Monday 03 October 2022 02:20 PM IST : By Ruby Mohanty

एक मुलाकात रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले कलाकारों से

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रामलीला में जब तक रावण की एंट्री नहीं होती, तब तक माहौल में थोड़ी सुस्ती होती है। पर जैसे ही रावण की रॉयल एंट्री होती है, ऑडियंस के दिल की धुकधुकी बढ़ जाती है। तो चलिए, इस बार मिलते हैं कुछ रावणों से और सुनते हैं उनकी कला की गाथा।

राम ने लौटायी रावण की आवाज

सोच कर देखिए, अगर रामलीला में रावण की एंट्री से पहले उसकी आवाज ही चली जाए, तो क्या हो? ऐसा ही कुछ दिल्ली की 39 वर्ष पुरानी रामलीला कमेटी में रावण का किरदार निभानेवाले प्रवेश के साथ हुआ, जो इस कमेटी में 2014 से बतौर डाइरेक्टर, कॉन्ट्रैक्टर और रावण के तौर पर जुड़े हैं। हुआ यों कि एक बार अयोध्या से दूरदर्शन में 7 बजे रामलीला का प्रसारण होना था, पर 5 बजे पानी सूट नहीं होने की वजह से प्रवेश का गला खराब हो गया और आवाज बंद हो गयी। वे भावुक हो कर बताते हैं, ‘‘हमारे किसी साथी कलाकार ने सुझाया कि हम राम जी के स्थान पर ही हैं, तो क्यों ना हनुमान जी और राम जी के दर्शन कर आएं। मैं अपने एक कलाकार दोस्त के साथ वहां पहुंचा। वहां तो जबर्दस्त भीड़ थी, पर एक सिक्योरिटीवाला जानकार निकला। भीड़ के बावजूद जैसे-तैसे उस सिक्योरिटीवाले ने राम लल्ला के दर्शन कराए। और दर्शन क्या हुए, उस दिन के बाद से कभी मेरा गला बैठा ही नहीं।’’

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प्रवेश रावण के चरित्र से काफी प्रभावित हैं, पर पूजा वे राम की करते हैं। वे कहते हैं, ‘‘पूरी रामायण में मुझे दो ही कैरेक्टर बहुत ईमानदार लगे, जिसने दुश्मनी भी निभायी, तो बहुत शिद्दत से निभायी। उसने सीता को कभी नहीं छुआ। वह काफी मर्यादित था। अगर रावण से सीता हरण का प्रकरण हटा दिया जाए, तो उस जैसा व्यक्ति कोई नहीं था। शक्तिशाली, यशस्वी, बुिद्धमान और वेदों का ज्ञाता। इतना ही नहीं, तपस्या का स्तर भी काफी ऊंचा था। यह किसी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी है। सच तो यह है कि रामलीला की ऑडियंस सामान्य रूप से जुड़ी हुई होती है, पर रावण की एंट्री होते ही ऑडियंस की जिज्ञासा और कोलाहल बढ़ जाता है। मैं महसूस करता हूं कि सीन तभी अच्छा होता है, जब विलेन की एंट्री होती है, तभी हीरो के दम का पता चलता है।’’

दरअसल, रामलीला कुछ और नहीं, बल्कि इसके माध्यम से लोग अधर्म और धर्म के अंतर को समझें और सही मार्ग को आत्मसात करें। अधर्म कितना भी बड़ा हो, उसे खत्म होना ही होता है, भले ही उसमें कई आहुतियां देनी पड़ें। रावण जानता था कि राम विष्णु के अवतार हैं। उसने खुद को और अपने परिवार को मोक्ष दिलाने के लिए यह आडंबर रचा था।

कथकली ने रखी तलवार की लाज

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सोचिए, राम और रावण के बीच युद्ध होनेवाला है, राम युद्ध भूमि में हैं, रावण भी ललकारते हुए आ रहा है, पर उसके हाथ में तलवार नहीं !!! जी हां, आप सही समझ रहे हैं, ऐसी ही एक घटना रावण का किरदार निभानेवाले सतीश कुमार के साथ हुई, जो डीपीएस में म्यूजिक टीचर हैं और सालों पुराने श्री रामलीला कमेटी इंद्रपस्थ, दिल्ली में 10 वर्षों से रावण के रूप में जुड़े हुए हैं। अपना अनुभव शेअर करते हुए सतीश कुमार कहते हैं, ‘‘मैं रावण का सीन कर रहा था। राम जी के साथ युद्ध होनेवाला था। मैं स्टेज पर बिना तलवार के आ गया। मेरे लिए बहुत शर्मनाक स्थिति हो गयी थी। चूंकि हमारी रामलीला डांस स्टाइल में होती है, इसीलिए स्थिति संभल गयी। अगर यह थिएटर स्टाइल में होता, तो स्थिति संभालनी मुश्किल थी। मैं कथकली करते-करते तलवार उठा लाया।’’

सतीश कुमार को रावण का किरदार काफी इंटरेस्टिंग लगता है। रावण काे बैड कैरेक्टर माना जाता है, लेकिन कभी-कभी उन्हें लगता है कि रावण से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। रावण के किरदार में हर चीज है। इमोशन है। गुस्सा है, शांति और धैर्य है, पर वे आज का रावण महंगाई को मानते हैं। प्रभु राम तो आ गए थे उद्धार करने, पर आज की महंगाई की स्थिति में राम जी आएंगे? पहली बार रावण का किरदार निभाने के अनुभव को शेअर करते हुए कहते हैं, ‘‘हेवी मेकअप होने की वजह से हमारे अपने ही लोग हमें नहीं पहचान पाते हैं। पहली बार जब रावण बना था, तो अपने मम्मी-पापा को ले कर गया। रामलीला खत्म होने के बाद मैंने पेरेंट्स से पूछा कैसा लगा। ताे वे बोले, ‘‘बहुत अच्छा था, पर इस बार तुमने रामलीला में भाग क्यों नहीं लिया?’’ मैंने पूछा कि किरदार कौन सा सबसे प्रभावी लगा आपको? तो वे बोले, ‘‘रावण का।’’ तब मैंने रावण के स्वर में ही, हा, हा वाला अट्टहास किया, तो वे तुरंत आश्चर्य से मेरी ओर देखने लगे, ‘‘अरे सतीश, रावण तुम थे !’’ उनका इतना बोलना था कि सभी जोर से हंस पड़े और माहौल खुशनुमा हो गया।

क्लिक क्लिक विद रावण

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मिलिए, ऑडियंस के चहेते रावण रंगी शर्मा से, जो 42 सालों से श्री नागरिक रामलीला एवं दशहरा कमेटी, दिल्ली से जुड़े हैं। शुरू में रंगी कुंभकरण, सुग्रीव, बाली, सूर्पनखा का रोल करते थे, लेकिन 2005 से वे रावण कर रोल कर रहे हैं। रंगी कहते हैं, ‘‘वैसे तो मैं एक कंपनी में ऑपरेशनल मैनेजर रहा, पर रामलीला में रावण का रोल करने में मुझे अलग ही आनंद आता है, क्योंकि डायलॉग डिलीवरी में स्कोप अच्छा है। रावण के डायलॉग में जोड़ घटा कर सकते हैं। राम के डायलॉग में काफी शालीनता व थोड़ी विनम्रता रखनी पड़ती है और सोच-समझ कर बोलना पड़ता है। जबकि रावण के राेल में आवाज काे सप्तम स्वर में कर सकते हैं और डायलॉग में अपनी ओर से भी जोड़-घटा सकते हैं।’’

रावण का चरित्र सिर्फ एक वजह से कलंकित हो गया, वरना आजकल के बुरे लोगों से तुलना करें, तो रावण बहुत अच्छा था। उसे पूरी तरह से बैड कैरेक्टर नहीं कह सकते। आजकल के हॉलीवुड के विलेन के बारे में कहें, या समाज में घटने वाली घटिया और रूह कंपा देनेवाली वारदातें, उसकी तुलना में तो रावण विद्वान अाैर मर्यादित था। फिल्में आप परिवार के साथ बैठ कर नहीं देख सकते, पर रामलीला के हर चरित्र से आप कुछ सीखते हैं, इसीलिए लोग रामलीला कर अांनद लेते हैं। रंगी कहते हैं, ‘‘मुझे रावण का डायलॉग लाउडली बोलना पसंद है। एक लंबे अरसे से यह किरदार निभा रहा हूं। पब्लिक को रावण की आवाज काफी पसंद आती है। रामलीला में रावण का रोल निभाने के बाद मेकअप उतारने के लिए जब मैं वापस आता था, तो कम से कम 1 घंटा वहां फोटो सेशन के लिए खड़ा रहता था। बहुत संख्या में खासकर महिलाएं मेरे साथ सेल्फी लेना पसंद करती हैं।’’

कलाकार रंगी को रावण की सबसे अच्छी बात यह लगती है कि उन्होंने तैंतीस करोड़ देवी-देवताअों को अपना दास बना रखा था। यह अपने आपमें बड़ी बात थी। वरुण, सूर्य और चंद्रमा उसी की आज्ञा से प्रकाश में आते। रंगी खुद रियल लाइफ में शंकर जी का ध्यान करते हैं। हनुमानजी भी उनके लिए पूजनीय हैं।

कृष्ण भक्त रावण

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इनसे मिलिए, 60 प्लस रावण रवि ऋषि, जो छठी कक्षा से ही रामलीला के अपने डायलॉग खुद लिखते आए हैं। जिस भी सोसाइटी में रहते हैं, वहां रामलीला कराते हैं। पिछले कुछ सालों से वे ध्रुव सोसाइटी, आईपी एक्सटेंशन दिल्ली में रहते हैं। कोरोना के दौरान रामलीला को सभी ने काफी मिस किया। लेकिन इस साल सभी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे। वे कहते हैं, ‘‘रामलीला में डायलॉग लिखना मुझे अच्छा लगता है। रामलीला से मेरी बचपन की यादें जुड़ी हैं। मुझे याद है कि बचपन में हमारे पिता जी को सरकारी क्वॉर्टर मिला था। क्वाॅर्टर में बहुत बड़ा बरामदा था, हम उसे मंच बना कर रामलीला करते थे। पहले मैं केकैई, सीता, मंदोदरी और लक्ष्मण का रोल करता था। आज भी जब रामलीला करता हूं, तो डायलॉग खुद लिखता हूं। अब तो रावण के पुराने डायलॉग के कागज भी फट रहे हैं। रावण का किरदार निभाते समय रॉयल तो महसूस होता है। उस किरदार में अलग ही रुआब है। दबंगई का अपना ही करिश्मा है। वैसे सच पूछा जाए, तो पब्लिक का इंटरेस्ट भी तभी से शुरू होता है, जब से रावण का दरबार दिखाया जाता है। जोशीला सा माहौल होता है। वैसे मैं रावण की पर्सनेलिटी से काफी प्रभावित रहा हूं। इस बैड कैरेक्टर से मैंने सीखा कि अपने अहं को तृप्त करने की वजह से गलतियां नहीं करनी चाहिए। हालांकि रावण ने सीता की किडनैपिंग में भी बहुत मर्यादा रखी थी। सीता जी को छेड़ा नहीं। मैं रावण बना, लेकिन किसी सीता को आज तक नहीं छेड़ा, बल्कि मुझे याद है दिल्ली के दौलत राम कॉलेज की लड़कियां मुझे छेड़ देती थीं।’’ बड़े गर्व के साथ रावण रवि ऋषि बताते हैं आज भी उनके रावण के किरदार को सबसे ज्यादा महिलाएं ही पसंद करती हैं। महिलाएं मेरे अभिनय की फैन है। रियल लाइफ में रवि भगवान कृष्ण के भक्त हैं, क्योंकि उन्हें लगता है राम अपने मर्यादा के चक्कर में रह गए। पर कौन सी स्थिति में क्या कदम उठाना चाहिए, यह कृष्ण को पता था।