राइट टू प्राइवेसी के तहत स्त्री का अपने शरीर पर पहला हक खुद का है। रेप एक क्राइम है अौर हर अौरत को अपनी स्वतंत्रता के साथ जीने का पूरा हक है। अगर उसके लाइफ स्टाइल का बेजा फायदा उठाने की कोशिश होती है, उसका पीछा किया जाए, रास्ता रोका जाए, उसकी मरजी के खिलाफ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाए, तो इसे सेक्सुअल हैरासमेंट या सेक्सुअल एब्यूज माना जाएगा अौर उसे सतानेवाले को दंडित किया जाएगा। यह अपराध रेप के बराबर ही होगा। एडवोकेट कमलेश जैन के अनुसार हर स्त्री को सेक्स संबंधी अधिकार प्राप्त हैं।
⇛ लड़कियों की बालिग होने की उम्र 18 साल है अौर शारीरिक संबंध बनाने का पूरा हक है। अगर लड़की 18 वर्ष से कम की है अौर कोई लड़का उसकी सहमति से ही संबंध बनाता है, तो भी वह बलात्कार का दोषी होगा। भले वह खुद नाबालिग क्यों ना हो।
⇛ बाल विवाह में चाहे तो पत्नी 18 वर्ष की उम्र तक सेक्स से मना कर सकती है। शादी खारिज कर सकती है। लेकिन यदि वह चुप रहती है, तो सेक्स संबंध बनने पर पति के खिलाफ कोई एक्शन नहीं होगा। मान लिया जाएगा कि पति-पत्नी का संबंध है, इसलिए पत्नी की सहमति रही होगी।
⇛ लिव इन रिलेशनशिप में दो एडल्ट कहीं भी कभी भी सेक्स कर सकते हैं, इसके लिए मनाही कहीं नहीं है। अगर कोई शादीशुदा मर्द या महिला किसी दूसरे पुरुष/स्त्री से अपने जीवनसाथी की मरजी के खिलाफ संबंध बनाती/बनाता है, तो इसकी इजाजत नहीं है।
⇛ जिसके साथ लिव इन हैं, उसके साथ तो संबंध रहते ही हैं। लिव इन अौर पति-पत्नी के संबंध में कोई खास अंतर नहीं है। लिव इन में स्त्री बहुत सारी चीजों के लिए डिमांड नहीं कर सकती, लेकिन जहां तक सेक्स का सवाल है, तो वह इसकी डिमांड कर सकती है।
⇛ अगर लिव इन में उसके साथ टॉर्चर होता है, तो वह डोमेस्टिक वॉयलेंस के तहत लिव इन पार्टनर को सजा दिला सकती है। यह शादी जैसा रिश्ता तो है, पर शादी नहीं है। अगर पुरुष-स्त्री लंबे समय तक एक साथ रहते हैं, तो पति-पत्नी ही हैं, पर महिला इच्छा के विरुद्ध सेक्स होने को रेप साबित कर सकती है, क्योंकि शादी तो हुई नहीं है।
⇛ शादी का अर्थ सेक्स की इच्छापूर्ति है। एक-दूसरे की यौन इच्छाअों का सम्मान करना है। अगर स्त्री को किसी कारण से सेक्स संतुष्टि नहीं प्राप्त हो रही है, तो घरेलू हिंसा कानून के तहत मुकदमा दायर कर सकती है।
⇛ वह 498 ए के तहत न्याय की गुहार लगा सकती है, डाइवोर्स भी मांग सकती है। वह अलग रहने का अधिकार भी पा सकती है। यही बात पति पर भी लागू होती है।
⇛ पति लंबे समय से बीमार चल रहा है, पत्नी की सेक्स इच्छा पूरी नहीं कर पा रहा है, तो भी पत्नी को डाइवोर्स लेने का हक है। यदि वह उसका भरण-पोषण नहीं करता, नामर्द है, मारता-पीटता है, तो भी अलग हो सकती है। भरण-पोषण की मांग कर सकती है।
⇛ मानसिक क्रूरता बढ़ रही है। तलाक के बाद अगर पति पत्नी से संबंध बनाता है, तो इसे रेप माना जाएगा। हो सकता है कि पत्नी पति से मरजी से संबंध बनाए अौर बाद में शिकायत कर दे कि पति ने जबर्दस्ती संबंध बनाए। इस स्थिति में भी पति के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
⇛ सेक्शन 376 बी के तहत यदि अपनी पत्नी से कानूनी रूप से अलग हो चुका व्यक्ति संबंध बनाता है, तो उसे रेप की सजा मिलेगी।
![sex-3 sex-3](https://img.vanitha.in/content/hindi-vanita/vanita/others/legal/sexual-rights-of-woman/_jcr_content/col_leftparaside/articlecontentbody/rtecomp/par2/image.img.jpg/1600782219435.jpg)
⇛ डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट महिला के संरक्षण के लिए बना है। अाईपीसी की धारा 498 के तहत पति द्वारा पत्नी के साथ जबर्दस्ती करने पर पत्नी सुरक्षा मांग सकती है।
⇛ कानून में अब तक मेरिटल रेप जैसी कोई चीज नहीं है। बस इस पर बहस हो रही है। यह मिथ है कि पत्नी को पति द्वारा होनेवाली जबर्दस्ती से मना करने का हक है।
⇛ अगर पति लंबे समय तक पत्नी से संबंध ना बनाए, नामर्द हो या इतना नापसंद करता हो कि पत्नी के पास फटकना भी ना चाहे, तो यह मेंटल क्रुएलिटी है अौर पत्नी को तलाक पाने का हक है। इसी अाधार पर पति भी तलाक पा सकता है।
⇛ पति द्वारा पत्नी के अलावा बाहर किसी अन्य स्त्री से संबंध होना कानूनी रूप से गलत है। यह नैतिक अौर कानूनी रूप से पत्नी के प्रति अपराध है। अगर पति के ऐसे संबंधों की वजह से पत्नी का जीवन बहुत कष्टपूर्ण हो चुका है, तो वह डाइवोर्स के लिए वकील से मिल कर केस फाइल कर सकती है।
⇛ इंडियन पीनल कोड के अनुसार, यदि कोई शादीशुदा अादमी दूसरी शादीशुदा अौरत से संबंध रखे अौर इसकी शिकायत उस स्त्री का पति अदालत में करे, तो अवैध संबंध बनानेवाले अादमी को जेल हो सकती है।
⇛ अोरल अौर अप्राकृतिक सेक्स अपराध है। पत्नी अप्राकृतिक सेक्स से मना कर सकती है, यदि फिर भी उसे मजबूर किया जाए, तो उसे इस अाधार पर तलाक भी मिल सकता है। पत्नी पति के खिलाफ अाईपीसी की धारा 377 के तहत मामला दर्ज करा सकती है।