पीरियड्स को लेकर हमारे समाज में खुलकर बात नहीं की जाती। जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं की सेहत बिगड़ती है। आज यानी 28 मई को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे है। इस मौके पर मिलते हैं यंग रैपर और पोएट सानिया एमक्यू से, जिन्होंने संस्था उजास के सहयोग से पीरियड्स हाइजीन को लेकर एक रैप तैयार किया है।
बोझ क्यों बनें पीरियड्स
एक औरत की जिंदगी के लगभग 30-32 साल पीरियड्स के साथ गुजरते हैं। हर महीने पांच दिन वह इस दौर से गुजरती है, इसके बावजूद आज भी पीरियड्स को लेकर मिध्या धारणाएं प्रचलित हैं। हर साल 28 मई को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता है ताकि पीरियड्स में स्वच्छता रखने के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार आज भी महिलाओं की आधी आबादी पीरियड्स के दौरान असुरक्षित कपड़े का प्रयोग करती हैं, इससे कई बार गंभीर बीमारियों का खतरा होता है। स्वच्छता के साधनों का अभाव, महिला शौचालयों की कमी और अज्ञानता के कारण हर साल लाखों लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं।
म्यूजिक के जरिए जागरूकता
यूट्यूबर सानिया एमक्यू पिछले तीन-चार वर्षों से अलग-अलग मुद्दों पर रैप तैयार कर रही हैं। दो साल पहले टीवी शो हुनरबाज देश की शान में जब उन्होंने अपना रैप सुनाया तो करन जौहर और परिणीति चोपड़ा जैसे जजेज ने उसका तालियों से स्वागत किया। अब एक बार फिर सानिया मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर एक रैप लेकर आई हैं। वह कहती हैं, ‘संगीत में बड़ी ताकत है, जो बातें किसी तरह नहीं समझाई जा सकतीं, उन्हें कला के जरिए लोगों को आसानी से समझाया जा सकता है। इसलिए मैंने अपना रैप -लाल रंग तैयार किया, जो बताता है कि लड़कियां कमजोर नहीं हैं, उनमें बहुत सहनशक्ति होती है। वे अगर पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठा सकती हैं तो कुछ भी कर सकती हैं। आज जबकि औरतें कामकाजी हैं तो वह पीरियड्स के दिनों में भी पूरी क्षमता के साथ घर के बाहर जाकर काम करती हैं। समाज में बदलाव आ रहा है, लेकिन औरतों के मामले में अभी भी इसकी रफ्तार धीमी है, जिसकी वजह से औरतों को बहुत कुछ झेलना पड़ता है।’
पीरियड फ्रेंडली हो दुनिया

इस बार पीरियड्स हाइजीन डे की थीम है- पीरियड फ्रेंडली वर्ल्ड। सानिया एमक्यू का शानदार रैप भी इसी बराबरी वाली दुनिया की वकालत करता है। आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट के इनशिएटिव- उजास के सहयोग से सानिया का यह रैप रिलीज हो रहा है। यह ट्रस्ट मेंस्ट्रुअल हाइजीन की दिशा में सराहनीय कार्य कर रहा है। 100 से भी ज्यादा राज्यों में यह संस्था लोगों को पीरियड्स के बारे में जागरूक बनाने का काम कर रही है। सानिया एमक्यू बताती हैं, ‘मासिक धर्म के बारे में गलत धारणाओं और वर्जनाओं को दूर करके एक सकारात्मक माहौल तैयार करने की दिशा में मेरा यह रैप-लाल रंग कामयाब होगा, इसकी मुझे उम्मीद है। इस रैप में मुझे उजास की संस्थापक अद्वैतेशा बिड़ला का सहयोग मिला। मुझे लगता है कि पीरियड्स को लेकर खुलकर बातचीत होनी चाहिए और यह महिला-पुरुष दोनों के लिए जरूरी है कि गलत और मिथ्या धारणाओं से मुक्त हों।’
सही जानकारी जरूरी
सानिया का मानना है कि पीरियड्स को लेकर आज भी लड़कियों में हिचक है, उन्हें कई तरह की प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ता है। जानकारी न होने के कारण न जाने कितनी लड़कियों की हेल्थ बिगड़ती है, उन्हें कई तरह से भेदभाव का सामना करना पड़ता है। जबकि लड़का हो या लड़की, टीनएज में उन्हें प्यूबर्टि के बारे में उन्हें सही व वैज्ञानिक जानकारी होनी चाहिए।
मास मीडिया कम्युनिकेशन के सेकंड ईयर की छात्रा सानिया एमक्यू बहुत कम उम्र से ही पोएट्री में सक्रिय हैं। 10वीं क्लास में ही उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल बनाया ताकि अपनी पोएट्री और म्यूजिक के जरिए वे तमाम मुद्दों पर बात कर सकें। वह कहती हैं, ‘अपने देश में अभी महिला रैपर्स कम हैं, या उनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है, इसलिए कई बार हमारे सामने ज्यादा चुनौतियां आती हैं। सच कहूं तो कई बार मैं खुद को सही ढंग से अभिव्यक्त नहीं कर पाती थी और इस लिहाज से रैप मेरे लिए अभिव्यक्ति का एक माध्यम बना। हिप-हॉप के माध्यम से मैं खुलकर अपनी बात कह पाती हूं। मुझे मेरे परिवार, दोस्तों और कॉलेज सबका बहुत सपोर्ट मिला है, तभी शायद मैं आगे बढ़ पा रही हूं। हिप-हॉप कम्युनिटी भी मुझे सपोर्ट करती है।’