रूस-यूक्रेन युद्ध को अब एक वर्ष हो चुका है। दोनों देशों सहित पूरी दुनिया पर इसकी मार देखने को मिली है। जब युद्ध शुरू हुआ, तो हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में फंस गए थे। इनमें ज्यादातर मेडिकल स्टूडेंट्स थे। गोलीबारी में कर्नाटक के एक छात्र की मौत भी हुई। भटकते छात्र गुहार लगा रहे थे कि भारत सरकार उन्हें एयरलिफ्ट कराए। तब सरकार ने ऑपरेशन गंगा शुरू किया। इसी ऑपरेशन का हिस्सा बनीं एयर इंडिया की पायलट कैप्टन शिवानी कालरा।
उड़ान के सपने
गुरुग्राम (हरियाणा) की कैप्टन शिवानी कालरा अपने इंस्टा हैंडल पर खूब एक्टिव हैं। उनकी जबर्दस्त फैन फॉलोइंग है। बचपन से कुछ अलग करने का ख्वाब देखती थीं। कुछ समय उन्होंने एक चैनल के लिए न्यूज रीडिंग भी की। लेकिन मन ऊंची उड़ान भरना चाहता था तो पायलट बनने के बारे में सोचा। हालांकि उनका संघर्ष थोड़ा लंबा रहा। 2016 में उन्होंने एयर इंडिया की लिखित परीक्षा और इंटरव्यू पास किया और दो साल की ट्रेनिंग के बाद वह पायलट के रूप में एयर इंडिया में शामिल हो गयीं।
डर के आगे जीत
इंडियन वुमन पायलट एसोसिएशन की सचिव कैप्टन शिवानी कहती हैं, ‘‘इस ऑपरेशन का हिस्सा बनने के लिए जब मेरे सीनियर अधिकारी का फोन आया तो मैंने हां कहा, लेकिन पेरेंट्स चिंतित थे, क्योंकि यह रोजमर्रा की उड़ान से भिन्न उड़ान थी। मां मेरी सुरक्षा को ले कर डर रही थीं। मगर पापा ने कहा कि तुम जाओ, देश के लिए कुछ करने का मौका मिल रहा है, तो इस अवसर को खोओ मत। अगले ही दिन हम अपने डेस्टिनेशन पर थे। स्टूडेंट्स को लाने गयी पहली फ्लाइट को सुरक्षा कारणों से खाली वापस आना पड़ा था और हमारी यह दूसरी फ्लाइट थी।’’
वो मंजर अलग था
शिवानी कहती हैं, ‘‘हम वहां पहुंचे, तो घबराए-डरे हुए छात्र इंतजार करते मिले। किसी के लिए भी अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़ कर वतन लौटना आसान नहीं होता। वे कई दिनों से इधर-उधर भटक रहे थे। रेस्क्यू सेंटर्स भी बहुत सुरक्षित नहीं होते। वे ठीक से खा-पी या सो नहीं पा रहे थे। जब उन्हें भरोसा हुआ कि हम उन्हें घर वापस ले जाएंगे, तो उनके उदास चेहरों पर मुस्कान आ गयी। हमने बुडापेस्ट, रोमानिया से करीब 250 बच्चों को एयरलिफ्ट कराया। जब विमान में घोषणा की कि अब हम भारत की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं, तो बच्चे खुशी से तालियां बजाने लगे और भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाने लगे। दिल्ली पहुंच कर जब मैं गेट से बाहर निकली, तो मैंने उनके परिवारों को देखा, जो अपने बच्चों के सुरक्षित वापस आने पर खुशी से थिरक रहे थे। वे हमारे लिए तालियां बजा रहे थे। वह बहुत मार्मिक क्षण था, उस अनुभव को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उस समय मुझे खुद पर गर्व महसूस हुआ।’’
लड़कियां सब कुछ कर सकती हैं
कैप्टन शिवानी कहती हैं, ‘‘लड़कों को ये करना चाहिए या लड़कियों को ये करना चाहिए...ये विभाजन हमने बनाए हैं। मेरी कई दोस्त पायलट हैं, आईएएस हैं, मीडिया इंडस्ट्री में हैं। वे हर काम कर रही हैं, जो लड़के कर सकते हैं। जब मैं पायलट की ट्रेनिंग ले रही थी, पड़ोसी पेरेंट्स से कहते थे कि लड़की को इस फील्ड में क्यों भेज रहे हैं। आज वे ही लोग मेरी मां को मेरे नाम से पहचानते हैं, तो मुझे लगता है कि मैंने अपने माता-पिता को प्राउड फील कराया है। आज पेरेंटिंग के तौर-तरीके बदलने की जरूरत है। लड़कियों को बराबरी के आधार पर शिक्षा, पोषण और अवसर मिलें, तो वे कभी पीछे नहीं रहेंगी। मैं नहीं चाहती कि आगे कभी ऐसे युद्ध हों और हमें लोगों को रेस्क्यू करना पड़े, लेकिन जब भी देश को जरूरत होगी, मैं हमेशा आगे रहूंगी।’