Thursday 18 May 2023 04:17 PM IST : By Team Vanita

पैसों को ले कर खींचतान, कपल बचें कुछ इस तरह

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कमाल ही है कि पति-पत्नी के बीच पैसों से जुड़े बढ़ते झगड़ों के चलते अमेरिका में नयी थेरैपी की शुरुआत हो गयी है, जिसमें कई बड़ी कंपनियाें और एजेंसियों ने सलाहकार सर्विसेज शुरू की हैं। वहां की यूनिवर्सिटीज में बाकायदा ट्रेनिंग और डिग्री कोर्स शुरू हो गए हैं। पति-पत्नी के बीच प्यार तभी बना रहता है, जब उनके बीच कोई बात आड़े नहीं आती। अकसर उनके बीच झगड़े की वजह पैसा बनता है। चाहत के जज्बे के बीच जहां पैसे ने फन उठाना शुरू किया, रोमांस धरा रह जाता है। अमेरिका की कैंसास यूनिवर्सिटी में 4000 दंपतियों का अध्ययन किया गया। सवाल था कि सुखी वैवाहिक जीवन के लिए क्या जरूरी है? स्टडी का निष्कर्ष था कि सफल शादीशुदा जिंदगी के लिए सबसे जरूरी है कि पति-पत्नी का रुपयों-पैसों को ले कर एक ही नजरिया हो। यानी घर के खर्च से ले कर कर्ज लेने तक दोनों की राय एक हो। कोई दुराव-छिपाव ना हो। अच्छा तो यह रहेगा कि वे शादी से पहले मनी मैनेजमेंट का अपना एक सिस्टम तैयार कर लें। पैसों को ले कर ही दोनों में मनमुटाव और रिश्ते खराब होते हैं। चाहे लव मैरिज हो या अरेंज, खर्चे के मुद्दे को नजरअंदाज ना करें। बात ना बने, तो मैरिज काउंसलर से ले कर नयी थेरैपी की सेवाएं लेने में कोई हर्ज नहीं है। चूंकि पैसा कहां खर्च किया, कैसे खर्च किया और क्यों खर्च किया जैसी बातों को ले कर पति-पत्नी के बीच झगड़े होते हैं। इसीलिए कैंसास स्टेट यूनिवर्सिटी, जॉर्जिया यूनिवर्सिटी व क्रीचन यूनिवर्सिटी ने फाइनेंशियल थेरैपी पर ट्रेनिंग प्राेग्राम और ग्रेजुएट कोर्स शुरू किए हैं।

ब्रिंघम यंग यूेनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर जेफ्री ड्यू का मानना है कि पैसों की हर किसी के जीवन में अलग-अलग भूमिका होती है। कुछ के लिए यह सुरक्षा देनेवाला है, किसी के लिए मौजमस्ती में पैसा खर्च करना उनका मकसद हो सकता है, इसलिए मनमुटाव होता है। जिस तरह सेक्सुअल संबंधों को ले कर तनाव पैदा होता है, वैसा ही पैसों को ले कर होता है। कई बार पति या पत्नी शेअर मार्केट में एक-दूसरे की जानकारी के बिना पैसा इन्वेस्ट कर देते हैं, नुकसान होने पर दूसरा खुद को ठगा सा महसूस करता है। कभी ऐसा भी होता है कि पार्टनर की फिजूलखर्ची की वजह से दंपती कर्जे में फंस जाते हैं। उनकी सेविंग्स प्रभावित होने लगती हैं। फाइनेंस एक्सपर्ट दीपांश शेखावत की राय में पति-पत्नी एक-दूसरे के क्रेडिट कार्ड और बैंक स्टेटमेंट पर नजर रखें। अगर क्रेडिट कार्ड पर बकाया रकम हर महीने बढ़ रही है, तो इससे पैसों को ले कर रिश्ते में खटास आने के आसार बढ़ते हैं। फिजूलखर्ची की वजह से झगड़े बढ़ सकते हैं। फाइनेंस एक्सपर्ट की राय में बचत और इन्वेस्टमेंट पूरी प्लानिंग के साथ तो करें ही, उनके साथ लक्ष्यों को भी जोड़ा जाए।

लोन की जानकारी दें

मैरिज काउंसलर निशा खन्ना के अनुसार, आपने अगर शादी से पहले दोस्त से उधार लिया है, बैंक से लोन लिया है या किसी साहूकार से कर्ज, तो इसकी जानकारी अपने जीवनसाथी को दें। लोन कितना है, कितना चुका दिया है, कितना चुकाना बाकी है, इस बारे में अपने साथी को जरूर बताएं। अचानक इस बात की जानकारी होने पर पार्टनर अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता है। उसकी मदद आपको चाहिए, तो उसे ऐसी बातों से अवगत रखें।

कैसा बैंक अकाउंट

फाइनेंस एक्सपर्ट हसबैंड-वाइफ के बीच जो सबसे बड़ी दिक्कत पाते हैं, वह है शादी की शुरुआत में एक-दूसरे का विश्वास पाने के लिए जॉइंट बैंक अकाउंट खुलवाना और बाद में इसी बात का अखरना। एक्सपर्ट दीपांश शेखावत के अनुसार, बेहतर रहेगा कि पति-पत्नी अपना-अपना बैंक अकाउंट अलग-अलग ही रखें। यह बात साफ तौर पर शादी से पहले तय कर लें। सिर्फ शादी की वजह से अपने बैंक अकाउंट में तब्दीली करना सही नहीं होगा। पहले ही बता दें कि पर्सनल फाइनेंस पर्सनल होता है। उसमें किसी की भी या पार्टनर तक की दखलंदाजी अच्छी नहीं होती। बाद में यही बातें बुरी लगने लगती हैं। बेहतर रहेगा कि एक-दूसरे को अपना-अपना नॉमिनी पहले ही बना लें। ऑनलाइन फाइनेंस एडवाइजर सोफी नवविवाहित जोड़ों को जॉइंट अकाउंट खोलने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। अगर किसी साथी को गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो जाए या वह ना रहे, तो उसका अकाउंट हैंडल करने में दिक्कत पेश आ सकती है। बेहतर रहेगा कि दंपती एक जॉइंट अकाउंट और एक-एक पर्सनल अकाउंट भी रखें।

घर खर्च का बंटवारा

काउंसलर निशा का मानना है कि आजकल पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं, तो शादी से पहले तय कर लें कि कौन सा पार्टनर क्या जिम्मेदारी व खर्चे उठाएगा। बिजली, फोन, गैस के बिल कौन भरेगा? ग्रॉसरी, सब्जी, दूध व घर के बाकी खर्चे किसे उठाने हैं। अगर पत्नी या पति की तनख्वाह पार्टनर से ज्यादा है, तो वह थोड़ा ज्यादा खर्चे उठा सकता/सकती है। यह नहीं कि पति हो, तो सारा खर्चा तुम ही उठाओ, तुम्हारा काम कमाना है, किसी भी तरह सारे खर्चे पूरे करो। अकसर इसी मानसिकता के चलते लड़कियां अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर घर बैठ जाती हैं।

इंश्योरेंस पॉलिसी

शादी से पहले ली गयी इंश्योरेंस पॉलिसी पर अकसर माता-पिता नॉमिनी होते हैं। अगर ऐसी कोई पॉलिसी है, तो उसके बारे में अपने पार्टनर को बताएं। बाद में इस बात पर विवाद ना करें कि उस इंश्योरेंस पॉलिसी पर आपका नॉमिनी होने का हक है। आपका हक शादी के बाद ली जानेवाली पॉलिसीज पर हो सकता है। इसलिए अपनी फाइनेंशियल योजनाओं को ले कर दोनों पार्टनर मिल कर फैसला करें और जागरूक रहें। बदलावों को स्वीकार करें। अपने प्रेम संबंध के बीच पैसे को विलेन ना बनने दें।

होम लोन

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शादी के बाद घर लेने की प्लानिंग पति-पत्नी मिल कर लेते हैं। हो सकता है, शादी से पहले किसी ने फ्लैट बुक करा लिया हो। शादी के बाद होम लोन की जिम्मेदारी दोनों मिल कर उठाएं। घर किसके नाम पर है और शादी के बाद उसमें क्या बदलाव होंगे, पहले ही इन बातों को साफ कर लें। फ्लैट शादी के बाद बुक करा रहे हैं, तो जीवनसाथी की रजामंदी व पसंद का ध्यान रखें। ये बहुत छोटी-छोटी बातें हैं, जिन पर अमल लाएंगे, तो आपस में कभी नहीं टकराएंगे।

पैसा कमाने से जरूरी है कि खर्च कौन कर रहा है। अकसर परिवारों में पुरुष पैसा देता है और महिला खर्च करती है। घरेलू महिलाएं घर के सारे सामानों की खरीदारी खुद करती हैं। ऐसे में पुरुष को लगता है कि उसके दिए पैसों से फायदा उठाया जा रहा है, जबकि महिला को लगता है कि उसके एक-एक पैसे खर्च करने पर नजर रखी जा रही है। बेहतर रहेगा कि शादी से पहले या शादी के तुरंत बाद मनी मैनेजमेंट का एक संतुलित तरीका दोनों मिल कर तय करें। अब तो ऑनलाइन फाइनेंसर कंपनियों ने नए जोड़ाें को वित्तीय सलाह देना शुरू कर दिया है।

अमेरिका में 26 प्रतिशत महिलाओं की घर खर्च चलाने में प्रमुख भूमिका होती है। पैसों को ले कर उन्हें अंतरंग रिश्तों में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अपने देश में कई बार ऐसा नहीं होता,
तो भी पैसों का दबाव दिल और दिमाग पर हावी रहता है। इसलिए मैरिज काउंसलर और फाइनेंस काउंसलर दोनों की राय लें और पति-पत्नी दोनों उससे सहमत होने पर ही आगे कदम उठाएं।

कितने और क्यों पैसों को ले कर झगड़े

- 27% विवाहित लोग अपने पार्टनर से पैसों से संबंधित जानकारी छिपाते हैं। साइंटिफिक जर्नल प्लॉस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वैवाहिक रिश्तों पर सबसे खराब असर तब पड़ता है, जब पति-पत्नी में से किसी एक को यह पता चले कि उससे पैसों से जुड़ी जानकारी छुपायी जा रही है।

- 26% अमेरिकी महिलाएं अपने परिवार में पैसा कमानेवाली प्रमुख सदस्य हैं। उनको अंतरंग संबंधों में मनमुटाव का सामना करना पड़ता है।

- 25-36 साल के अमेरिकियों पर 29 लाख रुपए का औसत कर्ज है। कर्ज शादी से पहले लिया होने और इसकी जानकारी दूसरे को ना होने पर विवाद गहरा जाता है।

- 28% वैवाहिक रिश्तों में तनाव का कारण पैसा पाया गया, जिसकी वजह से शादी टूटने की कगार पर पहुंच गयी।