तो सोचा सिलाई सीख लेती हूं। ससुर जी ने कहा कि इसे प्रोफेशनली सीखो तो टेलरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। धीरे-धीरे दिलचस्पी बढ़ी और मैं कॉलेज में टॉप 4 में थी।’’
पहले ही काम में आयीं दिक्कतें
नीता लुल्ला को अपने सिलेबस से ज्यादा स्टूडेंट्स के कपड़े व आउटफिट्स के फोटोज देखने में दिलचस्पी रहती थी। वह हर कपड़े को अॉब्जर्व करती थीं। शुरुआत में गलतियां भी हुईं। पहला ही कॉस्ट्यूम बिगड़ गया। सुबह 11 बजे तक उसकी डिलीवरी होनी थी, बहुत खराब हालत में ड्रेस लेकर टेलर मास्टर के पास पहुंचीं, पूरी रात बैठ कर सिलाई उधाड़ी, नये सिरे से ड्रेस बनी, अगले दिन सुबह 11 बजे से पहले उसकी डिलीवरी कर दी। नीता कहती हैं, ‘‘फिल्म के लिए कॉस्ट्यूम्स बनाने में कई बातें ध्यान रखनी होती हैं। डाइरेक्टर का विजन, सीन, एक्टर, किरदार क्या हैं, डीओपी (डाइरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी ) किस कलर कॉर्डिनेशन पर सोच रहे हैं...ऐसी कई बातों पर विचार करने के बाद ड्रेस बनती है।’’
श्रीदेवी ने हमेशा प्रोत्साहन दिया
नीता कहती हैं, ‘‘मैं शुक्रगुजार हूं श्रीदेवी की, जिन्होंने मुझे हमेशा अपनी फिल्मों और स्टेज शोज के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन करने का मौका दिया। हीर रांझा, चांदनी, लमहे, खुदा गवाह जैसी तमाम फिल्मों में मैंने कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग की। ‘खुदा गवाह’ के लिए काफी रिसर्च करनी पड़ी। दूसरी ओर देवदास के लिए माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्या के लिए ड्रेस बनाना बड़ी जिम्मेदारी थी।’’ नीता अभी हिन्दी व साउथ फिल्मों में कॉस्ट्यूम डिजाइन कर रही हैं। वे अपने अनुभवों को लिपिबद्ध करना चाहती हैं।
बॉलीवुड और टॉलीवुड फिल्मों में बेहतरीन कॉस्ट्यूम्स के साथ सितारों को खूबसूरत स्टाइल व लुक के साथ उनकी अलग पहचान बनाने का श्रेय मशहूर फैशन डिजाइनर नीता लुल्ला को जाता है। उनके फिल्मी कैरिअर को 40 साल पूरे हो गए हैं, साथ ही उनके डिजाइन किए हुए कॉस्ट्यूम्स की संख्या भी 400 पार कर गई है। टाइमपास के लिए शुरू हुई एक ट्रेनिंग ने नीता को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया।
पैशन हो तो उम्र बेमानी है
मेरा दिन सुबह जल्दी शुरू हो जाता है। मैं सुबह मेडिटेशन और योग करती हूं, इसी बीच दिन भर के क्रिएटिव आइडियाज दिमाग में आने लगते हैं। किस ड्रेस को कैसे इनोवेटिव बनाऊं, फैब्रिक कैसा लूं, कैसे नयापन लाऊं...ये सारी बातें दिमाग में घूमने लगती हैं। यही मेरी ऊर्जा है, जिससे मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। कुछ लोग मानते हैं कि 50 की उम्र के बाद काम करने की क्षमता कम होने लगती है लेकिन मैं इस धारणा को खारिज करती हूं। अपने काम के प्रति पैशन है तो उम्र मायने नहीं रखती।