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एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के बाद डिप्रेशन शब्द एक बार फिर से बहस का मुद्दा बन गया है।हर कोई डिप्रेशन के बारे में खुल कर बातें कर रहा है।

जगह बदलेंः कुछ दिनों के लिए मरीज/व्यक्ति को उस माहौल से दूर रखें, जहां वह रह रहा है। जैसे अगर मां में डिप्रेशन के लक्षण दिखें, तो उन्हें साथ घुमाने ले जाएं। संभव हो, तो किसी रिश्तेदार के पास जैसे मौसी, मामा, बुआ के घर ले जा सकते हैं। उनको रोजाना पार्क या किसी हवादार जगह पर ले कर जाएं। ग्रॉसरी शॉप ले जा कर थोड़ी शॉपिंग कराएं।

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महत्च देंः अगर किसी वजह से आपका बड़े भाई डिप्रेशन में जा रहे हैं, तो उनसे बात करें। घर के हर छोटे-बड़े फैसले में उनकी राय लें। उन्हें महसूस कराएं कि उनकी सलाह या सुझाव अच्छे हैं। छोटी-बड़ी हर चीजों में उनसे सुझाव लें। आपके ऐसा करने से खुद को ले कर उनके मन से हीन भावना कम होगी।

बिजी रखेंः कई बार युवा लड़कियां डिप्रेशन में चली जाती हैं, खासकर वे जिनकी शादी में देरी हो रही हो। ऐसी स्थिति में उनको बिजी रखना जरूरी है। इसके लिए उनको हॉबी क्लासेज जॉइन कराएं। उनकी पसंद के किसी वोकेशनल कोर्स में एडमिशन कराएं। अपने जैसी ढेरों दूसरी लड़कियाें को देखने के बाद उन्हें यह महसूस होगा कि वे अकेली नहीं हैं, जो इस स्थिति से गुजर रही हैं।

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सहारा बनेंः कई बार समय पर प्रमोशन नहीं मिलने के कारण या बिजनेस में सोच के अनुरूप लाभ नहीं मिलने की स्थिति में पति गहरे दुख से गुजरता है। यह स्थिति ज्यादा दिन तक चले, तो डिप्रेशन का रूप ले लेती है। ऐसी सिचुएशन से निकालने के लिए पत्नियों को बहुत स्ट्रॉन्ग बनने की जरूरत है। पति को हौसला दें कि स्थिति सुधरेगी या अगर वे चाहें, तो नया जॉब तलाश सकते हैं। उन्हें कुछ ऐसे प्लान सुझाएं, जिससे घाटे की भरपाई आसान हो सके। उनके अच्छे दोस्तों को वीकेंड पर घर बुलाएं। बातों ही बातों में उनके दोस्तों के जीवन के निराशाजनक अनुभवों पर बातें करें। उनसे पूछें कि वे किन उपायों की मदद से डिप्रेशन के अंधेरे से बाहर निकले। इस तरह से आपके पति यह महसूस करेंगे कि उनके अपने ही दोस्तों और रिश्तेदारों ने उनसे भी खराब स्थिति का सामना किया है। उनकी हिम्मत बढे़गी और वे पॉजिटिव सोचेंगे।

अकेला ना छोड़ेंः जो व्यक्ति डिप्रेशन से गुजर रहा हो, उसे कभी भी अकेला ना छोड़ें। खासकर अधेड़ उम्र के लोग डिप्रेशन में रहे हों, तो घर के किसी ना किसी सदस्य को हमेशा उनके पास रहने दें। अगर काेई बड़ा फ्री नहीं हो, तो घर के किसी छोटे सदस्य पर उनकी जिम्मेदारी डालें। कई बार अपने सामने जिम्मेदारियां देख कर लोग सुसाइड जैसे नकारात्मक ख्याल को मन से निकाल देते हैं।

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आउटडोर एक्टिविटी करेंः डिप्रेशन से जूझ रहे फैमिली मेंबर को घर के बाहर की एक्टिविटी में सक्रिय करें। उन्हें आउटडोर गेम खेलने को उत्साहित करें। घर में गार्डन हो, तो उसमें पेड़-पौधे लगवाएं। इस तरह के कंस्ट्रक्टिव काम करने से उनके मन में जीवन को ले कर सकारात्मकता बढ़ेगी। नेगेटिव बातों को सोचने का मौका नहीं मिलेगा। स्पोर्ट्स जैसी एक्टिविटी करके वे थकेंगे और गहरी नींद सोएंगे, इससे उनका मन शांत रहेगा।

दोतरफा बातचीत जारी रखेंः कई बार होस्टल में दूर रहनेवाले टीनएजर बच्चे भी डिप्रेशन में चले जाते हैं। खासकर जो बच्चे छोटे शहर से बड़े शहर पढ़ने जाते हैं, उनमें नए परिवेश को ले कर कॉम्पलेक्स हो सकता है। अगर माहौल उनको सपोर्ट करनेवाला ना हो, तो वे डिप्रेशन में चले जाते हैं। जब कभी फोन पर बातचीत के दौरान आपको अपने बच्चे की आवाज में सुस्ती दिखे, उत्साह की कमी दिखे, तो उसका हौसला बढ़ाएं। परिवार के दूसरे सदस्यों खासकर उसके भाई-बहन, कजन्स से उसकी बात कराएं। बातचीत करने से वे अपने अंदर की कमतर भावना को निकाल पाएंगे। खुश रहेंगे। अगर वे ज्यादा उदास दिखें, तो उन्हें थोड़े दिनों के लिए घर भी ला सकते हैं।

फुल सपोर्ट करेंः पड़ोस में या बिल्डिंग में कोई निराश या उदास दिख रहा हो, चुपचाप रहने लगा हो, सोसाइटी की पार्टियों से बचने लगा हो, तो सोसाइटी के कुछ लोग साथ मिल कर उसकी मदद काे आगे बढ़ें। उसके साथ समय बिताएं। महीने-दो महीने तक किसी ना किसी बहाने नजदीकी बढ़ाएं, अगर आपको लगता है कि उसका डिप्रेशन बढ़ रहा है, तो साइकियाट्रिस्ट के पास ले जाएं।

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