ADVERTISEMENT

प्यार को तीन पीढि़यां कैसे देखती हैं और किस तरह बिगड़ता वर्क लाइफ बैलेंस किस तरह से आज के प्यार को और शादियों को तोड़ रहा है। सबसे बड़े ग्लोबल मार्केट सर्वे एजेंसी IPSOS द्वारा एक्स्ट्रा मेरिटल डेटिंग एप्प ग्लीडन के लिए किए गए सर्वे ने हर पीढ़ी में प्यार, शादी और धोखे के ट्रेंड के बारे में ऐसे आंकडे दिखाए हैं, जो समाज की सोच पर कई तरह के सवाल खड़े करते हैं। सर्वे 1510 लोगों पर किया गया था। इस सर्वे के हिसाब से 33% लोगों का मानना था कि परिवार के साथ क्वालिटी टाइम ना मिलना ही रिश्ते को कमजोर कर रहा है और रिश्तों में चीटिंग की वजह बन रहा है। वर्क प्रेशर और बदलते डेटिंग ट्रेंड्स में अपने पार्टनर से जुड़े रहना अब मुश्किल हो गया है, 51% लोगों को अपने पार्टनर के साथ इमोशनल कनेक्शन नहीं फील होता है और 42% से 38% लोगों का कहना था कि उन्हें अपने रिश्ते में थ्रिल और एक्साइटमेंट नहीं फील होती जिसकी वजह से वे चीट कर रहे हैं। इमोशनल और फिजिकल इंटिमेसी की कमी रिलेशनशिप को बदल रही हैं और अब लोग अपने पार्टनर के साथ रिश्ते पर मेहनत करने की जगह चीट करने का आसान रास्ता चुन रहे हैं। चीटिंग करने वालों में जेन एक्स की संख्या सबसे ज्यादा है, वे अपने पार्टनर से इमोशनल कनेक्शन फील नहीं करते।

चीटिंग से सुधरती है शादीशुदा जिंदगी

ADVERTISEMENT

इस सर्वे में 58% लोगों का मानना था कि अगर चीट करने से उनके रिश्ते में वह स्पाइस वापिस आ जाता है और अगर इसकी वजह से वे किसी ना किसी तरह से इमोशनली फुलफिल रहते हैं तो वे इसे गलत नहीं मानते हैं यानी पार्टनर को चीट कर सकते हैं। 45% लोगों का मानना है कि चीटिंग रिश्ते को बचा सकती है। ऐसा मानने वाले लोगों में 47% शादीशुदा लोग थे। यह रिसर्च सोचने पर मजबूर करती है कि रिश्ते किस रास्ते जा रहे हैं? क्या चीटिंग सच में अच्छी है? रिश्ते को बचाने के नाम पर की गई चीटिंग को पुरानी पीढ़ी सही मान रही है? शादी का बंधन जो दो लोगों की बीच पवित्र माना जाता था, उसे तीन लोगों द्वारा चलाया जाना सही समझा जा रहा है। भारत में चीटिंग या शादी में किसी तरह के अवैध संबंध को कानून के सेक्शन 497 के तहत डीक्रिमिनलाइज किया गया था। इसके बावजूद भी शादी जैसे पवित्र रिश्ते को बचाए रखना हर पीढ़ी के लिए एक चैलेंज है।

Man with smartphone in bedroom, upset woman in the background
Does Cheating really helps in marriage?

इस रिसर्च और सर्वे में सबसे हट कर बाहर आने वाली बात, जो समाज का आईना बन गयी है, वह यह कि 61% आदमी और 62% महिलाओं दोनों का मानना है कि इंसान मोनोगैमी के लिए बना ही नहीं है यानी एक ही पार्टनर के साथ पूरा जीवन बिताने के लिए नहीं बने हैं इंसान और शादिंया सिर्फ सोशल प्रेशर के कारण निभायी जा रही हैं।

ADVERTISEMENT

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या है शादियों का भविष्य और क्या लिवइन रिलेशनश्पि बेहतर रास्ता हैं? वर्क प्रेशर और सोशल मीडिया ने रिश्तों के रंग बदल दिए हैं। इतनी जानकारियां और एक क्लिक पर किसी भी नए इंसान से जुड़ने की सुविधा रिश्तों के लिए नया चैलेंज बन रहा है तो किसी के लिए बढि़या अपॉर्च्यूनिटी।

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT