(अंतिम किस्त )आज रूप बेहद खुश थी। उसने वह कर लिया था, जो उसने चाहा था। साल भर की मेहनत आज रंग लाने वाली थी। उसने एक खूबसूरत सा केक टेबल पर सजाया, जिस पर लिखा थाÑहैप्पी वेडिंग एनिवर्सरी मिस्टर एंड मिसेस रंजीत... एक साल हो गया, खुशी उससे संभाले नहीं संभल रही थी।
उसने आज अपना पारंपरिक सलवार-कुरता नहीं पहना, बल्कि एक फ्लोइंग गाउन, उसके साथ मैचिंग सैंडल्स, हाथ में घड़ी, गले में खूबसूरत सा हार, बाल जो हमेशा चोटी में बंधे रहते थे, आज उन्हें भी रबर बैंड से आजादी दे दी गयी थी। खुद ही के रूप को देख कर रूप चकित रह गयी थी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और वह दौड़ कर दरवाजा खोलने के लिए गयी, रंजीत ही था।
उसे एक पलक निहारता रहा, पहले प्यार और फिर नफरत ने आंखों में जगह ले ली।
‘‘यह ड्रेस, यह सैंडल, यह हार... यह सब कहां से आया ? बताओ !’’ जोर से चिल्ला कर उसने कहा।
‘‘मैं अच्छी लग रही हूं ना, बिलकुल अंग्रेजी मेम साब जैसी।’’
‘‘क्या मतलब ?’’
‘‘आई विल शो यू... कम दिस वे मिस्टर रंजीत,’’ उसने एक लेटर रंजीत के हाथ में पकड़ा दिया।
रंजीत का सिर थोड़ी देर घूमता सा महसूस हुआ... क्या है यह सब? मैं समझ नहीं पा रहा हूं?’’
इंग्लिश में लिखा हुआ वह लेटर, नीचे योर्स एंड ओनली योर्सÑरूप।
अब रूप ने धीरे से बताया, ‘‘करीब एक साल से मैं अंग्रेजी सीख रही हूं सैम से... गांव की पढ़ी-लिखी मुझे तो बस पंजाबी और हिंदी ही आती थी मगर... थोड़ा हिचकिचाते हुए, ‘‘जब तुम मुझे देख कर हंस देते और कहते अंग्रेजी में तेरा हाथ तंग है तो बड़ी कोफ्त होती, मैंने तय किया कि मैं अंग्रेजी सीखूंगी। सैम जो तुम्हारा दोस्त है, मुझे अंग्रेजी सिखा कर अपनी दोस्ती निभा रहा था।’’ थोड़ी देर खामोशी पसरी रही दोनों के बीच, फिर रूप ने कहा, ‘‘जब तुम शक करते... गुस्सा होते तो सैम का दिल टूटता। कई बार उसने मना भी किया, मगर मैंने अपनी कसम दे कर उसे फिर राजी किया... हम दोनों अकेले में अंग्रेजी सीखते थे। उसने बहुत मेहनत की मेरे साथ और अब मैं इंग्लिश लिख पाती हूं, बोल पाती हूं, यह सब केवल तुम्हारे लिए...’’
‘‘तुमने मुझे क्यों नहीं बताया... मैं तुम्हें किसी अच्छे इंग्लिश स्पीकिंग स्कूल में भेज देता... तुम बहुत आसानी से तीन-चार महीने में सीख लेती उसके लिए सैम को क्यों परेशान किया?’’ इस बार वह बेहद चिंतित लगा।
‘‘मैं तुमसे ही तो छुपाना चाहती थी। मन में था कि तुम्हें सरप्राइज दूंगी... देखो मैंने दिया ना !’’
‘‘यह मैंने क्या कर दिया शक और जलन में ! जानती हो रूप, मैं सैम के घर क्यों गया था। मैं बता नहीं सकता, मेरा दिमाग खराब हो गया था... तुम लोगों को साथ देख कर... मन में सोचा सैम को ही खत्म कर दूं,’’ वह आवेश में बोला।
‘‘क्या...’’ रूप की आंखें निकल आयीं... उसका हाथ कांपने लगा... ‘‘क्या कह रहे हो तुम !’’
‘‘असल में शक ने मुझे अंधा कर दिया था... आज जो मैंने पेस्ट्रीज खरीदी थीं, उनमें जहर था रूप... उनमें जहर था... जल्दी चलो ! जल्दी चलो.... सैम के घर, कहीं अनर्थ ना हो जाए !’’
तुरंत दोनों कार में बैठ कर चल दिए। रूप आंखों में आंसू भरे, अस्त-व्यस्त बाल, जिस काजल को बड़े मनोयोग से उसने आज आंखों में भरा था, वह अब बह के इधर-उधर बिखर रहा था। गाड़ी के रुकते ही रंजीत तुरंत भागा दरवाजे की तरफ और बेतहाशा बेल बजाता रहा। दरवाजा था कि खुल ही नहीं रहा था। क्या हो सकता है...? दरवाजा क्यों नहीं खुल रहा... जिस अनहोनी का डर था... क्या वह हो गयी, अब उसके भी हाथ कांपने लगे।
तभी रूप ने कहा, ‘‘दरवाजा तोड़ दीजिए !’’
उसने पूरी ताकत से अपना शरीर दरवाजे पर मार दिया, कुछ ही पल में धम्म से अंदर गिर पड़ा ।
सामने खड़ा था सैम।
‘‘तुम सैम...’’
जोर से खिलखिला उठा सैम, ‘‘हां... मैं सैम...’’
तभी रूप बोल पड़ी, ‘‘सैम, तुमने पेस्ट्रीज नहीं खायींं?’’
‘‘हां नहीं खायीं, क्योंकि मेरा यार दिल से दे कर ही नहीं गया था,’’ उसने रंजीत को चिढ़ाते हुए कहा, ‘‘मैं फ्रिज में रख रहा था कि पता नहीं कैसे हाथ से पूरा डिब्बा ही छूट गया और... दो मिनट में सारी पेस्ट्रीज का सत्यानाश, उसके बाद डेढ़ घंटा लगा साफ-सफाई में... सोच रहा था तैयार हो कर तुम्हारे घर ही पहुंच पार्टी लेगा, इसलिए नहा रहा था... और इसीलिए दरवाजा नहीं खोल पाया, मगर मेरा यार तो इतना बेताब था कि दरवाजा ही तोड़ने पर उतारू हो गया... हा... हा... हा !’’ उसकी उन्मुक्त हंसी ने सारी गंभीरता, सारा तनाव जैसे छूमंतर कर दिया।
‘‘थैंक गॉड ! सैम तुमने पेस्ट्री नहीं खायी,’’ रंजीत ने सैम को गले लगा लिया, ‘‘थैंक गॉड !’’ उसने सैम को कस कर भींच लिया, ‘‘नहीं तो मैं इतने प्यारे दोस्त से आज हाथ धो बैठता। मैंने कितनी बड़ी नादानी की मैं बता नहीं सकता !’’
मगर रूप ने इशारे से मना किया कि कुछ बातें ना ही पता चलें तो अच्छा है ! कुछ गंदी भावनाएं ना ही उजागर हों तो अच्छा है।
‘‘वैसे आज एनिवर्सरी के दिन तुम लोग यहां क्या कर रहे हो?’’
‘‘सैम, तुमने आज मुझे इतना प्यारा गिफ्ट दिया ! तो केक तुम्हारे बिना कैसे काट सकते थे? इसलिए तुम्हें लेने आए, चलो !’’ रंजीत ने कहा।