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किसी भी बात पर बच्चे का झूठ बोलना आम बात है। इस बात से माता-पिता अकसर नाराज रहते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है कि बच्चे झूठ क्यों बोलते हैं? कहीं उनके झूठ बोलने की आदत के जिम्मेदार आप तो नहीं? दरअसल, बच्चे डांट या मार के डर से झूठ बोलते हैं। अगर आप इस डर को खत्म कर देंगे, तो झूठ भी खुदबखुद ही खत्म हो जाएगा। शरारतें और गलती करना बच्चों का स्वभाव है। देखा जाए, तो कुछ नया सीखने की और बड़े होने की इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा होती हैं ये शरारतें व गलतियां। जो पेरेंट्स बच्चों को जरूरत से ज्यादा कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, उन बच्चों में झूठ बोलने की आदत ज्यादा होती है। फिर धीरे-धीरे पेरेंट्स और बच्चों, दोनों का ही एक-दूसरे पर से विश्वास खत्म होने लगता है। इसमें सबसे बड़ा नुकसान आपका ही है, क्योंकि आप अपने बच्चों के मन में अपने लिए भरोसा कायम नहीं कर पाए। उम्र बढ़ने के साथ झूठ भी बड़ा हो कर आदत में शुमार हो जाता है। 

मां का रोल होता है अहम 

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बच्चे की पर्सनेलिटी को बनाने में मां की भूमिका अहम है। बच्चों के मन में शुरू से ही यह बात बैठा दें कि आप उनकी दोस्त हैं और मम्मी से अपने दिल की हर बात की जा सकती है। यह भरोसा कायम करने के लिए बहुत धैर्य से काम लें। उनकी हर बात को ध्यान से सुनें और समझें। पहले आपस में एेसी अंडरस्टैंडिंग बनाएं कि बच्चा आपका साथ एंजॉय करे। उसे यह नहीं लगना चाहिए कि मम्मी हर काम के लिए मना करती है या फिर हर समय डांटती रहती है। बच्चे से अपनी एक बात मनवाने से पहले आपको दस बातें बच्चेे की भी माननी होती हैं और यह काम सिर्फ मां ही कर सकती है। वे जब कुछ कहें, तो उनकी बात को बिना जजमेंटल हुए सुनें। उनके दोस्तों, टीचर्स,स्कूल, टॉएज के बारे में कोई नेगेटिव कमेंट ना करें। बेशक बच्चों की भलाई के लिए उनकी बागडोर अपने हाथ में रखें, लेकिन उन्हें यह अहसास करवाएं कि अपने फैसले वे खुद करते हैं।

जब हो बच्चे के झूठ से सामना 

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बच्चों की शरारतों पर उन्हें ना डांटें। मसलन अगर बच्चे के हाथ से दूध से भरा गिलास छूट गया है, तो इसे देखते ही आपको गुस्सा आएगा। लेकिन गुस्सा करने के बजाय अगर आप बच्चे से यह कहती हैं कि चलो इसे साफ करने में मम्मी की मदद करो, तो वह भी डरे बिना अपनी गलती मानेगा।

जब आप उसका कोई झूठ पकड़ लें, तो फिर इस बात के लिए उसे ना डांटें। बच्चों को यह महसूस करवाएं कि सच बाेलना बेहद आसान है और इससे कोई नुकसान नहीं होता।

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बच्चे ने आप पर विश्वास करके अपना कोई सीक्रेट शेअर किया है या फिर किसी गलती को कबूला है, तो उसे अपने तक ही रखें।

अगर बच्चे का कोई झूठ आपके सामने खुल गया हो, तो बेशक पति को इस बारे में बताएं, लेकिन उन्हें यह हिदायत भी दें कि वे बच्चे से इस बारे में बहुत संभल कर बात करें, वरना बच्चा तो यही सोचेगा कि मैंने तो मम्मी पर विश्वास करके सच बताया था और मम्मी ने मेरी शिकायत पापा से कर दी। 

बच्चे झूठ बोलना कहां से सीख रहे हैं, यह पता लगाना भी जरूरी है। कई बार घर में बड़ों को देख कर ही उनमें यह आदत पड़ जाती है। घर में यह नियम होना चाहिए कि कोई सदस्य किसी से झूठ नहीं बोलेगा। घर के बड़े मिल कर बच्चों के सामने कोई रोल प्ले भी कर सकते हैं। खाने के समय या टीवी देखते समय घर का कोई भी मेंबर अपने किसी झूठ को कबूल करते हुए सबको सॉरी बोल सकता है और बाकी लोग ‘इट्स ओके’ कह कर उसका झूठ माफ कर सकते हैं। 

देखा जाए, तो झूठ बोलना बहुत आम बात है, लेकिन यह बड़ी बात ना बन जाए, इसके लिए शुरुआत से ही ध्यान रखना होगा।

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