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कुमकुम कैंसर की जंग जीत कर घर वापस तो आ गयी, पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वैवाहिक जीवन सामान्य तौर पर जी सके। मात्र 38 साल की उम्र में उसने मन ही मन मान लिया था कि अब पहले की तरह नॉर्मल सेक्सुअल लाइफ जी नहीं सकेगी। जबकि ऐसा नहीं था। कुमकुम की तरह बहुत से स्त्री-पुरुष हैं, जो कभी गंभीर बीमारी, कोई लंबी बीमारी या सर्जरी के बाद सामान्य सेक्सुअल लाइफ जीने में हिचकते हैं और एक तरह से हथियार ही डाल देते हैं कि अब तो सेक्स संबंध बना ही नहीं सकते।

दरअसल, सेेक्स वैवाहिक जीवन का अहम पहलू है। यह अगर ना हो तो रिश्ते में अधूरापन ही नहीं, बल्कि तन-मन से जुड़ी बहुत सी परेशानियां होने लगेंगी। तनाव रहित, सहज और संतुष्ट जीवन के लिए पति-पत्नी के बीच सेक्सुअल बॉन्डिंग अच्छी होनी चाहिए। सेक्सोलॉजिस्ट और सेक्स पर होनेवाली कई रिसर्च इसे साबित करती हैं। फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक और सेक्सोलॉजिस्ट
डॉ. संजय कुमावत के अनुसार, ‘‘लंबी बीमारी दो तरह की होती हैं-रिवर्सिबल और इर्रिवर्सिबल।
यानी एक बीमारी जो ठीक हो सकती है और दूसरी जो ठीक नहीं हो सकती जैसे कैंसर, अगर यह
लास्ट स्टेज में है। इसका इलाज चल रहा है, पर यह ठीक नहीं हो सकता। तो यह इर्रिवर्सिबल बीमारी है। किडनी फेलियर में भी यही स्थिति है। इसमें मरीज अपनी बीमारी से बाहर नहीं आ सकता। दिनबदिन वह अपने अंतिम दिन की ओर बढ़ रहा होता है।

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‘‘पर ऐसी बीमारी जो रिवर्सिबल है, कुछ समय के बाद जिसमें मरीज ठीक हो सकता है, उसमें सेक्स लाइफ अपने रूटीन में वापस आ सकती है। जैसे हार्ट अटैक, बायपास सर्जरी, जिसमें 3-4 महीने के बाद मरीज अपनी रूटीन लाइफ में वापस आ जाता है। बायपास की रिकवरी के दौरान मरीज जो तकलीफ झेलता है, उसी की तरह उसका साथी भी अलग तरह का तनाव झेल रहा होता है। उसे घरेलू, आर्थिक, मानसिक और शारीरिक तनाव झेलना पड़ता है और अपने बीमार साथी की देखभाल भी करनी पड़ती है। अपने तन की इच्छाओं को दबाना भी पड़ता है। लंबी बीमारी के बाद दोनों साथी को अपनी सेक्सुअल लाइफ में वापस आने में वक्त लगता है।’’

कैसे लौटें सेक्स लाइफ में

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Relationship Between Couples
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अमेरिका की सेक्सोलॉजिस्ट और सोशियाेलॉजिस्ट लेखिका पेपर श्वार्ट्ज अपनी किताब  द सरप्राइजिंग सीक्रेट्स ऑफ हैप्पी लाइफ में कहती हैं कि बड़ी और लंबी बीमारी किसी भी शख्स की सेक्स इच्छा को कम कर देती है। लेकिन कुछ बातों पर गौर करें तो इस स्थिति को संभाला जा सकता है। ब्रेस्ट रिमूवल या टेस्टिकल रिमूवल से कई बार स्त्री-पुरुष सदमे, शरम और डर से रूबरू होने लगते हैं। अपने अंदर आए बदलाव को समझ नहीं पाते। सबसे पहले जरूरी है अपने अंदर आए बदलाव और सच को स्वीकार करें। मरीज का साथी भी इस सच को स्वीकारे।

जरूरी है संवाद

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लंबे समय तक जब मरीज अपनी बीमारी से पूरी तरह ऊब जाता है तो ऐसे में वाकई तन के बदलाव को स्वीकार करना उसके लिए सहज नहीं होता, क्योंकि वह अपनी बीमारी से आयी कमजोरी और दवाओं के साइड इफेक्ट झेल रहा होता है। यही वह समय है कि जब साथी की ओर उसकी रुचि कम होने लगती है। बीमारी से उबर रहे साथी की स्थितियों को समझने की कोशिश करना बड़ी बात है। वह अकसर ऐसे समय में चिड़चिड़ा हो जाता है। उसके साथ संवाद करके उसकी भावनाओं के बारे में जानें और भावनाओं का आदर करें और उसको धीरज दें। इस समय एक-दूसरे के प्रति बॉन्डिंग और विश्वास बना कर रखना बहुत जरूरी है। यह सबसे अहम बात है कि चाहे कितनी भी उदासी क्यों ना हो, पर दोनों के बीच बातचीत कायम रहनी चाहिए। लगभग दोनों की ओर से यह होना जरूरी है। अगर पार्टनर के पास सपोर्ट सिस्टम अच्छा है, तो संबंधों की स्थितियां सुधर सकती हैं।

इर्रिवर्सिबल बीमारी में मरीज में काफी ग्लानि की भावना होती है। उसे महसूस होता है कि वह अपने पार्टनर के किसी काम नहीं आ पा रहा है। उसकी वजह से साथी काे हर तरह के कष्ट उठाने पड़ रहे हैं। उसकी बीमारी का अप्रत्यक्ष प्रभाव साथी पर आ रहा है। पर साथी की गंभीर बीमारी के दिनों में अगर कोई रिश्तेदार मदद के लिए घर में आ जाए तो सपोर्ट सिस्टम मजबूत हो जाता है। पार्टनर को उस स्थिति के साथ तालमेल बिठाने और बीमार साथी को वक्त देने का पूरा अवसर मिल जाता है।

दंपती के बीच शादी के 3-4 साल के बाद भी कई बार बड़ी बीमारी या सर्जरी जैसी परेशानी आ जाती है, जिसमें मरीज को इस बात की बहुत ग्लानि होती है। लेकिन ऐसे में एक-दूसरे को सपोर्ट देना बहुत जरूरी है। अगर काउंसलिंग की जरूरत है तो काउंसलिंग लेने से पीछे नहीं नहीं हटना चाहिए। कई बार गंभीर बीमारी की स्थिति के दौरान कई बीमार पार्टनर ऐसे भी हैं, जो अपने साथी काे दूसरी शादी के लिए भी कह देते हैं। लेकिन परिवार का सपोर्ट सिस्टम और पार्टनर के बीच अच्छी बॉन्डिंग ऐसा नहीं होने देता। उन लोगों की संख्या ज्यादा है, जो मजबूत बॉन्डिंग की वजह से अपने पार्टनर के बार-बार दूसरी शादी के लिए आग्रह करने के बाद भी उसे नहीं छोड़ते।

शरीर में आए जब बदलाव

डॉ. प्रीति सिंह के मुताबिक, ‘‘महिलाएं यूटरस रिमूवल, ब्रेस्ट लंप रिमूवल, ब्रेस्ट सर्जरी के बाद डिप्रेशन में चली जाती हैं या उनका कॉिन्फडेंस लेवल इतना कम हो जाता है कि वे स्वस्थ होने के बाद भी अपने साथी के साथ संबंध बनाने में कतराती हैं। शरीर का ज्यादातर भाग जैसे ब्रेस्ट, पेट, पेल्विस की मांसपेशियां, कमर सभी कुछ सेक्स के दौरान इन्वॉल्व होते हैं। ब्रेस्ट सभी महिलाओं के लिए महत्वूर्ण अंग है, जिससे उसे खुद उत्तेजना होती है और उसकी खूबसूरती का आकर्षण भी है। ब्रेस्ट रिमूवल के बाद प्लास्टिक सर्जरी जैसे विकल्प हैं। इसके बावजूद अगर डिप्रेशन होता है, तो पार्टनर को संभालना चाहिए। उसे सपोर्ट देना चाहिए। ब्रेस्ट ही नारी सौंदर्य का पैमाना नहीं है। यह शरीर का एक अंग है, संपूर्ण शरीर नहीं है। कई सेलेब्रिटी भी जानलेवा कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में आयीं। उनकी खूबसूरत स्किन, बाल का आकर्षण खत्म हो गया, लेकिन पार्टनर का प्रोत्साहन रहा, जिससे वे सामान्य जीवन में वापस लौटीं।’’ पार्टनर्स को चाहिए कि एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करें। बॉन्डिंग मजबूत करने पर काम करें।

सबसे अहम बात है कि जो जैसा है, उसे उसी अवस्था में कबूल किया जाए। डिप्रेशन ना हो, इसके लिए दोनों के बीच संवाद जरूरी है, इससे अपने रूटीन लाइफ में आने में मदद मिलेगी। विश्वास और रोमांटिक बॉन्डिंग बरकरार रहेगी और दोनों सेक्सुअल लाइफ में उमंग के साथ इन्वॉल्व हाे सकते हैं।

जब हो स्त्री रोग की समस्या

किसी तरह की स्त्री रोग जनित परेशानी जैसे
यूटरस रिमूवल के बाद महिलाओं की सेक्सुअल रिलेशनशिप के प्रति अनिच्छा हो जाती है। पीरियड्स को वे अनिवार्य प्रक्रिया समझती हैं, इसके ना होने पर वे कई बार डिप्रेशन की गिरफ्त में आ जाती हैं, जबकि ऐसा नहीं
है। स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह ले कर लुब्रिकेशन का प्रयोग कर सकते हैं। अगर संबंध पूरी तरह से खत्म कर देते हैं तो आगे चल कर तनाव, चिड़चिड़ापन और नकारात्मक विचार आने लगते हैं। इसीलिए कपल को प्रॉपर काउंसलिंग ले कर नॉर्मल रूटीन लाइफ शुरू करनी चाहिए। सेक्सोलॉजिस्ट से मिल कर आप दवाएं ले सकते हैं। सेक्सलेस मैरिज लाइफ की जगह अपनी नॉर्मल लाइफ लीड कर सकते हैं।

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