हाल-फिलहाल जोया अख्तर ने नेटफ्लिक्स के लिए प्रोड्यूसर रीमा कागती के साथ मिलकर फिल्म आर्चीज बनायी, जिसकी खासियत यह है कि इसमें स्टार किड्स सुहाना खान, खुशी कपूर और अगस्त्य नंदा जैसे स्टार किड्स ने भूमिकाएं निभाई हैं।
टीनएजर्स की दुनिया लुभाती है
इस फिल्म के बारे में जोया कहती हैं, ‘‘मैं फिल्म तभी बनाती हूं, जब विषय दिल को छुए। मेड इन हेवन के बाद मेरे पास लगभग 3 वर्ष कुछ खास नहीं था। आर्चीज टीनएजर्स की पसंदीदा कॉमिक्स है। आज सबके पास इंटरनेट एक्सेस है, भारतीय टीनएजर्स भी इसे पसंद करते हैं, इसलिए इस पर फिल्म बनाने का खयाल आया। यह टीनएजर्स की कहानी है, सुहाना, खुशी और अगस्त्य के अलावा इसमें मिहिर आहूजा, वेदांग रैना, युवराज मेंडा, डॉट जैसे अन्य कलाकार भी हैं। यह 1960 के दौर की कहानी है, जो 7 टीनएजर्स के सपनों, महत्वाकांक्षाओं, टीनएजर वाले प्रेम और फीलिंग्स के बारे में है।’’
समय के साथ चलना जरूरी
जोया कहती हैं, ‘‘अगर हम 60 साल पहले की दुनिया में झांकें तो अमेरिका में हिप्पी कल्चर था, बीटल्स म्यूजिक लोकप्रिय था, लोग अपने हक के प्रति जागरूक हो रहे थे। युवाओं को भी लगता था कि वे दुनिया बदल सकते हैं। कह सकते हैं कि यह क्रांति की सुगबुगाहट वाला दौर था। पश्चिमी देशों के साथ हमारे देश में भी क्रांति की बयार बह रही थी। तब के युवाओं में एक सादगी और मासूमियत थी। तब बच्चे खूब पढ़ते थे, साथ ही पारिवारिक, सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से भी जागरूक थे। वह दौर कंप्यूटर-फोन या इंटरनेट का नहीं था। हर युग बदलता है, अब डिजिटल दौर है। समय के साथ सभी को चलना पड़ता है।’’
कोई समझौता नहीं किया
जोया कहती हैं, ‘‘मैंने अपनी फिल्मों की कहानी या किरदारों के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया। जावेद अख्तर-हनी ईरानी जैसे मशहूर लेखकों की बेटी होने पर मुझे नाज है लेकिन यह भी सच है कि उनकी छांव से बाहर निकल कर अपनी पहचान बनाना मेरे लिए आसान नहीं रहा। फिर भी, जितना कर सकी हूं, उसमें मैं संतुष्ट हूं। मैं मॉडर्न सोच वाली हूं, खुद को नए युग की प्रतिनिधि मानती हूं। मेरी कहानियों में इश्क है, सामाजिक सरोकार हैं और वैल्यूज भी। मैं कहानियों का चयन देश-विदेश के दायरे में रहते हुए नहीं करती। क्योंकि हर समाज कहीं ना कहीं एक जैसी परिस्थितियों व चुनौतियों से गुजरता है। जो भी कहानी दिल को छू जाए, उस पर फिल्म बनाती हूं।’
मशहूर लेखक-गीतकार जावेद अख्तर और निर्देशक हनी ईरानी की बेटी जोया अख्तर ने बतौर डायरेक्टर कैरिअर का आगाज लक बाय चांस से किया। जिंदगी न मिलेगी दोबारा, दिल धड़कने दो, गली बॉय, आर्चीज जैसी फिल्में और मेड इन हेवन जैसी वेन सीरीज से इन्होंने लोकप्रियता हासिल की। जोया ने अपने विषय महानगरीय व मिलेनियल पीढ़ी को ध्यान में रखकर चुने हैं।
सर्वाइवल के तरीके खोजने पड़ते हैं
रिजेक्शन हमारे काम का हिस्सा है। कोई भी काम हम शुरू करते हैं तो हमें बहुत सी आलोचनाओं व चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खारिज होने का भय भी रहता है लेकिन इसी के बीच सर्वाइवल के तरीके भी खोजने पड़ते हैं। हम घर में बैठ कर भले ही रो लें लेकिन फिर तुरंत आंसू पोंछ कर हमें अपनी दौड़ का हिस्सा बनना पड़ता है।