Thursday 01 April 2021 02:59 PM IST : By Nishtha Gandhi

पॉलिसी और बैंक अकाउंट में सोच समझ कर बनाएं नॉमिनी

Businessman writing a letter or signing

आर्थिक मामलों में किसी को नॉमिनी बनाने से पहले इस बारे में सारी जानकारी हासिल करनी जरूरी है।
बैंक अकाउंट खुलवाना हो या इन्वेस्टमेंट के लिए कोई पॉलिसी खरीदनी हो, फॉर्म भरते समय हर जगह आपके लिए नॉमिनी का नाम देना जरूरी होता है। नॉमिनी यानी वह व्यक्ति, जिसे आप अपना आर्थिक उत्तराधिकारी बनाते हैं। अगर किसी आकस्मिक स्थिति में आपकी मृत्यु होती है, तो आपके अकाउंट और पॉलिसी का पैसा उस व्यक्ति को मिल जाएगा। कोई भी अकाउंट खोलते या निवेश करते हुए किसी को नॉमिनी बनाते समय इन बातों का ध्यान रखें-

नॉमिनी के अधिकार

किसी संपत्ति, निवेश या खाते में नॉमिनी के रूप में आप जिस व्यक्ति का नाम देते हैं, वह व्यक्ति किसी ट्रस्टी या देखभाल करनेवाले की तरह होता है। कानून के मुताबिक खाते में दर्शाए गए नॉमिनी का पैसे पर पहला अधिकार होता है, लेकिन वह इस पर हक नहीं जमा सकता। खाताधारक की वसीयत में शामिल लोग या कानूनी रूप से उत्तराधिकारी ही इसका असली हकदार होगा। किसी भी खाते में नॉमिनी का नाम इसलिए लिखवाया जाता है कि उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद वह पैसा बैंक या बीमा कंपनी जब्त ना कर ले। इसलिए जरूरी है कि समय रहते अपनी वसीयत बना ली जाए। इसे आप एक उदाहरण के द्वारा समझ सकते हैं। मान लीजिए कि आप चाहते हैं कि अापकी मृत्यु के बाद बीमे की सारी राशि और फिक्स्ड डिपॉजिट का पैसा आपकी पत्नी को मिले और हर जगह नॉमिनी के रूप में आपने उन्हीं का नाम दिया है। लेकिन चूंकि किसी वजह से आप वसीयत नहीं बना सके, तो ऐसी स्थिति में उस पैसे पर आपकी पत्नी के अलावा बच्चों का भी अधिकार होगा और वह सारी राशि सबमें बराबर बंटेगी।
अलग-अलग खातों में नॉमिनी के अधिकार अलग-अलग होते हैं।
⇛ लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में हालांकि बीमांकित व्यक्ति की मृत्यु के बाद पैसा नॉमिनी के नाम ट्रांसफर होगा, लेकिन उसे यह पैसा वसीयत के मुताबित उत्तराधिकारियों में बांटना होगा। सभी उत्तराधिकारियों को यह पैसा नियमों के अनुसार या बराबर बंटेगा। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में आप एक से ज्यादा नॉमिनी भी भर सकते हैं। इंश्योरेंस की यह राशि सभी नॉमिनी में बराबर बंटेगी।
⇛ शेयर्स और डीमैट खातों में नियम थोड़ा अलग होता है। अगर आपने वसीयत नहीं बनायी है, तो डीमैट खाते में जिस व्यक्ति को नॉमिनी बनाया है, उसे ही यह सारा पैसा मिलेगा। आपके पत्नी या बच्चे उत्तराधिकार नियम के तहत इस पर दावा नहीं कर सकते।
⇛ म्यूचुअल फंड्स में आप अधिकतम तीन लोगों को नॉमिनी बना सकते हैं, लेकिन इस पैसे पर वसीयत के हिसाब से आपके परिवारवाले पैसे का दावा कर सकते हैं। इसमें आप नॉमिनी का नाम बदलवा भी सकते हैं, लेकिन इसके लिए एक फॉर्म भरना होगा।
⇛ पीपीएफ अकाउंट यानी सार्वजनिक भविष्य निधि खाते में अगर नॉमिनी का नाम नहीं लिखा गया है, तो खाताधारक की मृत्यु के बाद एक लाख रुपए से कम राशि का भुगतान कानूनी रूप से उत्तराधिकारी को मिलेगा, लेकिन इससे ज्यादा राशि होने पर आपको उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र देना जरूरी होता है।
⇛ अगर आप नॉमिनी का नाम बदलवाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको एक फॉर्म भरना होगा। बैंक खाता खोलते समय अगर आपने किसी व्यक्ति को नॉमिनी नहीं बनाया है, तो डीए-1 फॉर्म भर कर किसी व्यक्ति का नाम जुड़वा सकते हैं। वहीं नॉमिनी का नाम बदलवाने या हटवाने के लिए डीए-2 फॉर्म भर सकते हैं। अगर नॉमिनी कोई माइनर यानी नाबालिग है, तो उसके साथ आपको किसी गार्जियन का नाम भी भरना होगा, जो उसके बालिग होने तक उस खाते के नॉमिनी के रूप में रहेगा।
⇛ खाताधारक की मृत्यु के बाद नॉमिनी को पैसा क्लेम करने के लिए उस बैंक या कंपनी में लिखित सूचना देनी होती है, जहां बीमांकित व्यक्ति का खाता होता है। उसके बाद वहां की प्रक्रिया और नियमों के मुताबिक ही उसे पैसा मिलेगा। आमतौर पर नॉमिनी को क्लेम करते समय कुछ जरूरी कागजात जमा करवाने होते
हैं। हालांकि हर संस्थान की क्लेम के नियम अलग होते हैं, लेकिन फिर भी कुछ जरूरी कागजात आपको देने होते हैं जैसे नॉमिनी का आइडेंटिटी प्रूफ, वसीयतनामे की कॉपी, उत्तराधिकार का सर्टिफिकेट, खाताधारक व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र और क्लेम फॉर्म। डीमैट खातों और म्यूचुअल फंड्स में केवाईसी नियमों के तहत आपको कागजात जमा कराने होंगे।                          
⇛ खाताधारक का कानूनी उत्तराधिकारी ही उसके पैसे का हकदार होगा। नॉमिनी का नाम इसलिए जरूरी है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद वह पैसा बैंक या बीमा कंपनी जब्त ना करे।