महिलाओं की सरंचना प्रजनन के हिसाब से होती है और उसका सबसे पहला संकेत होते हैं पीरियड्स यानी माहवारी। माहवारी समय पर होना इस बात की पुष्टि करता है कि महिला प्रजनन के लिए तैयार है। लेकिन ये मासिक धर्म यानी पीरियड्स का केवल एक पहलू है। मासिक धर्म यानी पीरियड्स यानी माहवारी का सबसे बड़ा पहलू है उससे जुड़ी मुश्किलें। पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द सबसे बड़ी मुश्किल है जिससे लगभग हर महिला को दो चार होना पड़ता है। किसी को कम तो किसी को ज्यादा दर्द होता ही है। लेकिन कई महिलाओं में ये दर्द इतना ज्यादा होता है कि उसके लिए हर महीने पेन किलर दवाएं लेनी पड़ जाती हैं। कई महिलाएं कुछ काम नहीं कर पाती और ऑफिस से छुट्टी लेने की नौबत आ जाती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इस दर्द का कोई बिना दवा वाला इलाज संभव है ?
पीरियड्स का दर्द - किसी को ज्यादा तो किसी को कम क्यों
माहवारी के दौरान होने वाले दर्द को डिस्मेनोरिया कहा जाता है। दरअसल, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं का गर्भाशय अकड़ कर सख्त होता है। इस प्रक्रिया में कुछ हॉर्मोन भी रिलीज होते हैं। मासिक धर्म के दौरान रिलीज होने वाला हॉर्मोन प्रोस्टाग्लैंडीन है। यदि ये ज्यादा बनता है तो कुछ महिलाओं में दर्द का अनुभव भी ज्यादा होता है। इसके अलावा जिन महिलाओं में गर्भाशय से जुड़ी ये बीमारियां हो तो भी उन्हें दर्द हो सकता है। एंडोमेट्रियोसिस - मासिक धर्म के दौरान इस्ट्रोजन हॉर्मोन के रिलीज की प्रक्रिया ठीक ना हो तो एंडोमीट्रियॉसिस हो सकता है।
गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स यानी गांठे बन जानाः यह भी बच्चियों में जल्दी पीरियड्स शुरू होने की वजह है। पहले पीरियड्स शुरु होने की उम्र 12 वर्ष हुआ करती थी लेकिन अब ये उम्र घटकर 10 वर्ष से भी कम हो चुकी है। कई बच्चियों में समय से पहले पीरियड्स शुरु हो रहे हैं, इतनी छोटी उम्र में वे खुद को ठीक से संभाल भी नहीं पाती। एक्सपर्ट्स के मुताबिक कच्ची उम्र में माहवारी शुरु होने के पीछे बदलता लाइफस्टाइल जिम्मेदार है। बच्चों में जंक फूड का ज्यादा सेवन, समय से पहले इंटरनेट के माध्यम से एडल्ट कंटेंट की जानकारी शरीर में ऐसे हॉर्मोन को पैदा कर सकती है जो बच्चों को जल्दी किशोरावस्था की तरफ ले जाते हैं। दिमाग के पिछले हिस्से में मौजूद पीट्यूटरी ग्लैंड में सेक्स हॉर्मोन जल्दी बनने लगें तो लड़कियों में इस्ट्रोजन और लड़कों में टेस्टेस्टीरोन हॉर्मोन विकसित होने लगता है - यही हॉर्मोन किशोरावस्था यानी प्यूबर्टी के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।
पीरियड्स को नियमित करने और दर्द कम करने वाले योगासन
योगाचार्यों की मानें तो पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को नियमित योग से कंट्रोल किया जा सकता है। यहां तक कि पीरियड्स के दौरान भी यदि महिलाएं कुछ योगासन करें तो उन्हें फायदा हो सकता है। योगा थेरेपिस्ट रुबी चिकारा के मुताबिक योग क्रियाओं के माध्यम से पीरियड्स के दर्द को कम तो किया ही जा सकता है- साथ ही यदि कम उम्र की बच्चियां समय रहते योग करें तो उन्हें समय से पहले मासिक धर्म नहीं होगा।
बद्धकोणासनः इस आसन को तितली यानी बटरफ्लाई पोजीशन भी कहा जाता है। इस आसन में सीधे बैठकर दोनों पावों के तलवों को आपस में जोड़ लें और घुटनों की ओर से तितली की तरह बार बार पांव हिलाएं -आप पैरों को पकड़ कर रखें और ये योग करें तो आसानी होगी। इस आसन से बच्चियों में पीरियड्स समय पर आने में मदद मिल सकती है।
जानू शीर्षासनः एक पांव को सीधा करें और दूसरे पांव के तलवे को जननांगों से चिपका कर बैठें - अब कमर की ओर से झुकते हुए सीधे किए गए पांव को हथेलियों से पकड़ने का प्रयास करें। यदि शुरुआत में पांव नहीं पकड़ पा रहे तो भी कोई बात नहीं।
पश्चिमोत्तान आसन: इसे फॉरवर्ड बेंडिंग भी कहा जाता है। मैट पर बैठकर दोनों पांवों को सीधा करें अब आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों से दोनों पावों के तलवों को छूने की कोशिश करें। याद रखें, कमर को मोड़ें नहीं। पेट के निचले हिस्से से झुकें और कमर को सीधा रखते हुए झुकें। ये सभी आसन हर उम्र की महिलाओं के लिए फायदेमंद हैं। पीसीअोडी और पेट में गांठें यानी यूटराइन फायब्राइड्स बनने से रोकने में भी ये आसन मददगार साबित होते हैं। ये तीनों आसन पीरियड्स के दौरान भी किए जा सकते हैं। हालांकि योग के माध्यम से पीरियड्स रेगुलेट यानीनियमित करने हों तो नियमित योगासन करने जरुरी होतेहैं।
मेनोपॉज और सिरदर्द का अजब कनेक्शन
बहुत सी महिलाओं को पीरियड्स के पहले दिन या उससे पहले सिरदर्द और गैस की शिकायत रहती है। ये एक अजीब बात है लेकिन मेट्रो अस्पताल, नोएडा की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सोनिया लाल गुप्ता के मुताबिक जिस तरह के सिरदर्द का सीधा संबंध माहवारी के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव से होता है। मेनोपॉज होते ही ये सिरदर्द अपने आप बंद हो जाता है। ऐसे में महिलाओं में मेनोपॉज यानी पीरियड्स का बंद होना जहां कई समस्याएं ला सकता है, वही मेनोपॉज सिरदर्द का इलाज बन जाता है।
पीरियड्स का दर्द ऐसे करें कम
पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए डॉक्टरों की सलाह रहती हैः
- गर्म मसाज करें। पेट पर गर्म सिकाई करने से भी फायदा हो सकता है।
- गुनगुने या गर्म पानी से नहाएं। हालांकि मौसम का ख्याल रखते हुए पानी का तापमान सेट करें इस दौरान ठंडी और खट्टी चीज़ों से परहेज़ करें। ये दर्द को बढ़ा सकती हैं
- हल्के योगासन करें या सैर के लिए जाएं।
- महिलाओं में अगर मासिक धर्म के दौरान कभी कभार दर्द होता है तो पैरासिटामोल या मेफनेमिक एसिड वाली पेनकिलर दवा ली जा सकती है लेकिन अगर दवाएं हर महीने लेने की जरुरत पड़ती है तो डॉक्टर से सलाह लेनी जरुरी है।
- बहुत ज्यादा दर्द किसी गंभीर बीमारी की आहट हो सकता है, जिसे समय रहते इलाज की जरुरत होगी।