किंत्सुगी का मतलब है ‘जॉइन विद गोल्ड’। यह एक जापानी कला है, जिसमें टूटी सिरैमिक चीजों को रिपेअर किया जाता है। इस जोड़ में एक गंभीर दर्शन छिपा हुआ है। लगभग 400 सालों से चली आ रही इस परंपरा में टूटी हुई चीजों को इस तरह जोड़ा जाता है कि वे और भी खूबसूरत और दर्शनीय हो जाएं।
16वीं शताब्दी के अंत और 17वीं शताब्दी की शुरुआत में जापान में यह कला खूब सराही गयी। इस युग के तीसरे शासक शोगुन आशिकागा योशिमित्सु के बारे में माना जाता है कि उनसे अपनी पसंदीदा चाय की प्याली टूट गयी थी, जो बहुत अद्भुत थी। उन्होंने अपने कलाकारों को चुनौती दी कि वे इसे इस तरह मरम्मत कराएं कि यह और भी सुंदर दिखे। कलाकारों ने उसे और सुंदर बनाने के लिए दरारों में कलात्मक रूप से सुनहरा रंग भरा और इस तरह जन्म हुआ किंत्सुगी आर्ट का।
जापान के लोग टूटे बरतन नहीं फेंकते, बल्कि गोंद की तरह के पेड़ के रस से जोड़ देते हैं और सुनहरे पेंट्स से सजा देते हैं। इससे इसकी कीमत बढ़ जाती है।