पीरियड्स की डेट का डगमगाना लड़कियों के स्ट्रेस को बढ़ाता है और रुटीन लाइफ का स्ट्रेस ही पीरियड्स में देरी की वजह भी बनता है। विशेषज्ञ इस बदलाव को खतरे की घंटी मान रहे हैं।

पीरियड्स समय पर आते हैं, तो समझिए लाइफ नॉर्मल है। एक या दो दिन की देरी भी सामान्य बात है, पर लगातार कुछ महीनों से पीरियड्स में 7-10 दिन की देरी हो, तो तय है सेहत में कुछ गड़बड़ है। पर ऐसी नौबत आती ही क्यों है? वजह लंबी-चौड़ी नहीं, बल्कि एक-दूसरे में उलझी हुई है। आज की युवतियां स्मार्ट हैं। मनचाही पढ़ाई और नौकरी करने के बाद अपनी लाइफ को अपने अंदाज से जीना चाहती हैं। लेकिन जहां तक अपने पीरियड्स पर बात करने का सवाल है, वे इस विषय पर बात करने से भी झिझकती हैं।
युवा स्त्री अब सिर्फ घरेलू नहीं रह गयी है। कैरिअर और ऑफिस भी उसे स्ट्रेस देते हैं। ऑफिस की जिम्मेदारी और रिलेशनशिप का तनाव भी उनके दिमाग पर मंडराता रहता है। नजीता, सेहत पर सीधा असर और पीरियड्स का अनियमित होना। स्ट्रेस तब तक बना रहता है, जब तक माहवारी नहीं आ जाती।
इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन की सचिव शिवानी गौड़ के वक्तव्य के अनुसार, ‘‘वैसे तो आजकल माहवारी का अनियमित होना पूरी तरह से महिलाओं के लाइफस्टाइल में आए बदलावों के कारण है। बिगड़ती सेहत की वजह से उनकी जिंदगी, रिश्ते, परिवार पर भी अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ रहा है। आजकल स्कूलों में लड़कियों को पीरियड्स से जुड़ी जानकारी दी जाती है। अब इसे ले कर उनके मन में कोई टैबू नहीं है, पर आज भी कुछ परविार रूढि़वादी किस्म के हैं। पीएमएस के दौरान वे डॉक्टरी राय लेना जरूरी नहीं समझते। इतना ही नहीं ये लड़कियां अनीमिया की वजह से भी अनियमित माहवारी झेलती हैं।’’
डेट मिस होने पर परेशानी
एक संस्था द्वारा किए गए सर्वे के दौरान ‘पीरियड्स और इससे जुड़ी सेहत को ले कर जागरूकता’ विषय पर लगभग 5,986 युवतियों से बात की गयी। नतीजों में यह बात सामने आयी कि युवतियां पीरियड्स की समस्या समझने और उसका इलाज कराने के बीच लंबा समय गंवा देती हैं। जब पानी सिर के ऊपर से गुजर जाता है, तब वे किसी डॉक्टर के पास जाती हैं। 23.9 फीसदी लड़कियों को माहवारी से जुड़ी कोई भी सही जानकारी नहीं होती। 76.1 फीसदी लड़कियों ने माना कि उन्हें पता है कि पीरियड्स से जुड़ा कौन सा प्राेडक्ट इस्तेमाल करना है।
सबसे बड़ी बात जो सामने आयी, वह यह थी कि तकरीबन 55.2 फीसदी लड़कियाें के पीरियड्स अनियमित हैं, जिसमें से 55.6 प्रतशित लड़कियां मानती हैं कि पीरियड्स के टाइम से ना आने से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर बुरा असर पड़ता है। 53.2 प्रतशित लड़कियां पीरियड्स के दर्द की वजह से स्कूल, कॉलेज या ऑफिस नहीं जा पातीं। लेकिन वे डॉक्टर के पास जा कर अपनी समस्या को सुलझाना जरूरी नहीं समझतीं, क्योंकि उनके दिमाग में यह बात शुरू से बैठी होती है कि पीरियड्स में दर्द तो होगा। उन्हें इसकी गंभीरता का अंदाजा नहीं है कि इससे कई परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। जंक फूड, लगातार बढ़ता वजन, एक्सरसाइज की कमी, ओवरी में सिस्ट और पीसीओडी की समस्या से पीरियड्स पर सीधा प्रभाव पड़ता है। अगर माहवारी में दर्द होता है, तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
परविेश का पीरियड्स पर असर
फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में ऑब्स्ट्रेट्रकि्स एंड गाइनीकोलॉजी विभाग की डाइरेक्टर डॉ. नुपूर गुप्ता बताती हैं कि सामान्य तौर पर युवतियों के पीरियड्स का पैटर्न 21 से 35 दिन के बीच का होता है। सभी युवतियों के शरीर में एग बनने की समय सीमा अलग-अलग होती है। इसीलिए किसी को 28 दिन तो किसी को 35 दिनों के अंदर पीरियड्स होते हैं। पीरियड्स का ड्यूरेशन और फ्लो भी 2 से 5 दिन तक का होता है।
युवतियों के लाइफस्टाइल में काफी बदलाव आया है। डाइट में जंक फूड बढ़ा है। एक्सरसाइज की कमी है। पर्यावरण से भी पीरियड्स पर बुरा असर पड़ता है। बहुत गरमी, बहुत तेज सरदी, प्रदूषण का भी माहवारी पर काफी नकारात्मक असर पड़ता है। लेट नाइट जागना, पार्टी, नाइट शिफ्ट ही नहीं, ऑफिस व घर के काम का स्ट्रेस और पढ़ाई का प्रेशर भी पीरियड्स पर असर डालता है। तनाव से भी माहवारी काफी प्रभावित होेती है।
रिश्ते व उनसे आते इमोशनल स्ट्रेस का भी माहवारी पर बुरा असर पड़ता है। इससे शरीर में हारमोनल गड़बडि़यां शुरू हो जाती हैं। कोई युवती जब भी अपनी माहवारी की समस्या ले कर डॉक्टर के पास जाती है, तो डॉक्टर भी सबसे पहले यही देखती है कि अनियमित पीरियड्स की वजह हारमोनल डिस्टर्बेंस तो नहीं है? कोई मेडिकल हिस्ट्री तो नहीं है? ब्लड क्लॉट, हेवी ब्लीडिंग और अनियमित पीरियड्स की वजह कहीं वर्क प्रेशर तो नहीं? युवतियों में अनियमित ओव्यूलेशन और पीसीओडी की वजह से भी पीरियड्स देरी से शुरू होते हैं।
अनसेफ सेक्स
महलिा रोग विशेषज्ञ इस बात पर जोर देती हैं कि आजकल कम उम्र में लड़कियां सेक्सुअली एक्टिव होने लगी हैं। मल्टीपल पार्टनर का भी चलन बड़ा है। ये बदलाव भी पीरियड्स को डिस्टर्ब कर देते हैं। असुरक्षित सेक्स उन्हें बहुत बड़े स्ट्रेस में डाल देता है। अनसेफ सेक्स के बाद बिना साइड इफेक्ट जाने अपनी मरजी से अबॉर्शन पिल्स, गर्भ निरोध की गोलियां भी पीरियड्स को लंबे समय के लिए अनियमित कर देती हैं। एक साथ दो-दो सेक्सुअल रिलेशनशिप रखना भी युवतियों को पीरियड्स के देरी से होने की समस्या में ढकेल देता है।
डॉ. नुपूर का मानना है कि हमारा माहवारी की समस्याओं का ऑनलाइन कंसल्टेशन इसी वजह से बढ़ा है। पीरियड्स की डेट मिस होने पर लड़कियां हमसे जानकारी चाहती हैं। लड़कियों को जो जानकारी सेक्स संबंधों में उतरने से पहले होनी चाहिए, वह अनसेफ सेक्स के बाद क्यों तलाशती हैं? उन्हें सेफ सेक्स के बारे में भी कुछ नहीं मालूम होता। यह पीढ़ी रिश्ते को ले कर एक्सपेरिमेंटल है। उन्हें अपने पार्टनर के साथ रिश्ते में उतरने से पहले पता है कि जिसको वे डेट कर रही हैं, वह उनका लाइफ पार्टनर नहीं भी बन सकता है। लेकिन जब रिश्ता संभाल नहीं पातीं, तब तनाव झेलती हैं, जो उनकी सेहत पर बुरा असर डालता है।