Tuesday 09 May 2023 01:04 PM IST : By Poonam Vedi

पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरैपी कैसे करती है अतीत से जुड़ी समस्याओं का समाधान

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डॉ. जेम्स सम्मोहन विद्या में पारंगत परामनोवैज्ञानिक थे। वे अमेरिका की साइकोलॉजिकल सोसाइटी के उपाध्यक्ष भी थे। उन्होंने भारत में एक आश्चर्यजनक केस मरीज के अतीत में प्रवेश करके सुुलझाने की कोशिश की थी। निशा नाम की एक मरीज के सिर और छाती के अलावा सारा शरीर बर्फ की तरह ठंडा था। एक बार उसकी मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन 12 घंटे बाद उसने आंखें खोल दी थीं। डॉ. जेम्स ने निशा को सम्मोहित करके उसके अवचेतन मन की बात जानने का प्रयास किया। डॉ. जेम्स ने उनसे पूछना शुरू किया।

सम्मोहन की प्रक्रिया में निशा मां के गर्भ में पहुंच गयी, जहां वह सभी आवाजें सुन लिया करती थी। डॉ. जेम्स ने उससे पूछा कि गर्भ में आने से पहले तुम कौन थी। वह बताती है कि वह वृद्ध महिला थी, जिसका नाम मालती देशमुख था। पति की मृत्यु हो चुकी थी। धन-संपत्ति होते हुए भी अशांत थी। अपनी मृत्यु के बाद वह शमशान में अपने ही शरीर का दाह-संस्कार देखती है। इसके बाद उनकी आत्मा गर्भ के लिए भटकती है तथा निशा शर्मा के रूप में जन्म लेती है।

डॉ. जेम्स उनसे मालती देशमुख से पहले के जन्म के बारे में पूछते हैं। निशा कहती है कि 110 वर्ष पूर्व मैंने वाराणसी में एक बड़े सुसंस्कृत परिवार ब्रिटिश सेना में उच्चाधिकारी यशवंत जोशी के यहां सुधा के रूप में जन्म लिया था। गर्भ के समय मेरे पिता की मृत्यु हो गयी। 18 साल की थी, तो मेरी मां की मृत्यु हो गयी। मैंने अपनी शिक्षा पूरी की। इस बीच निशा की स्थिति खराब होने लगती है। डॉ. जेम्स उसे एक दिन का ब्रेक देते हैं।

तीसरे दिन फिर सेशन शुरू होने पर निशा बताती है कि आचार्य बनने के बाद उसकी सरकारी नौकरी लग गयी। इसी दौरान उसकी अनुराग शर्मा से भेंट हुई और दोनों ने शादी कर ली। कुछ समय बाद अनुराग की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। लंबे समय बाद वह कमलेश नामक युवक से प्रेम कर बैठती है। उससे गर्भ रह जाता है। कमलेश पीछे हट जाता है। हताशा की स्थिति में वह सारी संपत्ति अनाथालय को दान कर फांसी लगा लेती है।

डॉ. जेम्स निशा की एक सिटिंग और करके सुधा की समस्या को सुलझाना चाहते थे, लेकिन 40 घंटे गहरी नींद के बाद निशा की मृत्यु हो जाती है। इस थेरैपी के द्वारा डॉ. जेम्स निशा की मनोस्थिति सुधार सकते थे। उसके मन की गांठों को खोल कर सामान्य जीवन दे सकते थे, लेकिन उसकी नौबत ही नहीं आयी।

आसपास के वातावरण, कठिन संबंध, जिसका आपके जीवन पर जटिल प्रभाव दिखता है, इस स्थिति को सुलझाने के लिए पास्ट लाइफ रिग्रेशन किया जाता है। इस तकनीक में विशेषज्ञ आपको हल्के ट्रांस की अवस्था में ले आता है तथा अत्यंत नरमी से पिछली जिंदगी के बारे में बताने को कहता है। इस समय आप उस सीन में पहुंच जाते हैं, जो कष्ट दे रहा है। आप रिलेशनशिप की समस्या को देख पाते हैं। इस हालात से आपके वर्तमान जीवन के कष्ट को समझा जाता है।

कई बार इस पद्धति में बचपन में लौटने पर ही समस्या का कारण मिल जाता है। कांता की उम्र इस समय 40 वर्ष है, लेकिन वे किसी को भी स्थान परिवर्तन करते देख कर बहुत परेशान हो जाती हैं। यदि कोई व्यक्ति नयी लोकेशन पर जाए, तो वे उन्हें ना जाने के फायदे बताने लगती थीं। कांता ने अपनी मानसिक स्थिति और परेशानी को समझा तथा खुद को इस थेरैपी के लिए तैयार किया।

सेशन के दौरान पता चला कि जब वे छोटी थीं, तो आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें माता-पिता के साथ कई बार स्थान परिवर्तन भी करना पड़ा। घर छूटना था कि पढ़ाई-लिखाई सब बेकार हो गयी। उसके बाद से ही उनमें परिवर्तन का डर और असुरक्षा का भाव व्याप्त कर गया। एक बार उनकी समस्या समझ आने पर उन्हें समझाया गया कि परिवर्तन सकारात्मक भी होते हैं। यहां पर पहले उनकी सुरक्षा की भावना को बल देना था। एक बार यह मजबूत हो गयी, तो वे अगले कदम के लिए भी तैयार हो गयीं।

अतीत की यात्रा की यह थेरैपी मुख्यतः पूर्वजन्म पर आधारित है। पुनर्जन्म एक भारतीय सिद्धांत है, जिसमें जीवात्मा के मृत्यु के बाद पुनः जन्म लेने की मान्यता है। विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋगवेद से ले कर वेद, दर्शन शास्त्र, पुराण, गीता इत्यादि सभी में पुनर्जन्म के सिद्धांत को माना गया है। इसके अनुसार शरीर की मृत्यु ही जीवन की समाप्ति नहीं, बल्कि आत्मा जन्म-जन्मान्तर तक जीवित रहती है।

पूर्वजन्म की स्मृति

इंसान नए जन्म में अपने पूर्वजन्म की स्मृतियों को ले कर पृथ्वी लोक पर लौटता है। व्यक्ति अपनी चाहतों, स्मृतियों तथा शक्ति के अनुरूप ही नया शरीर प्राप्त करता है। फ्रायड और जुंग ने भी संस्कारों के अस्तित्व पर बल दिया है। फ्रायड भी अपने मनोविश्लेषण में मानसिक रोगी की पूर्व स्मृतियों को चेतना पटल पर ला कर उनके रोगों का उपचार करते थे। बहुत से मानसिक रोगों का संबंध पूर्व जन्म से होता है। पूर्व जन्म की स्मृति से जुड़ा फोबिया रोग प्रमुख है। अकाल मृत्यु, रेल दुर्घटना, छत/ऊंचाई से गिरना, कत्ल अथवा किसी हथियार से मृत्यु वालों को अकसर ऐसी चीजों/परिस्थिति से डर के कारण फोबिया होता है। ऐसी अनुभूतियों की चेतना के धरातल पर ला कर पुनर्जन्म की याद दिलायी जाती है। इसी काल में हम समस्या की जड़ तक पहुंच कर उसको सुलझाने का प्रयास करते हैं।

पतंजलि योग सूत्र में पास्ट लाइफ रिग्रेशन को प्रति प्रसव अथवा ‘री बर्थ’ का नाम भी दिया है। प्रति प्रसव के दौरान व्यक्ति अपनी स्मृति, दर्द, संवेदना को दोबारा जीता है। इस प्रक्रिया में काफी हद तक समस्या से छुटकारा पा लेता है। इस प्रक्रिया के दौरान कितना लाभ हो जाता है, यह तो मरीज ही बता सकता है। कुछ इसे सम्मोहन द्वारा चिकित्सा जरूर मानते हैं, लेकिन पूर्वजन्म तथा पूर्वजन्म की अवधारणा को सिरे से खारिज करते हैं।

इस विषय में एक बहुत चर्चित केस का जिक्र कर सकते हैं। 1956 में गुप्ता परिवार में एक लड़का पैदा हुआ, जिसका नाम गोपाल रखा। बड़े होने पर उसने बताया कि पिछले जन्म में उसका नाम शक्तिपाल था तथा वह मथुरा का रहनेवाला था। उसने बताया कि वे तीन भाई थे। उसके एक भाई ने गोली मार कर उसकी हत्या कर दी थी। उसकी ‘सुख संचालक’ नाम की दुकान थी। यह सब सुनने के बाद पिता ने जांच-पड़ताल की तो पता चला कि ‘सुख संचालक’ के मालिक शक्तिपाल की हत्या उसके भाई ने ही की थी।

इसी इलाज की एक अन्य शाखा सेल्फ हिप्नोसिस है। इसमें हम अपने साथ हुई घटनाओं को याद करना आरंभ करते हैं। फिर धीरे-धीरे पुराने घटनाक्रम पर फोकस करते हैं। इस अभ्यास में सफल होने पर आप अपने अवचेतन मन की सक्रिय महसूस करेंगे। घटना को महसूस करने पर हम उन कारण को समझ पाते हैं, जिससे हमारा आज प्रभावित होता है। कई थेरैपिस्ट इसके द्वारा वर्तमान व्यक्तित्व से जुड़ी समस्या के लिए अतीत में झांकते हैं। लेकिन यह दावे बड़े नकली और चुनौतीभरे साबित होते हैं। हिप्नोटिज्म द्वारा पुरानी स्मृति को याद कराने का प्रयास करते हैं। लेकिन यदि ऐसी कोई याद नहीं होती, तब सम्मोहित व्यक्ति झूठी स्मृति बनाने लगता है। अचेतन मन इन्हें सत्य स्मृति से अलग नहीं कर पाता है। कई बार जब थेरैपिस्ट उन्हें पिछले जन्म में जाने के लिए कहते हैं, तो वे इतिहास की किताबों, उपन्यास, फिल्मों से स्मृति बनाने लगते हैं तथा एक ड्रामा बन जाता है।

पास्ट लाइफ रिग्रेशन, पूर्व जन्म अथवा पुनर्जन्म है या नहीं, इस विवाद में मत उलझिए। यदि आपकी अनसुलझी-अनजानी समस्या है, तो योग्य साइकोलॉजिस्ट से चर्चा करें। किसी अनाड़ी के हाथ में अपने अवचेतन मन को सौंप कर जाल में फंसने का खतरा ना मोल लें।