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कहते हैं शादी करनी हो या घर बनवाना हो, फिर चाहे यह सब छोटे स्तर पर हो या बड़े स्तर पर, अकसर खर्च बजट से बाहर ही जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि पहले ही अपने बजट में कुछ हिडन खर्चों के बारे में भी सोचा जाए। टैमरिंड ग्लोबल की वाइस प्रेसिडेंट (सेलिब्रेशन) अंजली टोलानी कहती हैं, शादी में हिडन ओवरटाइम चार्जेज, वेन्डर्स को दिए जाने वाले तोहफे, मैरिज लाइसेंस फीस और पार्टी के बाद की सफाई सेवा शुल्क जैसी चीजें आ सकती हैं। अकसर शादी की तैयारी में इन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है क्योंकि युवा जोड़ों का ध्यान अपने बिग डे को परफेक्ट बनाने पर होता है। अगर थोड़ी सतर्कता बरती जाए तो अनावश्यक तनाव से बचा जा सकता है और अपनी शादी को जिंदगी का सबसे यादगार दिन भी बनाया जा सकता है।

वेंडर ओवरटाइम चार्जेज

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शादी में मेन्यू, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, आउटफिट्स और मेकअप जैसे ज़रूरी खर्चों का बजट तो सब बनाकर चलते हैं मगर वेंडर ओवरटाइम चार्जेज भूल जाते हैं। इन दिनों तो डेस्टिनेशंस वेडिंग्स हो रही हैं। कई बार युवा जोड़े विदेशों में ही काम करते हुए शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं। ऐसे में अगर वेंडर्स (फोटोग्राफर, डीजे, मेकअप आर्टिस्ट, फ्लोरिस्ट आदि) के साथ घंटे के हिसाब से कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है तो जरा सी भी देरी से भारी ओवरटाइम चार्जेज लग सकते हैं। अपने देश में वेंडर चार्जेज थोड़ा लचीले होते हैं लेकिन विदेशों में इनके लिए नियम सख्त होते हैं, जहां हर एक्सट्रा टाइम के लिए अलग से शुल्क देना पड़ता है। ऐसे में बढ़ता हुआ बजट तनाव पैदा कर सकता है। जरूरी है कि हर वेंडर से मीटिंग के दौरान ओवरटाइम पॉलिसी पूछें और अपने बजट में पहले से ही थोड़ा एक्सट्रा खर्च का मार्जिन बनाकर रखें।

सर्विस चार्ज और ग्रैच्युटी

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विदेशों में सर्विस चार्जेज और ग्रैच्युटी (टिप्स) को अकसर नज़रअंदाज़ किया जाता है। ये अतिरिक्त शुल्क इंटरनेशनल वेन्यू या वेंडर्स द्वारा खुद ही बिल में जोड़ दिए जाते हैं और बिना किसी स्पष्ट जानकारी के आपकी कुल लागत को 10 से 20% तक बढ़ा सकते हैं। खासकर कैटरिंग, बार स्टाफ या ट्रांसपोर्ट जैसी सेवाओं पर ये चार्जेज लागू होते हैं, और कई बार ये सामान्य टिप से अलग होते हैं, जिससे भ्रम पैदा होता है और अनचाहे खर्चों का सामना भी करना पड़ता है। डेस्टिनेशन वेडिंग्स या विदेश में होने वाले आयोजनों के लिए यह एक अहम वित्तीय पहलू है। ज़रूरी है कि हर वेंडर का कॉन्ट्रैक्ट ध्यान से पढ़ें और जो कीमतें बताई गई हैं, उनकी डिटेल्स लें।

ट्रांसपोर्टेशन और पार्किंग फीस

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फार्महाउस शहर की खूबसूरत लोकेशंस में शादी का सपना सुनने में बहुत लुभाता है लेकिन लोकेशन तक मेहमानों को लाने-ले जाने की असल जिम्मेदारी बजट पर खासा भार डाल सकती है। दुलहन की कार, विंटेज कार की बुकिंग, बुजुर्ग मेहमानों के लिए मिनी बस, चार्टर्ड बसें, ऑफ-साइट पार्किंग चार्जेज, वेटिंग चार्जेस, पूरे वीकेंड पार्क की गई गाड़ियां, देर रात कॉल पर बुलाई गई कैब या इमरजेंसी टैक्सी के खर्च ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ा सकते हैं। भारतीय शादियों में ट्रांसपोर्टेशन पर आमतौर पर ₹65,000 से ₹1,50,000 तक का खर्च आता है, जो आयोजन के स्तर और तामझाम पर निर्भर करता है। कई बार कुछ टैक्सी या पार्किंग फीस भी अंतिम समय पर भुगतान के लिए इंतज़ार कर रही होती हैं। लास्ट मिनट हड़बड़ी से बचने के लिए बचने के लिए पहले ही ट्रांसपोर्टेशन की योजना बना लें। मेहमान कहां से आएंगे और कहां जाएंगे, वेंडर्स कैसे पहुंचेंगे, इसकी स्पष्ट रूपरेखा बनाएं। ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े हर छोटे-बड़े खर्च के लिए एक अलग बजट सेट करें, ताकि शादी के दिन किसी तरह की अव्यवस्था या तनाव ना हो।

पावर, लाइटिंग और जेनरेटर खर्च

अब करें बात पावर, लाइटिंग और जेनरेटर खर्च की। चाहे शादी सूरज ढलते वक्त फेरे लेने की हो या किसी ग्लैमरस डीजे नाइट या बैचलर्स पार्टी की, सही लाइटिंग सिर्फ माहौल बनाने के लिए नहीं, बेहतरीन फोटोज़ और वीडियो कैप्चर करने के लिए भी ज़रूरी है। आउटडोर या डेस्टिनेशन वेडिंग में तो लगातार पावर और जेनरेटर का रहना ज़रूरी है क्योंकि यह सच है कि लाइट नहीं होगी तो शादी की भव्यता भी नहीं होगी। अब अगर जेनरेटर रेंटल की कीमतें देखें तो ये आमतौर पर ₹10,000 से लेकर ₹5,00,000 तक जा सकती हैं। साथ ही फेयरी लाइट्स, झूमर, स्टेज अपलाइटिंग या बड़े स्टेज सेटअप जैसी एम्बिएंट लाइटिंग भी जोड़ें तो यह खर्च भी ₹10,000 से ₹50,000 या और अधिक हो सकता है। कई बार ये फंक्शनल और एस्थेटिक चीज़ें शादी के शुरुआती बजट में शामिल नहीं की जातीं, जिसकी वजह से बाद में एक्सट्रा खर्च का टेंशन झेलना पड़ता है। इसलिए बेहतर है कि वेडिंग प्लानर या वेंडर से बिजली और लाइटिंग की ज़रूरतों को पहले ही समझ लें, वेन्यू का इन्फ्रास्ट्रक्चर जांचें, और इन सभी खर्चों के लिए अलग बजट सेट करें ताकि ना तो बिजली गुल हो और ना शादी के दिन बजट का फ्यूज उड़े।

परमिट और लाइसेंस

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शादी की तैयारियों में सबसे ज्यादा अनदेखी होती है परमिट, लाइसेंस और ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की। खासकर अगर वेन्यू आउटडोर हो तो लोकेशन और इवेंट के हिसाब से कई बार लीगल परमिट की ज़रूरत होती है। जैसे पब्लिक इवेंट लाइसेंस, फायर सेफ्टी क्लियरेंस, लिकर परमिट और भारत में म्यूजिक बजाने के लिए PPL या IPRS से लाइसेंस लेना। जैसे गोवा में बीच वेडिंग कराने के लिए म्युनिसिपल की अनुमति लेनी पड़ सकती है जबकि दिल्ली के पास फार्महाउस इवेंट के लिए डीजे साउंड परमिट और पार्किंग की मंज़ूरी आवश्यक है। इन कानूनी प्रक्रियाओं को नज़रअंदाज़ करने से ना केवल योजना में देरी हो सकती है बल्कि जुर्माना या इवेंट कैंसिल होने जैसी परेशानी भी सामने आ सकती है। इसके अलावा, ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे- जेनरेटर किराए पर लेना, जिसकी लागत ₹10,000 से ₹5,00,000 तक हो सकती है और एंबिएंट लाइटिंग, स्टेज सेटअप व डेकोर जैसी चीजें मिलकर ₹10,000 से ₹50,000 या उससे अधिक तक खर्च बढ़ा सकती हैं। अनचाहे बिलों से बचने के लिए बेहतर है कि वेन्यू से आवश्यक परमिट्स की चेकलिस्ट लें, पावर और लाइटिंग की ज़रूरतों को पहले ही ध्यान में रखें और अगर संभव हो तो किसी ऐसे प्लानर को शामिल करें, जिसे स्थानीय नियमों की जानकारी हो। अगर फैमिली में कोई एडवोकेट है तो उसकी सलाह भी मायने रखती है।

ड्रेस अल्टरेशन और एक्सेसरीज़

शादी के लिए परफेक्ट आउटफिट ढूंढ़ने का मतलब है आधार सफर तय हो गया मगर मंज़िल तो तभी हासिल होती है, जब ड्रेस बिलकुल फिट आ जाए। लिहाजा इस सफर में कई पड़ाव आते हैं, जब ब्राइडल गाउन, टक्सीडो और वेडिंग पार्टी के आउटफिट्स का अल्टरेशन कराना होता है, ताकि कैमरे की नज़र में सबकुछ परफेक्ट और एलिगेंट दिखे। हेमिंग, साइज एडजस्टमेंट, स्लीव्स में बदलाव और आखिरी वक्त पर की जाने वाली बारीक सिलाई जैसे कामों पर ₹1,000 से लेकर ₹20,000 या उससे भी अधिक तक का खर्च हो सकता है, जो ड्रेस के डिज़ाइन और डिज़ाइनर पर निर्भर करता है। साथ ही ब्राइड्समेड्स की ड्रेसेज़ और ग्रूम्समैन के सूट भी टेलरिंग बिल बढ़ा सकते हैं। इसलिए एक मिनिमम बजट इसके लिए भी तैयार रखें और आउटफिट्स खरीदते समय ही अल्टरेशन चार्जेज के बारे में अपने बुटीक या डिजाइनर से पूछ लें। वैसे ऐसे बुटीक से खरीदारी करें, जो इनहाउस अल्टरेशन फ्री में ऑफर करें।

मैरिज लाइसेंस और कानूनी खर्च

भारत में विवाह पंजीकरण अनिवार्य है। सामान्य रूप से इसकी फीस ₹100 से ₹1,000 के बीच होती है, लेकिन इसके अलावा भी कई छिपे हुए कानूनी खर्चे सामने आ सकते हैं। इनमें स्टाम्प पेपर, एफिडेविट्स, नोटरी सर्विसेज और कुछ मामलों में लीगल कंसल्टेशन शामिल हो सकते हैं, खासकर जब विवाह अंतर-धार्मिक हो, विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत हो या कोर्ट मैरिज करना चाहते हों। इनका ध्यान रखना सिर्फ खर्च के लिहाज़ से नहीं, बल्कि इसलिए भी ज़रूरी है कि यही प्रक्रियाएं विवाह को कानूनी रूप से वैध बनाती हैं। इसलिए समय रहते स्थानीय रजिस्ट्रार या किसी कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लें ताकि आपको अपने क्षेत्र के अनुसार ज़रूरी दस्तावेज़ों और प्रक्रियाओं की जानकारी पहले से हो। जितना महत्व आप अपनी डेकोरेशन और ड्रेस को देते हैं, उतनी ही संजीदगी से कानूनी मान्यता को भी महत्व दें।

इवेंट इंश्योरेंस

लाखों खर्च करके महीनों तक की तैयारियां बिग इवेंट के लिए होती हैं मगर इवेंट इंश्योरेंस जैसी बातों पर अमूमन लोग ध्यान नहीं दे पाते। मगर जीवन बहुत अप्रत्याशित है, अगर कुछ भी अनपेक्षित हो तो क्या उसकी पूरी तैयारी की है! अचानक बारिश से वेन्यू पानी में डूब जाए? डेकोरेटर आखिरी समय पर सजावट से मना कर दे? किसी मेहमान या कर्मचारी की गलती से ₹5 लाख की लाइटिंग को नुकसान पहुंच जाए तो? ऐसे ही समय में इवेंट इंश्योरेंस चुपचाप आपकी सुरक्षा बन सकता है। लगभग ₹2,000 से शुरू होने वाला इवेंट इंश्योरेंस, आपकी बीमा कवरेज की सीमा के अनुसार बढ़ता है और इसमें कई तरह की परेशानियों को कवर किया जा सकता है। जैसे कि वेंडर का ना आना, मौसम की बाधा, चोरी हुए गिफ्ट्स, प्रॉपर्टी डैमेज और यहां तक कि अगर किसी मेहमान को चोट लगती है तो पब्लिक लाइबिलिटी कवरेज भी मिल सकती है। भारतीय शादियां यूं भी तीन-चार दिन चलने वाला कार्यक्रम है और यहां खूब हलचल और भीड़भाड़ होती है। ऐसे में इवेंट इंश्योरेंस एक अनमोल सुरक्षा कवच साबित हो सकता है, जो न केवल आपके निवेश की रक्षा करता है, बल्कि मानसिक शांति भी देता है।

निमंत्रण पत्र

निमंत्रण महज कागज़ का टुकड़ा नहीं, बल्कि समारोह की पहली झलक और आपकी पर्सनल स्टाइल का प्रतीक होता है। लेकिन वे सुंदर बॉक्सेस जिनमें गोल्ड फॉइल, वैक्स सील और कस्टम आर्टवर्क हो, उनकी लागत प्रति कार्ड ₹100 से ₹500 तक हो सकती है। अगर 200 मेहमानों को बुलाया जाए, तो सिर्फ कार्ड पर ही ₹20,000 से ₹1,00,000 तक का खर्च आएगा। साथ ही कूरियर शुल्क, अलग-अलग इनसर्ट्स और कस्टम कैलिग्राफी जैसी चीजें इसे बढ़ा सकती हैं। हालांकि इन दिनों युवाओं में डिजिटल निमंत्रण का ट्रेंड चल निकला है लेकिन परिवार अभी भी परंपरागत निमंत्रण को महत्व देते हैं और कुछ कार्ड्स तो ज़रूर छपाए जाते हैं। ऐसे में परंपरा और डिजिटलाइजेशन को मिक्स एंड मैच करें यानी दोस्तों को डिजिटल निमंत्रण और करीबी रिश्तेदारों को छपे हुए निमंत्रण भेजें। इससे अपने बजट का कुछ हिस्सा बचा सकते हैं।

वेंडर और प्लानर का भोजन

मेहमान शानदार मल्टी-कुजीन का आनंद लें तो शादी को यादगार बनाने के लिए जो टीम परदे के पीछे काम कर रही है क्या उनके खाने-पीने की जिम्मेदारी भूली जा सकती है! वेडिंग या इवेंट प्लानर, मेकअप आर्टिस्ट, फोटोग्राफर, डीजे, वीडियोग्राफर और लाइटिंग क्रू कई बार10-15 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं, उन्हें ब्रेक भी नहीं मिल पाता। उनके लिए भोजन उपलब्ध कराना केवल शिष्टाचार नहीं, उनकी ज़रूरत भी है। कई कॉन्ट्रैक्ट्स में इनका खाना शामिल होता है और अगर इन्हें यह ना मिले तो पैनल्टी पड़ सकती है और टीम पूरे मन से काम भी नहीं कर पाती। जैसे, अगर फ़ोटोग्राफ़र की टीम सिर्फ़ सैंडविच या स्नैक्स नहीं बल्कि प्रॉपर मील खाना चाहे और वह भी डेस्टिनेशन वेडिंग में तो वेंडर की संख्या और मेन्यू पर प्लेट के हिसाब से यह लागत कम से कम प्रति व्यक्ति ₹500-₹2,000 तक तो होती ही है। अपने कैटरर के साथ पहले से ही समन्वय करके अपने क्रू के लिए अलग मगर भरपेट भोजन की व्यवस्था रखना बुद्धिमानी है। इससे वे ऊर्जावान रहेंगे और अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

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