तापमान हर दिन बढ़ रहा है, और पारा 40 को पार कर चुका है। उत्तर भारत में सूरज की तेजी पौधों पर कहर ढा रही है। गलती से भी एक दिन इनमें पानी नहीं डाला कि कोमल पत्तियां और नाजुक शाखाएं झूल जाती है। ऐसे में पौधों की कैसी देखभाल की जाए, कि गरमी का महीना भी इनके लिए बहार का मौसम बन जाए।
शावर सिस्टम : गमले में पानी देने के बजाय पौधों को पानी हमेशा पत्तियों के ऊपर से दें। गरमियों में उडऩे वाली धूल जो पत्तों पर जम जाती हैं, वह धुल जाएगी। वो अच्छी तरह सांस लेंगे। साथ ही अगर गमलों को बिना शेड के रखा है, तो सुबह-सवेरे और शाम ढलने के बाद पानी दें या फिर अगर तापमान 35 से 38 डिग्री के ऊपर जा रहा हो। गमलों में नमी बनी रहनी चाहिए। लेकिन नमी होने का मतलब यह नहीं है कि मिट्टी बिलकुल गीली हो। इस बात को भी जान लें कि प्लास्टिक और धातु से बने गमलों की तुलना में मिट्टी और सेरेमिक के पॉट अधिक पानी सोखते हैं। इसलिए इन गमलों में नमी को जरूर चेक करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि गमलों का ड्रेनेज सही हो और अतिरिक्त पानी उससे निकल जाता हो। कुछ गमलों का ड्रेनेज सही नहीं रहता, इस कारण उसकी मिट्टी में अधिक नमी रहती है। अगर शाम तक यह नमी बनी रहती है, तो इनमें बेवजह पानी नहीं डालें।
ग्रुपिंग रूल : गरमी आते ही फ्लावर पॉटस को समूह बना कर रखें। समूह इस तरह से बनाए कि छोटे प्लांट्स को बड़ों की छांव मिले। समूह बना कर रखने से इनके बीच नमी बनी रहती है। अगर बहुत गरमी पड़ रही है, तो इस समूह के बीच एक चौड़े मुंहवाले बरतन में पानी डाल रख दें। गरमी में पानी का वाष्पीकरण होगा और इस जगह पर नमी बनी रहेगी। इस बात का खास ख्याल रखें कि गरमी के दिनों में परिंदे पानी की तलाश में रहते हैं। ऐसे में वह पानी के साथ रखे पौधों को नुकसान ना पहुंचाएं।
मल्चिंग तकनीक : अगर आपके पास बड़ा गार्डन है, और वहां सूख कर गिरी पत्तियों का ढेर बन जाता है, तो उसे पौधों के चारों ओर की मिट्टी पर फैला दें। इसे मल्चिंग कहते हैं। ऐसा करने से मिट्टी की नमी को धूप छू भी नहीं पाएगी। यह पौधों को पोषण देता है और बाद में खुद ही खाद में बदल जाएगा। अगर सूखी पत्तियां नहीं है, तो घर में बेकार पड़ी जूट की बोरी को काट कर मिट्टी की ऊपरी परत को कवर कर सकते हैं। वैसे संभव हो, तो स्फैगनम मॉस का यूज करें। यह पौधों के गमले का तापमान को 5 से 6 डिग्री तक कम कर देगा। अगर चावल की भूसी मिल रही है, तो इसे भी गमले की मिट्टी के ऊपर बिछा सकते हैं। कम से कम एक इंच मोटी परत बिछा सकते है। मलचिंग के लिए कोकोपीट भी आजमां कर देखें।
दिशा का रखें ख्याल : दोपहर के बाद तेज धूप होती है, सूरज भी धीरे-धीरे पश्चिम दिशा की तरफ जाने लगता है। ऐसे में पश्चिम दिशा में रखे गए गमलों के पौधों को झुलसने की आशंका अधिक हो जाती बेहतर होगा अगर तेज गरमी आने से पहले ही इन पौधों को पूरब दिशा की तरफ कर दें। अगर आपके छत या बालकनी या गार्डन में परमानेंट शेड नहीं है, तो कुछ महीनों के लिए पुरानी चादर का शेड बना सकते हैं। इससे पौधों को तेज धूप से बचाया जा सकेगा और पौधों को रोशनी भी मिलेगी।
प्लांट्स फूड : करीब पंद्रह दिन या महीनेभर में एक बार पौधों में आर्गेनिक खाद या लिक्विड खाद डालें। घर में तैयार लिक्विड खाद का प्रयोग इसके लिए करना सही रहेगा। अगर किचन की बेकार सब्जियों और फलों से आपने पहले से खाद तैयार कर लिया है, तो इसका भी प्रयोग करें। वर्मिकम्पोस्ट, गोबर की खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं।
परफेक्ट प्रूनिंग : पौधे को वॉटर लॉस से बचाने के लिए आड़ी-तिरछी भाग रही कमजोर टहनियों और सूखे पत्तों को हटा दें। इससे पौधों में मौजूद नमी बेकार नहीं जाएगी। प्रूनिंग के साथ ही गमलों में मौजूद जंगली घास या खर-पतवार को हटा दें। ये मिट्टी में मौजूद नमी के साथ ही इसके पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं। यह पौधों को मजबूत होने नहीं देता। एक और जरूरी बात एसी के आसपास से पौधों को दूर कर दें।