हरिद्वार में जन्मी, पटना में पली-बढ़ी, दिल्ली में जामिया युनिवसिर्टी से किया मास कॉम और मुंबई में पपेटियर के तौर पर बना कैरिअर....। जी हां, संज्ञा ओझा, जो पिछले 16 साल से देश-विदेश में अपने पपेट्स के माध्यम से बच्चे, बड़े और बूढ़ों को खास संदेश दे रही हैं, का मानना है, ‘‘हम लोग कुछ कठपुतलियां बनाते हैं, इनके जरिए अपना संदेश देते हैं, लेकिन हमारा यह पपेट शो करने का प्लेटफॉर्म अलग-अलग होता है। थिएटर, इंटिमेट शोज और वर्कशॉप। इसके अलावा हम ऑनलाइन बहुत काम करते हैं, वीडियोज बनाते हैं, यूनिसेफ व एजुकेशनल क्लाइंट के साथ भी काम करते हैं।’’
पपेट से अलग हैं मपेट
संज्ञा की परवरिश कला प्रेमी परिवार में हुई। मां गायिका हैं और पिता जी लेखक। घर में किसी बात का कोई दबाव नहीं था, सिर्फ पेरेंट्स यह चाहते थे कि संज्ञा जो भी करे, दिल से करे। पर संज्ञा का दिल पपेट की ओर खिंचता चला जाएगा, इस बात का परिवार में किसी को जरा भी भान ना था। आज भी भारत में पपेटरी की कोई मान्यता प्राप्त फाॅर्मल एजुकेशन नहीं है। ऐसे में पपेटरी में कैरिअर की बात भी सोचना आश्चर्य में डालता है। दरअसल, पहले संज्ञा की रुचि डॉक्यूमेंट्री मेकिंग में थी। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा के लिए सन 2005 में दिल्ली के जामिया मिलिया से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स करने की सोची। संज्ञा के मुताबिक, ‘‘मास्टर आॅफ मास कम्यूनिकेशन के फर्स्ट इयर के विषयों में बहुत छोटा सा हिस्सा पपेटरी है। उन्हीं दिनों यूएस से फेमस पपेटेरियन मार्टिन पी. रॉबिनसन अपना टीवी शो गली गली सिम सिम ले कर भारत में आए थे। न्यूयाॅर्क में यह शो पिछले 60 साल से चल रहा है। शो में मेन कैरेक्टर पपेट है। मार्टिन हिंदी में यह शो बनाना चाहते थे। संज्ञा के मुताबिक, ‘‘भारत में जब गली गली सिम सिम शुरू हुआ, जिसमें मैं और मेरे पार्टनर हाशिम हैदर दोनों ने प्ले में एलमो और अनचूं नाम से लीड रोल परफॉर्म किया। यहीं से हमारे कैरिअर को पंख मिले और हमने उड़ान भरनी शुरू की। हम दोनों ने मपेट स्टाइल ऑफ पपेटरी सीखी।’’ मपेट खासतौर से टीवी के लिए बनाए जाते हैं इसीलिए इनकी आंखें बहुत बड़ी होती हैं, जिससे वे कैमरे की ओर देख कर दर्शकों के साथ आई कॉन्टेक्ट कर सकें। इनकी माउथ लाइन बड़ी होती है। 2011 में हशिम हैदर और संज्ञा ने मिल कर पपेटेरियन वर्कशॉप की शुरुआत की। पिछले कुछ सालों में उन्होंने शोज, लाइव व टीवी पर प्रोग्राम दिए।
कैरिअर में टर्निंग पॉइंट
2019 के अंत में संज्ञा और हैदर ने डांसिंग बियर पपेट बनाए। उन्होंने देश-विदेश में 3 शोज बुक किए, पर मार्च में लाॅकडाउन हो गया, सब शोज कैंसिल हो गए। अब वे सभी शोज और वर्कशॉप ऑनलाइन ही करते हैं। उन्होंने एजुकेशनल इंस्टिट्यूट, प्राइवेट क्लाइंट, बच्चों और बड़ों के लिए अलग-अलग क्लासेस शुरू की हैं। संज्ञा कहती हैं, ‘‘सच तो यह है पिछले 2 साल से पूरा माहौल बहुत अलग है। हमें लगा कि हमारी उपयोगिता तभी है, जब मुश्किल और तनावभरे दौर में हम सभी में उत्साह कायम रख पाएं। हमने अपने पपेट कैरेक्टर के साथ कोरोना से बचने और सावधानियां रखने पर ‘तारा है तैयार’ कैरेक्टर पर एक छोटा सा वीडियो बना कर ऑनलाइन पोस्ट किया, जिसे बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला।’’
यूनिसेफ की पहल
‘तारा है तैयार’ के इस वीडियो को यूनिसेफ यूपी ने देखा और उन्होंने संज्ञा और हाशिम से संपर्क किया। वे तारा की फुल सीरीज चाहते थे। उन्हें हर एपिसोड में कोविड से जुड़ी परेशानी और समाधान के बारे में बताने को कहा गया। यूनिसेफ ने इस मैसेज को बहुत दूर-दूर तक पहुंचाया। खुशी इस बात की है कि इस प्रोजेक्ट से उन्हें कमाल के अवॉर्ड भी मिले।