Tuesday 16 February 2021 11:02 AM IST : By Meena Pandey

क्यों शुभ माना गया है वसंत पंचमी का मुहूर्त

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वसंत पंचमी दिन है प्यार का, इकरार का। क्यों ना हो, इस दिन तो पूरी सृष्टि अपने यौवन पर होती है, खिले हुए रंगबिरंगे फूलों से गुलजार धरती। यह मदनोत्सव का महीना है यानी प्रेम जगाने, जाहिर करने व पाने का सबसे खूबसूरत दिन। असम में युवक इस दिन युवतियों को प्रपोज करते हैं। लड़कियां सहजभाव से प्रेम प्रस्ताव सुनती, स्वीकारती या टाल भी जाती हैं। कहते हैं, हरियाला बसंत आयो रे। वसंत पंचमी को कामदेव यानी क्यूपिड यानी प्रेम के देवता की पूजा होती है और विद्या की देवी सरस्वती की आराधना। वसंत पंचमी ग्रीष्म और शीत ऋतु का संधिकाल है। शास्त्रों ने माना है कि सृष्टि का संयोग इसी दिन से शुरू हुआ । प्यार के रस में डूबे इस मदमाते महीने को मधुमास भी कहते हैं। विवाह के लिए सबसे उत्तम योग वसंत पंचमी है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं। ना मुहूर्त देखना और ना दिन, क्योंकि विवाह संस्कार के लिए यह मंगलकारी और शुभ दिन है।

ज्योतिषियों की मानें, तो परिणय सूत्र में बंधने का यह सर्वश्रेष्ठ दिन है। इस वजह से वसंत पंचमी को सैकड़ों जोड़े परिणय सूत्र में हर साल बंध जाते हैं। हर साल माघ के महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ ऑकल्ट साइंस के डाइरेक्टर ज्योतिष, वास्तुविद इंद्रजीत कश्यप के अनुसार, वसंत पंचमी को अबूझ सहाय मुहूर्त कहने का अर्थ है कि कोई ऐसी विशेष परिस्थिति जो अबूझ हो या समझ ना आए कि क्या करें, काम शुभ हो और जल्दी करना भी जरूरी है, तो इसके लिए वसंत पंचमी का दिन सबसे उपयुक्त है।

इस दिन को सिद्धि योग व सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए चाहे शादी हो, मुंडन हो, यज्ञोपवीत हो, किसी बिजनेस की शुरुआत हो, नौकरी जॉइन करना हो, तो आंख मूंद कर इस दिन शुभारंभ कर सकते हैं। जिनको शुभाशुभ का ज्ञान नहीं है, वे भी इस दिन नए काम की शुरुआ त कर सकते हैं। लेकिन भले वसंत पंचमी को अच्छा काम कर रहे हों, गृहप्रवेश ही क्यों ना कर रहे हों, उस दिन का चंद्रबल अवश्य देखें। चंद्रबल मन की अवस्था, बैलेंस, लगाव का द्योतक है। यह अच्छा रहेगा, तो सब अच्छा रहेगा। कुछ में ताराबल भी देखते हैं।

यह देवी सरस्वती के प्रकट होने का पर्व भी है, जिनको मनाने से सिद्धि प्राप्त होती है। माघ माह में सूर्य के उत्तरायण में रहने के दौरान और गुप्त नवरात्रि के मध्य की पंचमी तिथि को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है। यह दिन प्रत्येक शुभ कार्यों के लिए बहुत अच्छा माना गया है। यह विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना का दिन है।

इस तिथि को बागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहा जाता है। यौवनकाल हमारे जीवन का वसंत है, तो इस सृष्टि का यौवन वसंत है। वसंत ऋतु के रूप में श्रीकृष्ण स्वयं प्रकट होते हैं। इस ऋतु में ही कृष्ण ने गोपियों और राधा के साथ रासलीला रचाने का आह्वान किया था। प्रेम को नया भाव और अर्थ दिया। वसंत पंचमी अज्ञान को मिटा कर रोशनी की अोर ले जाती है। अबूझ मुहूर्त होने से विवाह, गृहप्रवेश, विद्यारंभ, वाहन, घर खरीदना जैसे खास कामों को करना बहुत मंगलकारी होता है।