अार्थिक मामलों में किसी को नॉमिनी बनाने से पहले इस बारे में सारी जानकारी हासिल करनी जरूरी है।
बैंक अकाउंट खुलवाना हो या इन्वेस्टमेंट के लिए कोई पॉलिसी खरीदनी हो, फॉर्म भरते समय हर जगह अापके लिए नॉमिनी का नाम देना जरूरी होता है। नॉमिनी यानी वह व्यक्ति, जिसे अाप अपना अार्थिक उत्तराधिकारी बनाते हैं। अगर किसी अाकस्मिक स्थिति में अापकी मृत्यु होती है, तो अापके अकाउंट अौर पॉलिसी का पैसा उस व्यक्ति को मिल जाएगा। कोई भी अकाउंट खोलते या निवेश करते हुए किसी को नॉमिनी बनाते समय इन बातों का ध्यान रखें-
नॉमिनी के अधिकार
किसी संपत्ति, निवेश या खाते में नॉमिनी के रूप में अाप जिस व्यक्ति का नाम देते हैं, वह व्यक्ति किसी ट्रस्टी या देखभाल करनेवाले की तरह होता है। कानून के मुताबिक खाते में दर्शाए गए नॉमिनी का पैसे पर पहला अधिकार होता है, लेकिन वह इस पर हक नहीं जमा सकता। खाताधारक की वसीयत में शामिल लोग या कानूनी रूप से उत्तराधिकारी ही इसका असली हकदार होगा। किसी भी खाते में नॉमिनी का नाम इसलिए लिखवाया जाता है कि उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद वह पैसा बैंक या बीमा कंपनी जब्त ना कर ले। इसलिए जरूरी है कि समय रहते अपनी वसीयत बना ली जाए। इसे अाप एक उदाहरण के द्वारा समझ सकते हैं। मान लीजिए कि अाप चाहते हैं कि अापकी मृत्यु के बाद बीमे की सारी राशि अौर फिक्स्ड डिपॉजिट का पैसा अापकी पत्नी को मिले अौर हर जगह नॉमिनी के रूप में अापने उन्हीं का नाम दिया है। लेकिन चूंकि किसी वजह से अाप वसीयत नहीं बना सके, तो ऐसी स्थिति में उस पैसे पर अापकी पत्नी के अलावा बच्चों का भी अधिकार होगा अौर वह सारी राशि सबमें बराबर बंटेगी।
अलग-अलग खातों में नॉमिनी के अधिकार अलग-अलग होते हैं।
⇛ लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में हालांकि बीमांकित व्यक्ति की मृत्यु के बाद पैसा नॉमिनी के नाम ट्रांसफर होगा, लेकिन उसे यह पैसा वसीयत के मुताबित उत्तराधिकारियों में बांटना होगा। सभी उत्तराधिकारियों को यह पैसा नियमों के अनुसार या बराबर बंटेगा। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में अाप एक से ज्यादा नॉमिनी भी भर सकते हैं। इंश्योरेंस की यह राशि सभी नॉमिनी में बराबर बंटेगी।
⇛ शेयर्स अौर डीमैट खातों में नियम थोड़ा अलग होता है। अगर अापने वसीयत नहीं बनायी है, तो डीमैट खाते में जिस व्यक्ति को नॉमिनी बनाया है, उसे ही यह सारा पैसा मिलेगा। अापके पत्नी या बच्चे उत्तराधिकार नियम के तहत इस पर दावा नहीं कर सकते।
⇛ म्यूचुअल फंड्स में अाप अधिकतम तीन लोगों को नॉमिनी बना सकते हैं, लेकिन इस पैसे पर वसीयत के हिसाब से अापके परिवारवाले पैसे का दावा कर सकते हैं। इसमें अाप नॉमिनी का नाम बदलवा भी सकते हैं, लेकिन इसके लिए एक फॉर्म भरना होगा।
⇛ पीपीएफ अकाउंट यानी सार्वजनिक भविष्य निधि खाते में अगर नॉमिनी का नाम नहीं लिखा गया है, तो खाताधारक की मृत्यु के बाद एक लाख रुपए से कम राशि का भुगतान कानूनी रूप से उत्तराधिकारी को मिलेगा, लेकिन इससे ज्यादा राशि होने पर अापको उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र देना जरूरी होता है।
⇛ अगर अाप नॉमिनी का नाम बदलवाना चाहते हैं, तो इसके लिए अापको एक फॉर्म भरना होगा। बैंक खाता खोलते समय अगर अापने किसी व्यक्ति को नॉमिनी नहीं बनाया है, तो डीए-1 फॉर्म भर कर किसी व्यक्ति का नाम जुड़वा सकते हैं। वहीं नॉमिनी का नाम बदलवाने या हटवाने के लिए डीए-2 फॉर्म भर सकते हैं। अगर नॉमिनी कोई माइनर यानी नाबालिग है, तो उसके साथ अापको किसी गार्जियन का नाम भी भरना होगा, जो उसके बालिग होने तक उस खाते के नॉमिनी के रूप में रहेगा।
⇛ खाताधारक की मृत्यु के बाद नॉमिनी को पैसा क्लेम करने के लिए उस बैंक या कंपनी में लिखित सूचना देनी होती है, जहां बीमांकित व्यक्ति का खाता होता है। उसके बाद वहां की प्रक्रिया अौर नियमों के मुताबिक ही उसे पैसा मिलेगा। अामतौर पर नॉमिनी को क्लेम करते समय कुछ जरूरी कागजात जमा करवाने होते
हैं। हालांकि हर संस्थान की क्लेम के नियम अलग होते हैं, लेकिन फिर भी कुछ जरूरी कागजात अापको देने होते हैं जैसे नॉमिनी का अाइडेंटिटी प्रूफ, वसीयतनामे की कॉपी, उत्तराधिकार का सर्टिफिकेट, खाताधारक व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र अौर क्लेम फॉर्म। डीमैट खातों अौर म्यूचुअल फंड्स में केवाईसी नियमों के तहत अापको कागजात जमा कराने होंगे।
⇛ खाताधारक का कानूनी उत्तराधिकारी ही उसके पैसे का हकदार होगा। नॉमिनी का नाम इसलिए जरूरी है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद वह पैसा बैंक या बीमा कंपनी जब्त ना करे।