भगवान िवष्णु को प्रसन्न करने के िलए अाषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस िदन भगवान श्री हरि चार माह के िलए क्षीर सागर के बजाय पाताल लोक में बलि के द्वार पर शयन करने के िलए िनवास करते हैं। यही कारण है िक इस व्रत का नाम देवशयनी/हरिशयनी एकादशी पड़ा। जब वे शुक्ल पक्ष की एकादशी को वहां से लौटते हैं, तो उसे देव उठनी/देवोत्थानी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस िदन लोग उपवास रखते हैं। सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें अौर शाम को भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। उन्हें सफेद वस्त्र पहना कर सफेद रंग की शैय्या पर शयन कराएं। भगवान िवष्णु का पूजन, अारती अौर प्रार्थना करें। फलों का भोग लगाएं। सायंकाल की पूजा के बाद एक समय भोजन करें।