किराए के घर में 4 साल रहने के बाद सोनल और निलय ने फैसला कर लिया कि अब उन्हें अपना घर लेना है। लेकिन उन्हें इसका जरा भी आइडिया नहीं था कि प्रॉपर्टी किस तरह खरीदी जा सकती है। वे एक प्रॉपर्टी डीलर के पास गए और उसने उन्हें ऐसा घुमाया कि उनके पसीने छूट गए। आप भी अपना घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो हम आपको एक्सपर्ट के बताए स्टेप बाई स्टेप टिप्स बता रहे हैं, जो आपके घर खरीदने के सपने को आसानी से पूरा करने में मदद करेंगे।
क्या आप तैयार हैं
क्या आप घर खरीदने के लिए तैयार हैं? घर का मालिक बनना कोई हंसी-खेल नहीं है। अपना घर हमेशा किराए के घर से महंगा पड़ता है, क्योंकि आपको रिपेयरिंग, मेंटेनेंस और हाउस टैक्स आदि पर खर्च करना होता है। ये सारे खर्चे घर खरीदने के तुरंत बाद से आपके ऊपर आते हैं। अगर आपने पहले से ही कोई लोन ले रखा है, क्रेडिट कार्ड पर आउटस्टैंडिंग ज्यादा है, तो एक बार दोबारा सोचें। दोस्तों-रिश्तेदारों के कहने पर घर खरीद कर कर्ज के जंजाल में फंसने से बेहतर है कि कुछ दिन रुक कर इसके बारे में सोचा जाए।
अपना बजट जानें
अगर आपने घर खरीदने का मूड बना ही लिया है, तो इसके लिए अच्छे-खासे पैसे चाहिए। आपको देखना होगा कि आप किस तरह से रकम का इंतजाम कर सकते हैं, सेविंग कितनी है और कितना होम लोन ले सकते हैं, जिसकी किस्तें आसानी से चुकायी जा सकती हैं। आप बैंक और होम लोन देने वाली वित्तीय संस्थाअों से संपर्क करके अपनी लोन की पात्रता का पता लगा सकते हैं। हो सकता है आपके अकेले की आय पर जरूरतभर का लोन नहीं मिले, तो ऐसी स्थिति में परिवार के किसी सदस्य के साथ जॉइंट लोन लेने की सोचें। संयुक्त रूप से लोन लेने पर बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन ज्यादा लोन ऑफर कर सकते हैं।
याद रखें, बैंक या वित्तीय संस्थान घर की पूरी कीमत लोन के रूप में नहीं देंगे, आपको कुछ रुपयों का जुगाड़ डाउन पेमेंट के लिए तो अलग से करना ही पड़ेगा। आमतौर पर प्रॉपर्टी की कुल कीमत का 20 प्रतिशत डाउन पेमेंट के रूप में देना होता है। होम लोन लेने का फायदा आपको इनकम टैक्स में राहत के रूप में मिल सकता है। आपको हर साल होम लोन के इंटरेस्ट के रूप में चुकायी गयी रकम पर 2 लाख रुपए और प्रिंसिपल के रूप में चुकायी गयी रकम पर डेढ़ लाख रुपए तक की सीधी छूट मिल सकती है। इन सब पहलुअों को ध्यान में रखते हुए जब आपको घर खरीदने की अपनी पात्रता का पता चल जाएगा, तो आप अपनी पसंद के घर के लिए रिसर्च शुरू करें।
होम लोन की अवधि
बैंक आपको होम लोन कितने समय के लिए देंगे, यह कई बातों पर निर्भर करता है। इसमें आपकी उम्र और जॉब की बची हुई अवधि प्रमुख है। आमतौर पर होम लोन अधिकतम 30 सालों के लिए मिल सकता है, यह आप पर निर्भर है कि पात्रता होते हुए आप 15, 20 या 25-30 सालों में से कितने समय के लिए लोन लेते हैं। जितने कम समय के लिए लोन लेंगे, ब्याज भी आपको उतना ही कम देना पड़ेगा। आप रेट ऑफ इंटरेस्ट भी फिक्स्ड या फ्लोटिंग चुन सकते हैं। फिक्स्ड रेट में चाहे बैंक में ब्याज दर घटे या बढ़े, आपके लोन पर कोई फर्क नहीं पड़ता, जबकि फ्लोटिंग में ब्याज दर घटती-बढ़ती रहती है। कई बैंक हाइब्रिड रेट पर भी लोन देते हैं। इसमें शुरू के कुछ सालों तक फिक्स्ड रेट ऑफ इंटरेस्ट रहता है और बाद में थोड़े अधिक रेट पर फ्लोटिंग हो जाता है।
रिसर्च करें
अच्छा घर लेने के लिए थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ेगी। आप दोस्तों-रिश्तेदारों और ऑफिस के कलीग्स से अपनी बात शेअर करें। इंटरनेट आपको आपके बजट में एक से बढ़ कर एक घर की जानकारी दे सकता है, जो काफी मददगार साबित होगी। ढेर सारी साइट्स हैं, जहां आप अपनी पसंद का और अपने बजट में घर देख सकते हैं। आप किसी अच्छे प्रॉपर्टी डीलर से भी संपर्क कर सकते हैं, जो आपको आपकी जरूरत के हिसाब से घर दिखाएंगे। इसमें कोई जल्दबाजी ना करें, क्योंकि आप घर खरीदना चाहते हैं, तो दुनिया में धोखेबाजों की भी कमी नहीं, जो आपको सब्जबाग दिखा कर फंसा सकते हैं। पूरी तसल्ली करने के बाद ही किसी प्रॉपर्टी को खरीदने का फैसला करें।
बिल्डर का प्रोफाइल
आप किसी सोसाइटी में प्रॉपर्टी देख रहे हैं, तो उसके बिल्डर का प्रोफाइल चेक करें कि उसने अब तक कितनी प्रॉपर्टी डिलीवर की हैं, टाइम पर पजेशन देते हैं या नहीं या बिल्डिंग किसी कानूनी पचड़े में तो नहीं फंसी है। बिल्डर फ्लोर या फ्लैट लेना चाहते हैं, तो उसके पूरे कागजात चेक कर लें या किसी एक्सपर्ट से दिखा लें। पेपर में प्रॉपर्टी की पूरी चेन होनी चाहिए यानी इसे किसने किससे कब-कब खरीदा,इसके पेपर्स होने चाहिए। बैंक से डाॅक्युमेंट्स दिखा कर पता कर लें कि उक्त प्रॉपर्टी पर होम लोन मिल सकता है या नहीं। बैंक होम लोन देने से पहले प्रॉपर्टी को कुछ मानदंडों पर परखते हैं।
रीसेल या नया घर
जिस घर को आप लेने की सोच रहे हैं, वह नया है या रीसेल का है, यह बात जानना भी महत्वपूर्ण है। नए घर के बारे में पता करें कि उसमें कैसी क्वॉलिटी का बिल्डिंग मटीरियल इस्तेमाल किया गया है, स्थानीय अथॉरिटी से अप्रूव्ड है या नहीं। कुछ बिल्डर अवैध तरीकों का इस्तेमाल करते हुए अपार्टमेंट बना कर आननफानन में फ्लैट बेच कर गायब हो जाते हैं और खामियाजा भुगतते हैं खरीदने वाले। रीसेल वाले घर के बारे में पता कर लें कि वह कितना पुराना है। उस पर कोई पुराना लोन तो नहीं चल रहा है, पानी या बिजली का कोई भारी भरकम बिल तो नहीं पेंडिंग है। घर फाइनल करने से पहले सेलर को इन सभी बिलों को क्लीयर करने के लिए कहें।
घर को व्यक्तिगत रूप से जा कर देखना बहुत जरूरी है। हो सकता है डीलर ने आपको घर के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बताया हो। जब आप अपनी आंखों से घर देखेंगे, तो असलियत का पता चलेगा। अगर कुछ मरम्मत कराने की जरूरत है, तो आप घर की कीमत कम करा सकते हैं।
लोकेशन कैसी है
घर देखते समय लोकेशन भी महत्वपूर्ण है। आसपास का परिवेश आपके परिवार के अनुरूप है या नहीं, यातायात के साधन कितने सुलभ हैं, इलाका सुरक्षित है या नहीं, पार्किंग की कितनी सुविधा है, घर में छोटे बच्चे हैं, तो उनके लिए पास में स्कूल है या नहीं, बुजुर्ग हैं, तो नजदीक में मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए, उनके घूमने-फिरने के लिए पार्क वगैरह हों। इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रख कर घर चुनेंगे, तो बाद की परेशानी से बचे रहेंगे।
जो घर आप चुन रहे हैं, वह 5 साल बाद भी आपके लिए फिट रहेगा या नहीं, इस पर गौर करना भी जरूरी है। घर बार-बार खरीदना जरा मुश्किल है, ऐसे में अपनी भविष्य की जरूरतों को देखते हुए ही घर सलेक्ट करें। ऊपर बतायी बातों को जानने में समय लगता है, तो लगने दीजिए, बाद में अपने फैसले पर अफसोस करने से बेहतर है कि ठोक-बजा कर फैसला लिया जाए।
अंत में बारी आती है घर को रजिस्टर कराने की, जिसमें प्रॉपर्टी डीलर आपकी मदद कर सकते हैं। आपके नाम से डॉक्युमेंट्स बनेंगे और रजिस्ट्रार के ऑफिस में घर बेचने वाले और खरीदने वाले दोनों को जा कर अौपचारिकताएं पूरी करनी होंगी।
घर खरीदने वालों के लिए वास्तु सलाह
- ज्योतिषाचार्य व वास्तुविद प्रभाकर मिश्रा कहते हैं कि मत्स्य पुराण के अनुसार घर व जमीन खरीदते समय वास्तु का विशेष ध्यान रखें। वास्तु पुरुष का मुख जमीन की तरफ, पीठ ऊपर की ओर, सिर ईशान कोण, पैर नैऋत्य कोण, भुजाएं पूर्व और उत्तर में हैं। इसी के अनुसार वास्तु स्थान निर्धारित होते हैं।

- घर का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर में रहे, तो उत्तम है, इन्हीं दिशाअों से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं।
- ध्यान रखें कि मुख्य द्वार में प्रवेश करते वक्त दाहिनी तरफ ज्यादा जगह हो। यह धन वृद्धि का सूचक है अर्थात लक्ष्मी ज्यादा जगह ले कर प्रवेश कर रही हैं और कम ले कर बाहर निकल रही हैं।
- ट्यूबवेल, स्वीमिंग पूल पूर्व-उत्तर के कोण (ईशान कोण) में होना चाहिए।
- सीढ़ी दक्षिण से पश्चिम की ओर होते हुए ऊपर जाए, तो अच्छा है।
- पूजा घर पूर्व-उत्तर के कोण (ईशान कोण) में रहेगा, तो सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होगी।
- रसोईघर पूर्व-दक्षिण कोण (आग्नेय कोण) में रहने से अन्न-धन की कमी नहीं होती है।
- चूल्हा पूर्व या पश्चिम दिशा में ही हो, उत्तर- दक्षिण दिशा में भोजन पितृ या राक्षसों के लिए बनता है।
- सिंक दक्षिण या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
- बाथरूम पश्चिम या दक्षिण दिशा में हो।
- बाथरूम व किचन की दीवार एक साथ नहीं हों।
- उत्तर-पूर्व दिशा में खिड़की और दरवाजे ज्यादा होने चाहिए। घर की बालकनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होने चाहिए।
- बेडरूम पूर्व-पश्चिम दिशा में रहे, तो उत्तम है।
- मुख्य दरवाजे के सामने बेडरूम और बाथरूम का गेट नहीं होना चाहिए।