Tuesday 23 January 2024 05:03 PM IST : By P.L. Aggrawal

8 निवेश मंत्र रामायण से सीखें

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रामायण जीवन जीने की कला सिखाने वाला ग्रंथ है, जिसमें संपूर्ण जीवन का सार छुपा है। जीवन के चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के इर्द-गिर्द घूमती है तुलसीकृत रामायण। अर्थ यानी कमाने, खर्च व निवेश करने के तरीके भी रामायण से सीखे जा सकते हैं। निवेश के 8 मंत्र रामायण से सीखें-

1 जीवन को सुरक्षित बनाएं: आप लक्ष्मण नहीं हैं और कोई ऐसा हनुमान भी नहीं है, जो संजीवनी बूटी लाकर आपकी प्राण रक्षा करे। इसलिए अगर आज आप स्वस्थ हैं और कोरोना से बचकर निकल चुके हैं तो हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्लान अवश्य लें।

2 अपना बजट बनाएं: अपने बजट की एक लक्ष्मण रेखा निश्चित करें। इस पर अडिग रहें। सुनिश्चित करें कि किसी भी मनलुभावन डिस्काउंट या ऑफर के फेर में पड़कर इस रेखा को क्रॉस नहीं करेंगे। आवश्यकता और इच्छा के बीच के अंतर को समझें। आर्थिक रूप से अनुशासित रहें क्योंकि मार्केट अनिश्चित है, रोजगार का ठिकाना नहीं, ऐसे में अपनी कमाई और खर्च के बीच तालमेल बिठाकर चलें।

3 धैर्य और दूरदर्शिता: मर्यादा पुरुषोत्तम राम को 14 वर्ष का बनवास मिला, जंगल-जंगल आंधी, पानी, धूप, प्यास सहन किया, यहां तक कि लंका नरेश रावण ने जनकसुता सीता का अपहरण कर लिया, लेकिन राम ने सही समय की प्रतीक्षा की, पूरी रणनीति बना कर रावण को हराया। निवेश में भी कोई शॉर्ट कट नहीं होता। इसमें बहुत दूरदर्शिता के साथ फैसले लेने की जरूरत होती है।

4 इमरजेंसी फंड: जीवन में कब कैसी परिस्थिति पैदा हो, कोई कल्पना नहीं कर सकता। भगवान राम को भी राजपाट, सुख, वैभव छोड़ कर भिक्षुक वेश में जंगलों में भटकना पड़ा। आज जहां हैं, कल वहां रहेंगे या नहीं, इस बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। ऐसे में एक इमरजेंसी फंड अवश्य बनाएं, ताकि किसी भी विपरीत स्थिति में उसका उपयोग कर सकें।

5 सलाहकार ध्यान से चुनें: जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों में किसी न किसी की राय-सलाह की आवश्यकता पड़ती ही है, लेकिन सलाह किससे ली जाए, यह भी महत्व रखता है। कैकेयी ने मंथरा की सलाह ली, जो पूरे रघुकुल पर भारी पड़ गई। भाई-भाई जुदा हो गए, पिता-पुत्र बिछुड़ गए, परिवार ने 14 वर्ष अलगाव सहन किया। इसलिए निवेश सलाहकार बहुत ध्यान से चुनें। कोई भी यह कहे कि कम समय में बड़ा लाभ दे देगा, उस पर आंख मूंदकर भरोसा करना हानिकारक हो सकता है। इसलिए सलाह लें लेकिन अपने विवेक से फैसला लें।

6 उचित का वरण करें: श्रीराम ने सदा न्यायोचित आचरण किया, इसीलिए वह उचित का वरण कर सके, जिम्मेदारी का निर्वाह कर सके और अनुशासित रह सके। जीवन पर भी यही सिद्धांत काम करता है। एक अनुशासित आर्थिक यात्रा के लिए भी न्यायोचित ढंग से बचत करें, सावधानी से खर्च करें और बुद्धिमत्ता से निवेश करें।

7 सही शुरुआत करें: लंका युद्ध के 14 दिनों में बुराई का अंत हुआ, एक नये युग का शुभारंभ हुआ। यह निश्चित है कि एक न एक दिन बुराई का अंत होता है। अतीत की अपनी पुरानी गलतियों को सुधारें और भविष्य के लिए सही आर्थिक कदम उठाएं।

8 कर्म पर विश्वास: अंत में सचाई की जीत होती है, अच्छे कर्मों का फल अवश्य मिलता है। इसलिए अच्छा कर्म करते रहें, मेहनत, ईमानदारी और लगनशीलता से काम करते रहें, सही तरीके से कमाएं, खर्च करें और निवेश करें तो आपके भौतिक जीवन की यात्रा सुचारू चलती रहेगी।