Thursday 13 April 2023 04:33 PM IST : By Nishtha Gandhi

मैथ्स का डर भगाने के टिप्स

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मैथ्स को ले कर बच्चों का डर जगजाहिर है। आप भी अपने बच्चों को मैथ्स के एग्जाम या टेस्ट से पहले परेशान देखते होंगे। जबकि एक्सपर्ट की सलाह मानें, तो यह एक ऐसा रोचक विषय है, जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का भी हिस्सा है। पिछले 16 सालों से बीटेक तक के छात्रों को मैथ्स की कोचिंग देने वाले संदीप टांक का कहना है, ‘‘बच्चों को मैथ्स डर दूर करना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि बच्चे गलतियां क्या करते हैं। बच्चों की इन्हीं गलतियों को समझने में ही मैथ्स का डर दूर करने का हल छुपा है। लगभग 70 प्रतिशत बच्चों को मैथ्स की बेसिक कैलकुलेशन ही समझ नहीं आती। जिन बच्चों को एलजेब्रिक कैलकुलेशन ही नहीं आती, वे बड़ी क्लास में मैथ्स के सवाल हल नहीं कर पाते। बेसिक कैलकुलेशन से मतलब है गुणा, भाग, डेसिमल के सवाल हल करने की प्रैक्टिस करना। ज्यादातर बच्चे इसी तरह के सवाल हल करने में मात खाते हैं, जिस वजह से मैथ्स में उनकी रुचि घटने लगती है।’’ अपने बच्चों की मैथ्स से दोस्ती करवाने के लिए एकसपर्ट के बताए इन टिप्स पर गौर करें-

- छोटी कक्षा से ही बच्चों को बेसिक मैथ्स की प्रैक्टिस कराएं, जिसमें एलजेब्रिक कैलकुलेशन शामिल है। अगर बच्चा ट्यूशन जाता है, तो ट्यूटर से कह कर या आप खुद भी रोजाना बच्चे को 15-20 सवाल हल करने को दें, जिसमें वह डेसिमल, बड़ी डिजिट की कैलकुलेशन करने की प्रैक्टिस करे। बच्चे की बेसिक मैथ्स परफेक्ट होगी, तभी वह आगे चल कर मैथ्स के मुश्किल सवाल हल कर पाएगा। जब बच्चे को बेसिक मैथ्स अच्छी तरह से आएगी, तो वह क्लास में टीचर के पूछने पर जवाब दे पाएगा। इससे बच्चों का कॉन्फिडेंस बढ़ता है। मैथ्स में रेगुलर होना बहुत जरूरी है। यह एक ऐसा विषय है, जो सिर्फ सप्ताह में एक-दो दिन पढ़ने से नहीं आता। इसके लिए बच्चों को रोजाना प्रैक्टिस चाहिए। कई बार बच्चों को कोई टॉपिक पढ़ कर लगता है कि उन्हें वह समझ आ गया है, लेकिन वह कितना समझ आया है, यह उन्हें तभी पता चल पाएगा, जब वे उसकी प्रैक्टिस करेंगे। इसलिए चाहे आप ट्यूशन भी क्यों ना पढ़ते हों, घर पर 35-40 मिनट मैथ्स की प्रैक्टिस के लिए जरूर निकालने चाहिए। इन 35-40 मिनट में पढ़ाई पर पूरा फोकस रहना चाहिए।

- कोशिश करें कि मैथ्स का काम पेंडिंग ना छोड़ें। इससे बहुत सा काम इकट्ठा होने लगता है, जिसे बच्चे अमूमन पूरा नहीं कर पाते और फिर बीच में छोड़ देते हैं। इससे आपका प्रैक्टिस का रुटीन खराब होता है।

- आजकल ज्यादातर बच्चे इंटरनेट पर मौजूद वीडियो ट्यूटोरियल्स पर बहुत निर्भर रहते हैं। इनमें कई सवालों जवाब मिल जाते हैं। पेरेंट्स को इस बात पर जरूर ध्यान देना चाहिए कि कहीं उनका बच्चा स्कूल या ट्यूशन से मिले होमवर्क को इंटरनेट से देख कर तो पूरा नहीं कर रहा है। इसके दो नुकसान हैं- एक तो बच्चों की प्रैक्टिस हो पाती, वे यह नहीं समझ पाते कि उन्हें कोई टॉपिक कितना समझ आया है और दूसरा नुकसान है कि उनका कोई रुटीन नहीं बन पाता। ऐसी स्थिति में बच्चे काम को टालने लगते हैं, क्योंकि वे सोचते हैं कि समय मिलने पर वे इंटरनेट से हल देख कर काम पूरा कर लेंगे, लेकिन वह हो नहीं पाता और बच्चे इधर-उधर समय बर्बाद करते रहते हैं।

- कुछ बच्चे टीचर से सवाल पूछने में कतराते हैं। अगर आपके बच्चे की भी यही समस्या है, तो उसे प्रोत्साहित करें कि वह टीचर से अपनी शंका का समाधान करे। अगर उसे किसी टॉपिक को समझने में दिक्कत आ रही है, तो टीचर से जरूर पूछना चाहिए। जब आपके सारे डाउट क्लियर होंगे, तो विषय अपने आप आसान लगने लगेगा।

- एक बार में सारे फॉर्मूले याद करने की कोशिश ना करें। एक बार में थोड़े फॉर्मूले याद करें, फिर उन्हें किसी को सुनाएं। उसके बाद प्रैक्टिस करें। इससे आपको यह पता चलेगा कि आपको कितना याद हुआ है।

कुछ और तरीके

जिन बच्चों काे मैथ्स की कैलकुलेशन में दिक्कत आती है, उन्हें अबैकस और वेदिक मैथ्स की क्लासेज बहुत मदद करती हैं। ये ऐसे तरीके हैं, जो हमारे दिमाग को तेज करते हैं और इन तरीकों से बच्चे मेंटल कैलकुलेशन करना सीखते हैं। इनके अलावा कुछ एप्स, गेम्स और पजल भी मौजूद हैं, जो बच्चों की मदद करते हैं।