Wednesday 16 December 2020 03:46 PM IST : By Meena Pandey

क्या है सर्जिकल मेनोपॉज

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सर्जिकल मेनोपॉज और सामान्य मेनोपॉज में अंतर है। सर्जिकल मेनोपॉज ओवरीज निकाले जाने की वजह से होता है, जबकि नॉर्मल मेनोपॉज में 45 से 55 की उम्र के बीच पीरियड्स प्राकृतिक रूप से आने बंद हो जाते हैं। पर जब ओवरीज में जानलेवा बीमारी होने के आसार दिखते हैं, तो उनको निकाल दिया जाता है, जिससे पीरियड्स बंद हो जाते हैं। यह सर्जिकल मेनोपॉज है।

बीएल कपूर हॉस्पिटल, दिल्ली में गाइनीकोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट की हेड डॉ. दिनेश कंसल के अनुसार, कई बार 20-30 साल की कम उम्र में महिला की दोनों ओवरीज में कैंसर, गांठें और सेप्टिक होने पर इनको निकालना ही पड़ता है। कई बार एंडोमीट्रियोसिस होने पर ओवरीज में खून की गांठें बनने से भी वे नष्ट हो जाती हैं। इसमें पेशेंट को बहुत तेज दर्द होता है। पीरियड्स आने के दौरान, इंटरकोर्स के समय दर्द की शिकायत बेहद बढ़ जाती है। इसे डबल ईटिंग डिजीज कहते हैं यानी दर्द और दूसरी जटिलताअों की वजह से जिंदगी ही खराब हो जाती है। दवा-इन्जेक्शन काम नहीं करते, महिला दर्द से तड़पती है। तब भी ओवरीज रिमूव की जाती हैं।

पहले ओवरीज के साथ यूटरस भी निकाल दिया जाता था, पर अब यूटरस ठीक है, तो उसे रहने दिया जाता है, ताकि वह बाद में प्रेगनेंट होना चाहे, तो आईवीएफ की मदद से हो सकती है। उस समय उसे जरूरी हारमोन्स दिए जाते हैं। इस तरह मेनोपॉज के बाद भी महिलाएं हसबैंड के स्पर्म और डोनर एग से बाहर विकसित किए गए भ्रूण को यूटरस में प्रत्यारोपित करा कर प्रेगनेंट हो सकती हैं। अगर ओवरीज में कैंसर है, उसके फैलने का डर है, तब ओवरीज के साथ यूटरस भी निकाल दिया जाता है।

दोनों में अंतरः नॉर्मल मेनोपॉज धीरे-धीरे होता है। महिला मानसिक रूप से भी इसके लिए तैयार रहती है। मान लीजिए 40 साल की महिला, जब उसके हारमोन्स सबसे ऊंचे लेवल पर थे, ओवरीज हटा दी जाएं, तो एकदम से हारमोन्स में बड़ी गिरावट आने से जटिलताएं पैदा होंगी। इसलिए ओवरीज हटते ही अगले ही दिन से उसकी एचआरटी शुरू कर दी जाती है।

अगर 20 साल की उम्र में ओवरीज हटा दी गयी हैं, तो एचआरटी 45 साल की उम्र तक लगातार दी जाएगी। यह सब डॉक्टर की निगरानी में होगा। बीच-बीच में ब्रेस्ट एग्जामिनेशन, यूटरस का अल्ट्रासाउंड करके देखा जाता है कि कहीं कोई बीमारी तो नहीं विकसित हो रही है। हारमोन्स रिप्लेसमेंट में सिर्फ इस्ट्रोजन नहीं, बीच-बीच में प्रोजेस्ट्रॉन भी देते हैं, ताकि इस्ट्रोजन के खराब प्रभावों का असर ना हो। इसे हमेशा कॉम्बिनेशन में दिया जाता है। युवा लड़की को सर्जिकल मेनोपॉज के तुरंत बाद हारमोन थेरैपी शुरू कर देनी चाहिए, वरना उसे तेज हॉट फ्लैशेज, मूड स्विंग्स, डिप्रेशन की समस्या हो जाएगी। इसलिए आज सर्जरी की है, तो आज या कल से हारमोन थेरैपी शुरू हो जाएगी। रिकवरी के बाद शुरू करने का इंतजार नहीं किया जा सकेगा। चूंकि ओवरीज निकाली जा रही हैं, उसके बाद मेनोपॉज की स्थिति पैदा हो जाएगी, इसीलिए उसकी काउंसलिंग भी होती है।

भले एचआरटी ना देने पर लड़की को दिक्कत महसूस ना हो, पर उसकी बोन्स बहुत तेजी से कमजोर हो सकती हैं। हार्ट डिजीज हो सकती है। सेक्स में रुचि खत्म व ब्रेस्ट में बदलाव आ जाता है। तब एचआरटी लेना जरूरी हो जाता है। मेनोपॉज के बाद कई बार 65-70 की उम्र वालों को भी कोई दिक्कत नहीं आती है। कई बार वेजाइना की त्वचा बहुत रूखी हो जाती है। तब उनको लोकल हारमोन देते हैं पर हॉट फ्लैशेज भी है, तो टेबलेट के रूप में भी हारमोन्स दिए जाते हैं। यह शॉर्ट कोर्स होता है। जैसे ही पेशेंट में सुधार आता है, इसे बंद कर दिया जाता है, क्योंकि ड्रग कैंसर का रिस्क हो सकता है।

जब यूटरस हटे ओवरीज नहींः अगर सिर्फ यूटरस हटाया गया है और ओवरीज अपनी जगह पर हैं, तो कोई हारमोन थेरैपी नहीं दी जाती है। तब कोई मेनोपॉजल चेंजेज नहीं आते, क्योंकि यूटरस में कोई हारमोन नहीं होता। उनको किसी हारमोन थेरैपी की जरूरत नहीं होती है।