Tuesday 02 March 2021 11:43 AM IST : By Abha Shrivastava

पर्यावरण बचाने व महिलाओं को रोजगार देने का काम कर रही हैं लखनऊ की अंजलि सिंह

anjali-1

पर्यावरण का संरक्षण आज के समाज के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। अंधाधुंध भागती इस दुनिया में विकास के जो काम हुए उनके आगे पर्यावरण के लिए की गयी कोशिश काफी नहीं है। लेकिन तरक्की और पर्यावरण की इस खींचतान के बीच समाज में आज भी कुछ लोग हैं, जिन्होंने अपने मजबूत इरादों और नजरिए से उम्मीद की किरण को जलाए रखा है। पर्यावरण बचाने के साथ महिलाओं को आगे बढ़ाना व सशक्तीकरण, ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाना तथा मिलजुल कर रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा को बढ़ावा देना- यह सबसे सही परिचय है अंजलि सिंह का।

इंदिरानगर, लखनऊ स्थित जूट आर्टिजन गिल्ड एसोसिएशन की संस्थापक अंजलि सिंह पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार काम कर रही हैं। इनकी संस्था में जूट से बनी अनेक चीजें तैयार की जाती हैं। पर्यावरण के गिरते स्तर को देखते हुए कई राज्यों द्वारा प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है, ऐसे में इस संस्था द्वारा बनाए गए जूट के प्रोडक्ट एक बेहतर विकल्प के रूप में अपनाए जा रहे हैं।

मुश्किल राहें, सकारात्मक दृष्टिकोण

अंजलि के पिता ने रिटायरमेंट के बाद राष्ट्रीय जूट बोर्ड की सहायता से एक एनजीओ आरंभ किया, जिसका उद्देश्य गांव के लोगों को जूट से बनी चीजें बनाने की ट्रेनिंग देना था, जिससे वे इस कुटीर उद्योग के माध्यम से अपनी कला को रोजगार से जोड़ सकें। गांव की स्त्रियों तथा उनके बच्चों के मुश्किल हालात देख कर अंजलि उनके बारे में सोचने पर मजबूर हुईं। यह उनके जीवन का एक संतोषजनक बदलाव था। एक चीनी कहावत ‘रोटी देना उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना रोटी कमाने की कला को सिखाना’ को अंजलि ने अपनी कार्यशैली बना लिया। उन्होंने ग्रामीण स्त्रियों को अपनी संस्था से जुड़ने के लिए प्रेरित किया, ताकि वे आर्थिक रूप से सक्षम हो सकें।

वे यहीं नहीं रुकीं, इसे मूर्त रूप देने के लिए सोचा और जूट बैग उत्पादन के लिए एक इकाई स्थापित की। इसके बाद उन्होंने गांव की स्त्रियों से संपर्क साध कर इस हुनर को सीखने का हौसला दिया। वर्ष 2009 में इन्होंने जूट बैग्स के कुछ नमूने तैयार किए और इस तरह इनकी ‘जूट फॉर लाइफ’ की यात्रा शुरू हुई।

anjali-3

प्रतिदिन अंजलि अपनी स्कूटी से लखनऊ शहर के दफ्तरों, कॉलेजों, संस्थानों के चक्कर लगातीं और जूट के बैग्स के नमूने वहां दिखातीं। उन्हें पहला ऑर्डर लखनऊ विश्वविद्यालय से मिला। यह सफलता की पहली सीढ़ी थी। अपनी बचत से उन्होंने जूट बनाने के लिए कुछ विशेष प्रकार की मशीनें खरीदीं। अंजलि की संस्था में सीखने हेतु कुछ और ग्रामीण स्त्रियां शामिल हुईं और इस तरह संस्था आगे बढ़ने लगी। जैसे-जैसे ऑर्डर मिलने शुरू हुए, अंजलि को लोन भी लेना पड़ा। उनकी सारी जमापूंजी भी इस काम में लग चुकी थी। हालांकि यात्रा कठिन थी, किंतु हौसले बुलंद थे। गांव की महिलाओं काे अपने पैरों पर खड़ा करना अंजलि के जीवन का लक्ष्य बन चुका था।

सफलता की ओर

अब तक अंजलि के कार्य और संस्थान को एक पहचान मिल चुकी थी। गांव की महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध करने के अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने की दिशा में एनएसआईसी की सहायता से उन्होंने 4 अन्य गांवों में 4 यूनिट और लगायीं और उनके इस प्रयास से लगभग 250 ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिला।

anjali-singh

आज अंजलि का जूट आर्टिजंस गिल्ड एसोसिएशन एक जाना-पहचाना ब्रांड बन चुका है, जिसमें 6 से 7 लाख जूट बैग्स हर वर्ष बनाए जाते हैं। हाल ही में इन्होंने नया ब्रांड ‘जूट फॉर लाइफ’ आरंभ किया है। यहां जूट के बने सामान का निर्यात जापान और यूरोप जैसे देशों में किया जाता है। इनकी संस्था द्वारा लखनऊ जिले में लगभग 5000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। अंजलि का कहना है, ‘‘पुरुष प्रधान इस समाज में महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक बनाने के उद्देश्य से मैंने यह काम शुरू किया है।’’

जूट व्यवसाय के माध्यम से अंजलि महिला उत्थान के सामाजिक दायित्वों को आगे बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की मुहिम में जुटी हुई हैं। नीदरलैंड की संस्था ‘वुमन ऑन विंग्स ग्रुप’ ने उनके साथ हाथ मिलाया है। इसके माध्यम से ग्रामीण महिला वर्ग के आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में सुधार के प्रयासों में सहयोग तथा भागीदारी किए जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। अंजलि के कामों को देखते हुए अमेरिका के दूतावास पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित किया गया। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। ‘फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन’ ने इनके कार्य को स्तरीय बताने के साथ साथ-साथ इनकी संस्था को ‘प्रेफर्ड वर्कप्लेस फाॅर वुमन’ के रूप में प्रमाणित किया है। इनके ‘जूट फाॅर लाइफ’ के काम को साइबेरिया के जर्नल में प्रकाशित भी किया गया है।

अपनी कोशिशों और सकारात्मक सोच के साथ अंजलि ने जो स्थान हासिल किया है, वह केवल प्रशंसा के लायक ही नहीं, वरन अनुकरणीय भी है। उनके द्वारा नयी पीढ़ी के लिए स्पष्ट संदेश है- यदि इरादे पक्के हों और नीयत साफ हो तो लक्ष्य को प्राप्त हो ही जाता है।