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गुस्सा, आक्रोश, नाराजगी और बेबसी अकसर तब ज्‍यादा महसूस होती है, जब बात पति-पत्‍नी से ताल्लुक रखती हो। जगजाहिर है, दांपत्‍य जीवन का प्रमुख आधार सेक्‍स है। अगर सेक्‍सुअल लाइफ में खुशी और संतुष्टि होगी, तो निसंदेह लाइफ का हर पहलू रुचिकर और सुकूनदायक साबित होगा। अगर ऐसा नहीं है, तो ना सिर्फ दांपत्‍य रिश्‍ते पर, बल्कि प्रोफेशनल लाइफ और पूरे व्‍यक्तित्‍व पर भी नेगेटिव असर दिखायी देगा। गौर करें, आजकल वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ में तालमेल नहीं बैठा पाने की परेशानी हर दूसरे दंपतियों के साथ होने लगी है। हालांकि यह समस्‍या पहले भी थी, लेकिन पिछले 2 सालों में दांपत्‍य रिश्‍तों में नीरसता और उबाऊपन से सेक्‍स लाइफ बुरी तरह प्रभावित होती नजर आयी है। यह मैरिज काउंसलर, मनोचिकित्‍सकों और सेक्‍सोलॉजिस्‍ट की चिंता की बात तो है ही, इसके साथ-साथ शोधकर्ताओं के लिए भी विचारणीय विषय है। शायद इसीलिए मैरिज काउंसलर, मनोचिकित्‍सकों और सेक्‍सोलॉजिस्‍ट के पास काउंसलिंग के लिए आनेवाले कपल्‍स की संख्या बढ़ रही है।

मुंबई के फोर्टिस अस्‍पताल के सेक्‍सोलॉजिस्‍ट संजय कुमावत कहते हैं, ‘‘सेक्‍सुअल लाइफ को हेल्‍दी बनाने लिए पुरुषों को चाहिए कि वे फीमेल ऑर्गेज्‍म का आदर करें। दरअसल, सेक्‍स पति-पत्‍नी दोनों के लिए टीम गेम की तरह है। इसमें संसर्ग सुख के प्रति दोनों की बराबर जिम्‍मेदारी होती है। इसीलिए संसर्ग के दौरान दोनों को बराबर का अवसर मिलना चाहिए, जिससे वे अपनी परफॉर्मेंस अच्‍छी दे सकें। अगर ऐसा हो, तो वे दोनों ‘बेस्‍ट कपल’ कहलाते हैं। अगर ऐसा नहीं हो, तो दोनों में किसी एक की परफॉर्मेंस अच्‍छी होने पर वह अपने साथी पर तंज करने से पीछे नहीं हटता। यहीं से दांपत्‍य रिश्‍ते की गड़बडि़यां शुरू होती हैं। पति अपनी पत्नी को लवमेकिंग मशीन और बेबी डॉल ना समझे और पत्नी अपने साथी के सेक्सुअल अॉर्गन पर साइज का गणित ना लगाए। अगर इस बात को अपने मन में बैठा लिया जाए, तो समस्या का समाधान तो यों ही हो जाएगा। ’’ 

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पुरुष के लिए सेक्‍स शरीर की जरूरत है। जबकि स्‍त्री के लिए सेक्स शरीर और भावनाओं दोनों से जुड़ा है। इस सचाई को दोनों को महसूस करने की जरूरत है। तभी बेडरूम में मूड लाइट, रिलैक्‍स और संतोष से भरा हुआ रहेगा, जिससे दोनों घर के रुटीन काम और ऑफिस में अच्छा आउटपुट भी दे पाएंगे।

गौर करें, अगर दोनों की कामेच्‍छा सही है, लेकिन संबंध खराब हैं, तो दोनों अपने संबंध खराब होने की वजह जानें और उसका समाधान करने की कोशिश करें। इसके विपरीत अगर पति-पत्‍नी के संबंध अच्‍छे, पर सेक्‍सुअल लाइफ नीरस है, तो भी डॉक्‍टर से मिल कर अपने हारमोन्‍स की समस्‍या का समाधान करें, क्‍योंकि सेक्‍स का सीधा संबंध हारमोन्‍स से जुड़ा है। रेगुलर सेक्‍स से कपल्‍स मेंटली रिचार्ज रहते हैं। दिमाग में तनाव का जमावड़ा नहीं होता। इससे वर्क प्‍लेस में काम को ले कर क्‍लीयरिटी होती है। दफ्तर के काम पर पूरी तरह फोकस रहता है। उसमें आत्‍मविश्‍वास का स्‍तर ऊंचा करता है। अपने काम और परफॉर्मेंस को ले कर उनका मनोबल बढ़ा रहता है। 

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यह देखा गया है कि अगर किसी खास वजह से पुरुष की सेक्‍स क्षमता कम हुई हो, तो यह बात उसके मन में घर कर जाती है कि मैं किसी काम का नहीं रहा। गुस्‍से और खीज की मिलीजुली प्रतिक्रिया उसके ऑफिस के काम में देखने को मिलती है। इतना ही नहीं, अकसर ऐसे पुरुष ऑफिस में पॉर्न साइट देखते हुए भी पकड़े जाते हैं। वर्क डेड लाइन पर पूरी नहीं पर पाते हैं। काम में बार-बार गलतियां करेंगे और बार-बार माफी मांगते हुए मिलेंगे। 

Couple having arguments and sexual problems in bed
Couple having arguments and sexual problems in bed

जहां तक स्‍त्री की संसर्ग में संतुष्टि और दफ्तर में वर्क परफॉर्मेंस का सवाल है, अगर वह अपने निजी जीवन में पति से संतुष्‍ट नहीं रहती, तो ऑफिस में पुरुषों के प्रति उसका नजरिया अच्‍छा नहीं होता। उनसे बहस और उन्‍हें बात-बात में नीचा दिखाना उसकी आदत में शुमार हो जाता है। ऐसी स्त्रियों का टीम वर्क से विश्‍वास उठ जाता है। चिड़चिड़ापन, अलग-थलग रहना, बात-बात में अपने सहयोगियों से नाराज होना और कभी भी अपने ऑफिस के काम को पूरा ना करना भी उनके व्यक्तित्‍व पर धीरे-धीरे बुरा असर डालने लगता है। विदेश में हुए एक नए शोध में 2 हफ्तों के लिए ऑफिस के 159 कर्मचारियों पर रोज शोध किया गया। जिनकी सेक्‍सुअल लाइफ अच्‍छी रही, उनका ऑफिस में वर्क मैनेजमेंट और वर्क परफॉर्मेंस अच्‍छे रहे और वे अपने नौकरी से खुश रहे। सेक्‍स लाइफ की बेहतरी के लिए संबंधों में सुधार की बात की जाए, तो मनोचिकित्‍सक डॉ. अनुनीत अग्रवाल का कहना है, ‘‘दंपती वीकेंड के महत्‍व को जरूर समझें, जिसमें वे एकांत में पल बिताएंगे। पति-पत्‍नी को चाहिए कि वे एक-दूसरे को मिस करें। दोनों का कुछ घंटों या कभीकभार कुछ दिनों के लिए अलग रहना भी जरूरी है। इससे उनकी सेक्‍स लाइफ में सुधार आएगा। चाहे आपकी फैमिली छोटी हो या बड़ी, दंपती अपने लिए कम से कम पूरे दिन में एक घंटे का वक्त निकालें, जिसमें वे दोनों सिर्फ एक-दूसरे के साथ अकेले हों। पर्सनल स्पेस ना मिलने की वजह से चिड़चिड़ापन होता है, जो उन्हें सेक्स से दूर ले जाता है। अपने लिए ‘मी’ के अलावा ‘वी’ टाइम पर गौर करें।’’ 

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वर्क व पर्सनल लाइफ

ऑरीगोन स्‍टेट युनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ बिजनेस के शोधकर्ता एसोसिएट प्रोफेसर कैथ लेविट के मुताबिक सेक्‍स के बाद स्‍त्री और पुरुष दोनों में कम से कम 24 घंटे तक अपने काम को ले कर पॉजिटिव असर रहता है। वर्क प्‍लेस में उनसे सभी प्रभावित भी रहते हैं, दरअसल उनके काम के अलावा उनकी निजी जिंदगी भी बहुत संतुष्‍ट होती है। कर्मचारी की प्रोफेशनल लाइफ सही रहे, इसके लिए उनकी पर्सनल लाइफ का बेहतर होना जरूरी है। इससे उसकी वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ में संतुलन बना रहता है।

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