Friday 05 February 2021 04:32 PM IST : By Deepti Mittal

लव यू पारोमिता (अंतिम भाग)

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अगली रेकॉर्डिंग में विशाल शलभ के पास बहुत परेशान बैठा था और उसकी सलामती की दुआ कर रहा था... तभी वहां पर रितेश आया और सहानुभूति दिखाते हुए शलभ के हालचाल पूछने लगा। वह विशाल को भड़काने लगा कि कैसे शलभ को उसकी फीमेल बॉस ने अपने जाल में फंसाया हुआ है और वह उसका फायदा उठा रही है, साथ ही प्रमोशन के नाम पर उसे वर्कप्रेशर से लादा हुआ है, इसी कारण उसका यह हाल हुआ।

रितेश ने ही विशाल के कान भरे कि अगर वह कंपनी पर और उसकी बॉस पर केस कर दे तो उसे करोड़ों का हर्जाना मिल सकता है। साथ ही वह विशाल को आश्वासन भी दे रहा था कि वह उसके लिए पर्याप्त सबूत जुटा देगा और उन सबूतों को इतना वायरल कर देगा उसका केस बहुत सॉलिड हो जाएगा... यह देख कर तो पारोमिता और शलभ के पैरों तले की जमीन निकल गयी।

“बास्टर्ड कहीं का, मेरे पास मेरा वेल विशर बन कर आया था और कितना कमीना निकला... जरूर वह मार्फ्ड फोटोज भी यही वायरल कर रहा था...” मैं आज ही यह इनपुट साइबर क्राइम ऑफिसर को दे दूंगी,” पारोमिता गुस्से से फुफकारने लगी।

रेकॉर्डिंग में आगे वह विशाल से डील कर रहा था कि उसकी मदद से उसे जो मोटा हर्जाना मिलेगा, उसमें से एक करोड़ उसका हिस्सा होगा... साथ ही यह भी कि उसका कहीं नाम नहीं आना चाहिए, वरना उसकी नौकरी चली जाएगी। काफी समझाने के बाद विशाल उसकी बात मान गया।

काफी कुछ क्लीयर हो गया था, मगर शलभ को यह सवाल खाए जा रहा था कि उसका बड़ा भाई बजाय अपराधी को ढ़ूंढ़ने के सिर्फ हर्जाने के पैसो के पीछे क्यों पड़ा था?

“इसका जवाब भी है मेरे पास,” डॉक्टर अनिमेष बोले, “तुम्हारे भैया बिजनेस लॉस के कारण पूरी तरह से कर्ज से डूबे हुए हैं, यह बात उन्होंने मुझे बतायी थी कि वे हॉस्पिटल का बिल चुकाने की हालत में बिलकुल नहीं है इसलिए अगर शलभ के बचने के चांस नहीं हैं, तो वह उसका लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा दें। तब मैंने उन्हें समझाया था कि शलभ की ट्रीटमेंट की चिंता मुझ पर छोड़ दें। शायद इसीलिए उन्होंने पुलिस कंप्लेंट करने के बजाय इस स्थिति को अपने कर्ज उतारने के लिए यूज करना ज्यादा बेहतर समझा...”

“चलो फाइनली सब क्लियर हुआ और सबसे बड़ी बात, शलभ ठीक हो गया।”

‘‘नहीं, अभी भी कुछ है जो तुम्हें देखना है...,’’ डॉक्टर अनिमेष ने अगली रेकॉर्डिंग चला दी।

रितेश एक बार फिर शलभ के कमरे में आया था। उस वक्त वहां कोई नहीं था। वह शलभ के पास आ कर बुदबुदा रहा था, “मेरे दोस्त, अब मुझसे तुम्हारा दुख देखा नहीं जाता... तुम मुक्त हो जाओ... तुम्हारी मुक्ति में सभी की भलाई है... विशाल भइया की, आशना की और मेरी भी... तुम जाओगे तो मुझे तुम्हारे भाई से एक करोड़ मिलेगे, आशना को भी अपने झूठ की कुछ तो कीमत मुझे देनी ही होगी... यह दुनिया रहने लायक नहीं है दोस्त, यहां सब फरेबी हैं... तुम जाओ दूसरी दुनिया में, जो जरूर यहां से बेहतर होगी...” कहते हुए उसने शलभ के लाइफ सपोर्ट सिस्टम का स्विच बंद कर दिया और वहां से निकल गया। अनिमेष का असिस्टेंट जो हर वक्त कैमरे पर नजर रखे हुए था उसने तुरंत वहां आ कर वह स्विच ऑन कर दिया था।

अब सब कुछ साफ था। इतने हादसों से गुजर शलभ बहुत टूटा हुआ महसूस कर रहा था, बीमारी से ज्यादा तकलीफ अपनों का यह रूप देख कर हो रही थी। मगर पारोमिता के प्यारभरे स्पर्श ने उसे संभाल लिया। वह उसके कंधे पर सिर रख कर रो पड़ा, तो वह भी पिघल गयी, “कोई और हो या ना हो शलभ, तुम्हारी मीता हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी... तुम्हारा साया बन कर... तुम्हारी दोस्त बन कर... और हमसफर भी...”

“बहुत नेक विचार है पारोमिता जी आपका, इस पर टिके रहिए... अब मैं आप दोनों को कुछ स्पेस देता हूं और पुलिस को कॉल कर लेता हूं, ताकि जो भी लोग इस केस में इन्वॉल्व हैं, उन्हें अपने किए की सजा जरूर मिले...। एक बात और, रूम से कैमरे हटा लिए गए हैं, अब कोई रेकॉर्डिंग नहीं हो रही है सो कैरी ऑन...” डॉ. अनिमेष हंसते हुए रूम से बाहर चले गए। शलभ और उसकी मीता फिर एक बार एक-दूसरे की बांहों में डूब गए फिर कभी अलग ना होने के लिए...

समाप्त