Friday 30 June 2023 05:01 PM IST : By Nisha Sinha

छोटे घर को कैसे सजाएं बोनसाई से

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घर छोटा है और उसमें बड़े-बड़े पौधे नहीं लगा सकते हैं, तो बोनसाई के पौधों का इस्तेमाल करके आप घर को हरा-भरा बना सकते हैं। बोनसाई, गार्डेनिंग की वह तकनीक है जिसके जरिए आप बड़े पेड़ को बौना स्वरूप दे कर घर में लगा सकते हैं।  
⇛ बोनसाई के लिए इस्तेमाल की जानेवाली मिट्टी ज्यादा मोटी या फिर ज्यादा महीन नहीं होनी चाहिए।  
⇛ आमतौर पर बोनसाई के लिए तैयार मिट्टी में 1 किलो काली मिट्टी, 1 किलो गोबर कंपोस्ट, 400 ग्राम नारियल के रेशे का चूरा, 100 ग्राम ईंट का चूरा और 100 ग्राम रेत मिला होना चाहिए।     
⇛ बोनसाई के लिए उसी पौधे का चयन करें, जिसकी मुख्य जड़ अच्छी अवस्था में हो। नारियल, खजूर या झाड़ी की तरह उगने वाले पौधों की बोनसाई नहीं बनायी जा सकती है।
⇛ बोनसाई लगाने के लिए कंटेनर या पॉट का चयन करें, जो कम से कम 4 से 5 इंच ऊंची होनी चाहिए। इसकी तली में छेद कर लें। इस पर पुराने टूटे गमले के इंचभर चौड़े टुकड़े बिछा दें। फिर तैयार मिट्टी की परत बिछाएं।
⇛ गमले की ऊंचाई के अनुसार ही उसमें लगाने के लिए पौधा चुनें। शाखाओं वाले पौधे का बोनसाई अच्छा रहेगा।
⇛ बोनसाई के पौधों में बार-बार गुड़ाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
⇛ बरगद, गुलमोहर, पारिजात, गूलर, पीपल और नीम के पेड़ों के बोनसाई तैयार किए जा सकते हैं। कुछ फलदार पेड़ों का भी बोनसाई बनता है जैसे संतरा, नीबू, अनार, अंजीर, आडू, इमली, अमरूद, आम।
⇛ गुड़हल और बोगनवेलिया के बोनसाई भी घर में आसानी से तैयार किए जा सकते हैं, इनको अधिक पानी की जरूरत भी नहीं पड़ती है।
⇛ बोनसाई का गमला सूखा नजर आते ही इसमें पानी दें। इसका गमला कभी भी पूरी तरह से सूखा नहीं होना चाहिए। अगर बोनसाई को सूरज की सीधी रोशनी मिल रही है, तो दिन में एक बार पानी जरूर डालें।
⇛ ठंड के मौसम में बोनसाई के प्लांटर को मोटे कंकड़ और बालू से भरी प्लेट  या ट्रे में रखें। इसमें पानी भी होना जरूरी है, ताकि इससे बोनसाई प्लांट को पर्याप्त नमी मिलती रहेगी।
⇛ बोनसाई पौधों में महीने में एक बार फर्टिलाइजर दिया जा सकता है। ऐसे पौधों के लिए लिक्विड फर्टिलाइजर सबसे अच्छा माना जाता है। माली से पूछ कर ही इसे पानी में मिला कर डालें।
⇛ बोनसाई की नयी ग्रोथ को तोड़ते रहे और पत्तों की छंटाई करती रहें, ताकि इसका साइज बरकरार रहे।
⇛ बोनसाई के गमले को 2-3 साल में बदलने की जरूरत होती है। इसे गरमी के महीनों में बदलना चाहिए।