Monday 23 August 2021 05:07 PM IST : By Team Vanita

बिना सोचे समझे पेनकिलर्स खाने के हैं कई साइड इफेक्ट्स

pain-killers

दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए अकसर महिलाएं तुरंत पेनकिलर दवाएं गटक लेती हैं। ये दवाएं ओटीसी यानी ओवर द काउंटर ड्रग्स हैं, जो बिना किसी प्रिस्क्रिप्शन के आसानी से केमिस्ट शॉप से मिल जाती हैं। तुरंत आराम तो बेशक मिलता है, पर इनके साइड इफेक्ट भयंकर होते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि कभीकभार हल्की डोज ली जा सकती है, मगर इन पर निर्भर हो जाना जानलेवा साबित होता है।

दरअसल पेनकिलर दवाएं लेते-लेते महिलाएं इसकी आदी हो जाती हैं और इसे लेना चाय-पानी की तरह उनकी एक जरूरी आदत बन जाती है। गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर पी. वेंकेट कृष्णन के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाएं पेनकिलर्स का ज्यादा दुरुपयोग करती हैं। दुरुपयोग इसलिए कि वे बिना नफा-नुकसान सोचे दवाएं धड़ल्ले से लेती जाती हैं। दरअसल, वे ऐसे ही इसकी लती नहीं हो गयीं। हमारे यहां स्त्री को रेस्ट नहीं मिलता, उन पर काम का प्रेशर बहुत है। वे तो उन दिनों में भी काफी काम करती हैं, जब आराम की जरूरत होती है। महिलाओं को भी आराम करने के बजाय आसान रास्ता लगता है, पेनकिलर दवा लेना, जो उनको केमिस्ट से बड़ी आसानी से मिल भी जाती है।

पेनकिलर्स का किडनी पर असर

महिलाएं नहीं जानतीं कि 99% पेनकिलर दवाएं किडनी पर बुरा असर डालती हैं। वे अकसर जरूरत से ज्यादा दवाएं लेती हैं। जरूरत से ज्यादा यानी अगर महीनेभर में कोई महिला 10-12 पेनकिलर्स लेती है, तो वह खतरे में है। क्योंकि इन दवाओं में मौजूद एलिमेंट्स को किडनी सोखती है, जो धीरे-धीरे गुरदे को पूरी तरह डैमेज कर देती हैं। ऐसे नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता है। 

पेट की लाइनिंग पर असर

पेनकिलर्स फूड पाइप और पेट की लाइनिंग पर बुरा असर डालते हैं। उसमें अल्सर तक बन जाते हैं। इन दवाओं में मौजूद केमिकल्स की वजह से खून की कमी हो जाती है, जिससे थकान बनी रहती है। इसके असर से खाना भी ठीक से नहीं पचता है। एसिडिटी की समस्या लगातार रहती है।

हार्ट पर असर

बाजार में कुछ पेनकिलर्स ऐसे भी हैं, जो किडनी को नुकसान नहीं पहुंचाते, मगर आजकल इनका बहुत दुरुपयोग हो रहा है। इन दवाओं का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट यह है कि यदि किसी में दिल से जुड़ी कोई समस्या है, तो उनमें हार्ट फेलियर की आशंका बढ़ जाती है। एक बात गांठ बांध लें कि हर पेनकिलर ड्रग का कोई ना कोई साइड इफेक्ट जरूर होता है।

लिवर पर असर

डॉ. कृष्णन कहते हैं कि निमेसुलाइड मेडिसिन बुखार में दी जाती है। महिलाएं इसे पेनकिलर के रूप में भी लेती रहती हैं। इस दवा का ज्यादा प्रयोग लिवर डैमेज कर सकता है। डिस्प्रिन जैसी दवाएं लोग बच्चों को दे देते हैं, जिसका असर उनके लिवर पर पड़ता है। बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के 15 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को ये पेनकिलर दवाएं किसी कीमत पर नहीं दी जानी चाहिए। अगर देना ही है, तो डॉक्टर की सलाह पर पैरासिटामॉल की एक गोली दे सकते हैं। महीने में 2-3 पेन किलर से ज्यादा लेनेे की जरूरत पड़े, तो डॉक्टर को दिखा लें।

दवाओं के कॉम्बिनेशन

आमतौर पर ज्यादातर दवाइयां ऐसी हैं, जिनमें किडनी को खराब करने वाले केमिकल्स होते हैं। जितनी ज्यादा और जल्दी-जल्दी लंबे समय तक पेनकिलर लेंगी, उतना ही ये सेहत पर खराब असर डालेंगी। 

मेंस्ट्रुअल पेन

इन दिनों महिलाएं अपने मन से पेनकिलर लेती हैं, जबकि इस समय एंटी स्पासमोडिक ड्रग्स लेनी चाहिए, जो पेट की मरोड़ को कम करती हैं। उसके साइड इफेक्ट्स भी कम हैं। पीरियड्स में होने वाली परेशानी को कम करने के लिए गाइनीकोलॉजिस्ट यही दवा प्रिस्क्राइब करती हैं। यह दवा भी जरूरत से ज्यादा लेने पर नुकसान ही भुगतना पड़ेगा। 

क्या करेंः 45 की उम्र के बाद महिलाओं के लिए एक्सरसाइज करना, विटामिन डी सप्लीमेंट लेना बहुत जरूरी है। 

40 के बाद की उम्र में पालथी मार कर या घुटनों के बल बैठने से बचें। घुटनों में दर्द की समस्या इस उम्र से शुरू हो जाती है। वॉक करने, धूप में बैठने से हडि्डयां मजबूत रहती हैं, इसलिए प्रॉब्लम नहीं होती। अगर फिर भी दर्द रहता है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही पेनकिलर दवाएं लें। इनमें पैरासिटामॉल ही सबसे सेफ है। 

कैसे जानेंः पेनकिलर मेडिसिन लेने वाली महिलाएं जितनी बार इसे लें, कैलेंडर में मार्क कर लें या पत्ते के हिसाब से आइडिया रखें कि कितनी गोलियां ले रही हैं। फिर देखिए कि कितनी पेनकिलर दवाएं एक महीने में ले लेती हैं। जब डॉक्टर से मिलें, तो जरूर बताएं कि हर महीने इतनी मात्रा में गोलियां लेने की जरूरत पड़ती है। वैसे इनको जितना अवॉइड करें, उतना बेहतर है। 

डिस्प्रिन भी अगर महीने में 10 से ज्यादा ले रही हैं, तो यह खतरनाक साबित हो सकता है। लिवर डैमेज हो सकता है, अल्सर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है। महीने में 10 से ज्यादा पेनकिलर लेने से जान का जोखिम हो सकता है। 

वैसे भी हर 10 साल में उम्र के साथ किडनी भी पुरानी पड़ती है और उसकी क्षमताएं कम होती जाती हैं। उम्र बढ़ने के साथ पेनकिलर लेना जारी रखना खतरनाक होता जाता है। अगर कोई महिला 25 साल की उम्र में 10 गोलियां लेती है, तो 55 साल की आयु में उसे 4-5 गोलियों से ज्यादा पेनकिलर नहीं लेने हैं। वैसे तो किसी भी उम्र में इसे लेना अच्छा नहीं है। 

साइकोलॉजिकल वजह

गुरुग्राम के कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता शर्मा के अनुसार वास्तविकता तो यह है कि स्त्रियां खराब सेहत का सामना भले कर रही हैं, पर उनके पास बीमार पड़ने की फुरसत नहीं है। उनको जरूरत बेड रेस्ट की है, पर उनके काम किए बगैर घर नहीं चलेगा। पूरी फैमिली उन पर निर्भर करती है। बचपन से महिलाओं की साइकोलॉजी इस तरह सेट की जाती है कि उनको दर्द महसूस नहीं होता, त्याग की भावना से ओतप्रोत होती हैं। उनको सिखाया जाता है कि अपने आपको छोड़ कर सबसे प्यार करना है, सबको खुश रखना है। उनके लिए अपने आपको प्यार करना वैल्यू नहीं करता, क्योंकि वे दूसरों पर ज्यादा निर्भर रहती हैं। पीरियड्स के समय कॉम्बिफ्लेम वे खुद ले लेती हैं। वे तब तक डॉक्टर के पास नहीं जातीं, जब तक उनके पास गए बिना काम चलता रहता है। जब तेज बुखार हो या चोट लगी हो, तभी जाएंगी वरना दवा लो-काम पर चलो, यही उसकी जिंदगी का उद्देश्य है। पहले वे जम कर काम करती हैं और बाद में कमर पकड़ कर ‘हाय हाय’ करती हैं। दूसरों से सहानुभूति पाना, बेचारी ‘कितना काम करती है,’ जैसे कमेंट्स उसके लिए संजीवनी का काम करते हैं। इनको वे पेनकिलर खा-खा कर मेडल की तरह तब तक पहने घूमती हैं, जब तक बिस्तर पर खुदबखुद नहीं गिर पड़तीं। 

इतने साइड इफेक्ट के बावजूद महिलाओं के लिए पेनकिलर लेना मजबूरी है, तो कुछ बातों का ध्यान रखें-

पेनकिलर दवाएं खाली पेट ना लें। पहले नाश्ता कर लें। खाली पेट इसे लेने से एसिडिटी इतनी बढ़ जाएगी कि हॉस्पिटल जाने की नौबत आ सकती है। 

दवा लेने के बाद पानी की कमी शरीर में ना होने दें। पानी पीती रहें। इससे दवाओं का टॉक्सिन यूरिन के जरिए बाहर निकल जाता है। 

कभी भी थकान मिटाने के लिए पेनकिलर दवाएं लेने की आदत ना बनाएं। इसकी आदी होना किसी तरह से ठीक नहीं है। ध्यान रहे पेनकिलर गोलियां खाते ही तुरंत असर नहीं दिखाएंगी। इनका असर लेने के बीस-तीस मिनट में शुरू होता है। गलती से भी डबल डोज ना लें, जो महिलाओं की आम आदत है।

घरेलू उपाय आजमाएं

समस्या गंभीर हो, तो डॉक्टर के पास ना जाने के बहाने ना बनाएं। अपने मन से पेनकिलर लेने के बजाय कुछ घरेलू उपाय आजमा सकती हैं-

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अगर हल्का-फुल्का बदन दर्द हो, तो गरम दूध में हल्दी डाल कर पिएं। रोजाना एक्सरसाइज करें। 

समय से सोएं और समय से जागें। समय पर खाना खाएं। उलटा-सीधा खाने से बचें। पेट दर्द हो, तो अजवाइन, हींग, काला नमक भून कर फांक लें। 

सिर दर्द होने पर अदरक, काली मिर्च व दालचीनी डाल कर चाय बना कर पिएं। आराम मिल जाएगा।