Wednesday 22 November 2023 03:49 PM IST : By Indira Rathore

आपकी मेकअप किट में क्या है

dhoop-1

ज्यादा वक्त नहीं गुजरा, जब शादी में लड़कियों का मेकअप उनकी दीदी या सहेलियां किया करती थीं। मेहंदी के झाड़ से पत्तियां ला कर पीसी जातीं, घरेलू उबटन दुलहन के चेहरे और शरीर पर लगाए जाते। शादियां तब आज की तरह इवेंट नहीं हुआ करती थीं और फोटोग्राफर-वीडियोग्राफर भी हर मोमेंट को कैमरे में कैद करने की आपाधापी में नहीं रहते थे। मगर अब प्री-वेडिंग और वेडिंग शूट्स पर लाखों का वारा-न्यारा होता है। बेशक शादियों की उम्र छोटी होने लगी हो, मगर शादी का मार्केट खूब फल-फूल रहा है। सेलेब्स को तो छोड़िए, आम लड़कियों की शादी में भी वेडिंग लहंगे, साड़ी या गाउन पर लाखों और मेकअप पर हजारों खर्च होना नॉर्मल लगने लगा है। दूसरी ओर अच्छा बदलाव यह है कि लड़कियां कैरिअर के लिए मेहनत कर रही हैं, अपने पैरों पर खड़ी हैं, ना सिर्फ अपने खर्चे उठा रही हैं, बल्कि परिवार की जिम्मेदारियों में भी हाथ बंटा रही हैं। कमानेवाली इस पीढ़ी के पास खर्च करने की कूवत भी है। जाहिर है, वे अपने सौंदर्य, फिटनेस और हेल्थ पर इन्वेस्ट कर रही हैं।

प्रेजेंटेबल दिखने की चाह

पूरी ब्यूटी इंडस्ट्री इसी मिलेनियल जेनरेशन के दम पर फल-फूल रही है। दिल्ली मेट्रो के लेडीज कोच में कुछ दृश्य बहुत आम दिखने लगे हैं। सीट पर बैठते ही लड़कियां बैग खोल कर मेकअप किट निकालती हैं। मोबाइल का फ्रंट कैमरा ऑन करके लिप शेड, काजल, आई लाइनर, आई शैडो लगाती हैं। रंगबिरंगी कलर पैलेट से ब्रश की मदद से पूरे चेहरे पर मेकअप करती हैं। सुंदर या प्रेजेंटेबल दिखना अब सिर्फ रिसेप्शन, फ्रंट ऑफिस, होटल या फ्लाइट अटेंडेंट जैसे प्रोफेशंस के लिए ही जरूरी नहीं समझा जाता, बल्कि हर फील्ड में यह प्रोफेशनल जीवन का जरूरी हिस्सा समझा जाने लगा है। बाजार डिमांड और सप्लाई के आधार पर चलता है। कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की डिमांड तेजी से बढ़ रही है, इसका साफ मतलब है कि इसका मार्केट बूम कर रहा है। रोज नए-नए खिलाड़ी इस फील्ड में किस्मत आजमा रहे हैं, पैसा लगा रहे हैं और कारोबार का विस्तार कर रहे हैं। कई सेलेब्रिटीज के अपने ब्यूटी ब्रांड्स हैं। इनमें कैटरीना कैफ, प्रियंका चोपड़ा, लीजा हेडन, लारा दत्ता और सनी लियोनी जैसे कई नाम शामिल हैं।

ब्रांड्स का जोर पुरुषों पर भी

भारत सहित दुनिया भर में कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ी है। गौर करें तो पाएंगे कि पिछले कुछ समय में जितनी संख्या में जिम या हेल्थ सेंटर्स खुले हैं, उससे थोड़ा ज्यादा ही पार्लर्स या सैलून खुले हैं। ग्लोबल स्किन केअर और ब्यूटी इंडस्ट्री का मार्केट 100 बिलियन डॉलर से अधिक का हो चुका है। नवंबर 2022 के एक सर्वे के मुताबिक औसत अमेरिकन इन प्रोडक्ट्स पर साल भर में 722 डॉलर से अधिक खर्च करता है। 2019-20 में कोरोना ने इंडस्ट्री पर नकारात्मक प्रभाव डाला था, लेकिन अब जबकि वर्क फ्रॉम ऑफिस शुरू हो चुका है, तो ना सिर्फ लड़कियों बल्कि पुरुषों से जुड़े कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का बिजनेस भी जोर पकड़ रहा है। बताया जा रहा है कि मेल ग्रूमिंग प्रोडक्ट्स का बाजार दस हजार करोड़ से कहीं ज्यादा हो चुका है। लगभग हर पांचवां प्रोडक्ट पुरुषों के लिए लॉन्च हो रहा है। कुल मिला कर पूरी कॉस्मेटिक इंडस्ट्री अगले 7 सालों में यानी वर्ष 2030 तक लगभग 276 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।

लिप व नेल प्रोडक्ट्स में तेजी

कंतार वर्ल्डपेनल की स्टडी में कहा गया है कि महज पिछले 6 महीनों में ही भारत में ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर 5000 करोड़ से अधिक खर्च किए गए। इनमें भी 40 प्रतिशत खरीदारी ऑनलाइन हुई है। इस खरीदारी में कामकाजी स्त्रियों की संख्या सर्वाधिक है। दुनिया के स्तर पर बात की जाए, तो एशिया पहले से ही खूबसूरती के इस बाजार का केंद्र बना रहा है। दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने ट्रेंड सेट किया है। आज कोरियन ब्यूटी प्रोडक्ट्स की डिमांड दुनिया भर में बढ़ रही है। इसकी एक वजह है इनके प्रचार-प्रसार में प्राकृतिक और हर्बल तत्वों के होने की बात पर महत्व देना। कंतार वर्ल्डपेनल की स्टडी के अनुसार सबसे ज्यादा बिकनेवाले प्रोडक्ट्स में लिप और नेल प्रोडक्ट्स हैं। लिपस्टिक और नेल पॉलिश की खरीदारी बड़ी उम्र की महिलाएं ज्यादा कर रही हैं, जबकि यंग जेनरेशन प्राइमर, टिंटेड लिप बाम और काजल अधिक खरीद रही है। आई शैडो और कंसीलर्स की बिक्री भी खूब हो रही है। कॉलेज जानेवाली महानगरीय लड़कियां लिप बाम और काजल पर खर्च करती हैं। माना जाता है कि अमूमन शहरी लड़कियां साल में कम से कम 3 बार पार्लर जाती ही हैं। एक बार में 500 या 1000 तक औसतन खर्च होता है। थ्रेडिंग, वैक्सिंग या हेअर कट नियमित कराती हैं, जबकि हेअर ट्रीटमेंट, स्पा, फेशियल आदि खास ओकेजंस पर कराए जाते हैं। शॉपर्स स्टॉप के अनुसार इस वर्ष की तीसरी तिमाही तक उनके यहां लगभग डेढ़ लाख मेकओवर्स हुए हैं।

नेचुरल-हर्बल को महत्व

dhoop-2

कोरोना के बाद लोगों ने अपनी सेहत को ले कर सोचना शुरू किया है। इसका प्रभाव जीवन के हर पहलू पर दिखता है। लोग शाकाहार की ओर बढ़े हैं, क्लीन, नेचुरल या नो मेकअप लुक की ओर लड़कियों का ध्यान गया है, जिम और योग सेंटर्स में भी उनकी संख्या बढ़ी है। ब्यूटी प्रोडक्ट्स में भी हर्बल और नेचुरल के प्रति महिलाओं का लगाव बढ़ा है। महिलाओं की मांग के मुताबिक ही अब स्टोर्स में पेराबीन, सल्फेट, अमोनिया, सिंथेटिक या थैलेट्स-फ्री प्रोडक्ट्स बढ़ रहे हैं। इको फ्रेंड्ली पैकेजिंग पर भी ब्रांड्स ध्यान दे रहे हैं। मार्केट रिसर्च फर्म टेकसाई.रिसर्च के मुताबिक अगले 3 वर्षों के भीतर ऑर्गेनिक पर्सनल केअर प्रोडक्ट्स का मार्केट 1239 मिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। बिजनेस न्यूजपेपर द इकोनॉमिक टाइम्स के सर्वे के मुताबिक 71 प्रतिशत लोग उन फेस क्रीम और लोशंस को चुन रहे हैं, जिन पर नेचुरल लिखा है। वे स्किन फ्रेंड्ली, केमिकल फ्री और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की ओर बढ़ रहे हैं। लोग अब ना सिर्फ अपनी स्किन, बल्कि पर्यावरण को ले कर भी जागरूक हैं। इसलिए सस्टेनेबल ब्यूटी सॉल्यूशंस लोकप्रिय हो रहे हैं। नेचुरल-ऑर्गेनिक मेकअप, इको फ्रेंड्ली इंग्रीडिएंट्स, रीयूजेबल पैकेजिंग जैसी बातें ब्यूटी वर्ल्ड में खूब सुनायी दे रही हैं।

लेबल जरूर देखें

नेचुरल या हर्बल प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ी है, लेकिन इन पर आंख मूंद कर भरोसा कर लेना समझदारी नहीं है। मसलन, प्लास्टिक ट्यूब्स या पैकेजिंगवाले प्रोडक्ट्स खरीदना तो गलत है। इसी तरह बिना लेबल पढ़े प्रोडक्ट लेना भी सही नहीं है। अच्छा हो अगर रीसाइकिल्ड और बायोडिग्रेडेबल मटीरियल्स से बने प्रोडक्ट्स लें। द सन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कई बार प्रोडक्ट में ऐसे हानिकारक तत्व होते हैं, जो स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। प्रोडक्ट रिव्यूअर और लॉयर एंजेला कहती हैं कि कुछ खास प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ओकेजनली होना चाहिए, जैसे वॉटरप्रूफ मस्कारा। इसे बनाने में पर-एंड-पॉली-फ्लोरो अल्काइल सब्सटेंसेस (पीएफएएस) एड करने पड़ते हैं, जो लंबे समय तक प्रोडक्ट को सुरक्षित रखने के लिए होते हैं। लेकिन ये खतरनाक पदार्थ हैं, जो किडनी, हाई कोलेस्ट्रॉल, इनफर्टिलिटी और ब्रेन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा ड्राई शैंपू में भी बेंजीन नामक हानिकारक रसायन होता है, जो कार्सिनोजेन है और इसके अधिक संपर्क में रहने से टॉक्सिन्स पैदा होते हैं, जो सांस के जरिए शरीर में पहुंचते हैं, इससे ल्यूकेमिया व डीएनए को नुकसान हो सकता है। हेअर स्ट्रेटनिंग वाले केमिकल्स में पैराबीन्स, बिस्फेनॉल ए और फार्मेल्डिहाइड जैसे हानिकारक केमिकल्स शामिल होते हैं, जो सिर की स्किन में चले जाते हैं। इससे कुछ खास तरह के कैंसर्स की आशंका हो सकती है।

देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है कि ब्यूटी मार्केट बढ़ रहा है, मगर उपभोक्ता के तौर पर सोच-समझ कर खर्च कैसे किया जाए, यह जानना भी जरूरी है। खर्च करें, लेकिन अपने स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं।