Monday 18 January 2021 12:22 PM IST : By Nishtha Gandhi

कैसे तैयार करें फैमिली का इमरजेंसी फंड

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बदलते हालात ने हमें यह तो सिखा दिया है कि आनेवाले समय में हमें किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। जैसे अचानक से नौकरी छूट जाना, सैलरी में कटौती हो जाना, किसी बीमारी के कारण हॉस्पिटल में एडमिट होना, कुछ खास चीजों के खर्चे बढ़ जाना आदि। ऐसी इमरजेंसी के लिए अगर आप पहले से तैयारी करके रखें, तो मौके पर पैनिक होने से बचे रहेंगे। यह भी ध्यान रखें कि इमरजेंसी फंड रातोंरात खड़ा नहीं होता। अगर अभी तक आपने अपनी सेविंग्स को ले कर कोई प्लॉनिंग नहीं की है, तो फौरन करना शुरू कर दें। यह भी ना भूलें कि बैंक में पैसा रखना समझदारी नहीं है, क्योंकि बैंक आमतौर पर आपको 2-3 पर्सेंट तक ही ब्याज देते हैं और एक लाख से ऊपर की ब्याज रकम पर आपको टैक्स भी देना पड़ जाएगा। अपनी बचत के पैसों को समय-समय पर किसी ऐसी जगह पर इंवेस्ट करते रहें, जहां से अच्छा रिटर्न मिले।

कितनी बचत जरूरी है

- सबसे पहले तो यह समझें कि आपके पास कम से कम इतनी रकम होनी चाहिए, जिससे लगभग 6 महीने तक के सभी जरूरी खर्चे पूरे हो सकें। इसके लिए सबसे पहले अपने हर महीने के खर्च का हिसाब रखें। उसमें से बेवजह के खर्चे निकल दें, लेकिन लोन की किस्तें, बिजली और पानी के बिल, जरूरी दवाएं जैसे खर्चे जरूर शामिल करें।

- हो सके तो इस इमरजेंसी फंड में से मेडिकल एक्सपेंस को अलग रखें। आपने पूरे परिवार का मेडिकल इंश्योरेंस करवा रखा है, तो उसे इमरजेंसी फंड से अलग रखें। हां इंश्योरेंस के प्रीमियम के भुगतान को आप अपने इमरजेंसी फंड के खर्च में शामिल कर सकते हैं।

- इमरजेंसी फंड खड़ा करने के लिए आपको अपने रोजमर्रा के खर्चों मेें कुछ कटौती करनी होगी। इसके लिए एक अकाउंट अलग से बनाएं और आपने अपनी रूटीन सेविंग के अलावा जो रकम बचायी है, उसे इस अकाउंट में ट्रांसफर करें। जब इस अकाउंट में 20-25 हजार रुपए जमा हो जाएं, तो इन्हें किसी ऐसे प्लान में इंवेस्ट करें, जहां से आपको अच्छा रिटर्न मिले।

किस प्लान में कैसा रिटर्न

पीपीएफ : पीपीएफ यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड सबसे ज्यादा आम सेविंग स्कीम है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप इस अकाउंट को 100 रुपए की रकम से खोल सकते हैं और इसमें साल के 500 रुपए से ले कर डेढ़ लाख रुपए तक जमा कर सकते हैं। इसकी ब्याज दर भी अच्छी है। यह 7.9 परसेंट सालाना की दर से ब्याज देता है। लेकिन इसका सिर्फ यही नुकसान है कि आप इस अकाउंट में से 7 साल से पहले रकम नहीं निकाल सकते हैं, वह भी सारी रकम निकाली नहीं जा सकती। महिलाएं पीपीएफ अकाउंट को बेटियों की शादी की तैयारी या बच्चों की पढ़ाई के खर्चे पूरे करने के लिए खुलवा सकती हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इस अकाउंट में की जाने वाली सेविंग्स, इस पर मिलनेवाला ब्याज और अकाउंट मैच्योर होने पर मिलनेवाली रकम भी टैक्स फ्री है।

समझदारीभरा फैसलाः हर महीने 500 रुपए पीपीएफ अकाउंट के लिए अलग रखें। अगर यह भी मुश्किल लगता हो, तो जितनी राशि निकाल सकती हैं, निकालें। जब 500 रुपए हो जाएं, तो उन्हें पीपीएफ अकाउंट में जमा करवा दें। इसके अलावा त्योहारों या जन्मदिन पर तोहफे के रूप में बच्चों को अगर कोई नकद रकम मिलती है, तो उसे भी बच्चों के नाम से पीपीएफ अकाउंट में जमा करवाएं। बच्चों के बड़े होने पर यह रकम काम आएगी।

फिक्स्ड डिपॉजिटः फिक्स्ड डिपॉजिट भी हमेशा से बचत का ऐसा साधन माना जाता है, जो महिलाअों के दिल के सबसे करीब है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि अब बैंक तरह-तरह की एफडी स्कीम ले कर आ रहे हैं। आप एक महीने के लिए भी एफडी करवा सकती हैं। लंबे समय तक एफडी करवायी हो, तो आप जरूरत पड़ने पर इससे लोन भी ले सकती हैं।

समझदारीभरा फैसलाः अगर लगे कि एक-डेढ़ साल में किसी रकम की जरूरत पड़ सकती है, जैसे कि घर की डाउन पेमेंट, घर में कोई शादी, बच्चों की हायर एजुकेशन का खर्च, तो थोड़े समय के लिए एफडी करवाएं।

इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम: यह एक तरह से म्यूचुअल फंड की सेविंग स्कीम है। खासतौर से वर्किंग वुमन के लिए यह फायदेमंद टैक्स सेविंग स्कीम है। इसमें डेढ़ लाख रुपए तक की सेविंग पर आपको टैक्स नहीं देना पड़ता। आप चाहें, तो इसमें एकमुश्त रकम या फिर सिस्टमैटिक इंवेस्ट प्लान (सिप) के जरिए छोटी रकम इंवेस्ट कर सकती हैं।

समझदारीभरा फैसलाः आमतौर पर इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम में 3 साल कंपल्सरी लॉकइन पीरियड होता है, लेकिन इसमें आपको अच्छा रिटर्न मिलता है। अगर किसी पॉलिसी के मैच्योर होने या फिर जॉब चेंज करनेे पर आपको एकमुश्त रकम मिली है, तो बिना समय गंवाए उस रकम को ऐसी स्कीम में इंवेस्ट कर सकती हैं।

पेंशन स्कीम : पेंशन स्कीम में पैसा लगाना नौकरीपेशा लोगों के लिए बहुत जरूरी है, खासकर जब किसी प्राइवेट सेक्टर में काम करते हों और ऑफिस की तरफ से पीएफ या पेंशन की सुविधा ना दी जा रही हो। अलग-अलग बैंक, पोस्ट ऑफिस के अलावा सभी इंश्योरेंस कंपनियां पेंशन प्लान देंगी। इनकी किस्तों का भुगतान भी अलग-अलग तरह से किया जाता है। कुछ कंपनियां सारी रकम लगातार 3-4 साल तक ले लेती हैं, तो कुछ में लंबे समय तक छोटी रकम की किस्तें देनी होती हैं। इन्हें आप अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकती हैं।

समझदारीभरा फैसलाः पेंशन प्लान नौकरी के शुरुआती समय में ही ले लेना चाहिए। उस समय उम्र और जिम्मेदारियां दोनों ही कम होती हैं। इनका प्रीमियम भी जल्दी दे कर खत्म कर दें, ताकि लॉकइन पीरियड भी जल्दी खत्म हो जाए। मान लीजिए, आपने 25 साल की उम्र में कोई प्लान ले लिया, जिसका भुगतान भी 5 साल के अंदर कर लिया हो, तो लॉकइन पीरियड भी 15-20 साल के अंदर खत्म हो जाएगा। यानी जब तक आपकी उम्र अधिकतम 45 वर्ष होगी, यह प्लान रिटर्न देना शुरू कर देगा। इस रकम को फिर आप किसी शॉर्ट टर्म प्लॉन में भी इंवेस्ट कर सकती हैं।