Wednesday 14 October 2020 08:13 PM IST : By Meena Pandey

वुमन हार्मोंस हेल्थ के साथ मूड पर भी डालते हैं असर

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हमारे शरीर में स्रावित होनेवाले हारमोन्स ही शारीरकि-मानसकि प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन्हीं के कारण मूड बनता, बिगड़ता, भूख लगती और क्रैंप्स आते हैं। हमारा शरीर दर्जनों हारमोन्स पैदा करता है। कसिी एक हारमोन का स्तर अचानक बढ़ने-घटने का असर हमारी मानसकि, भावनात्मक व शारीरकि सेहत पर पड़ता है। आइए जानते हैं, ये हारमोन्स क्या हैं और ये कसि तरह शरीर पर असर दिखाते हैं।

मुंहासे

लगभग आधी महलिाएं पीरियड्स के दौरान चेहरे पर मुंहासे नकलनिे से परेशान रहती हैं, लेकनि माहवारी के बाद उनका चेहरा साफ-साफ हो जाता है। लेकनि मुसीबत उन महलिाओं की है, जो सारे महीने मुंहासों से परेशान रहती हैं, जनिकी वजह से चेहरे पर गहरे धब्बे पड़ जाते हैं। कोई क्रीम काम नहीं करती। इसके लिए एंड्रोजंस हारमोन को दोषी ठहराया जा सकता है। हम सोचते हैं कि मुंहासे की वजह खराब आहार या सफाई की कमी है, पर यह टेस्टोस्टेरॉन की वजह से होता है, कहना है हारमोनली वलनरेबल वुमन के लेखक व एंडोक्राइनोलॉजसि्ट जियोफ्री रेमंड का। टेस्टोस्टेरॉन सीबम व तेल बहुत बनाता है, जसिसे रोमछदि्र बंद हो जाते हैं और धब्बे पड़ जाते हैं।

संतुलन बनाएं: गर्भनरिोधक गोलियां खून के साथ तैरनेवाले फ्री टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को कम करती हैं। यह डेड स्कनि के लिए 50 प्रतशित जिम्मेदार है। स्त्री रोग वशिेषज्ञों का मानना है कि गर्भनरिोधक गोलियां लेनेवाली महलिाओं की त्वचा मेंटेन रहती है। ऐसी कॉन्ट्रासेप्टवि पलि्स लें, जनिमें इस्ट्रोजन का ज्यादा व एंड्रोजन का स्तर कम हो। उनमें मौजूद हारमोन में त्वचा के रोमछदि्रों को साफ रखने की क्षमता हो। वैसे ऐसे में डॉक्टर को दिखा कर इलाज करा लेना अच्छा रहेगा।

याददाश्त कम होना

क्या आपको याद नहीं रहता कि मोबाइल फोन कहां रखा या सहेली से लंच में कहां मलनिे का वादा किया, यह भी तमाम कोशशिों के बावजूद ध्यान नहीं आता। आपको महसूस होता है कि आप बहुत कम उम्र में बातें भूलने लगी हैं, तो इसकी कुछ वजह हैं। यदि आप लंबे समय से तनाव व दबाव में रह रही हैं, रातभर बच्चे के साथ जागी हों या ऑफसि का बड़ा प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए रात-रात भर काम किया हो, उस काम को समय से ऑफसि में जमा करने का दबाव भी है, तो ऐसे में शरीर लगातार कोर्टसलि हारमोन पंप करता है। अध्ययन से पता चलता है कोर्टसलि के लगातार हाई लेवल पर रहने से याद रखने व सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति लगातार रहने पर यह दिमाग की कोशकिाओं को नष्ट कर सकती है। खासकर मस्तिष्क के हपि्पोकैंपस को प्रभावित करता है, जहां लंबे समय के लिए सूचनाएं और यादें इकट्ठा रहती हैं।

संतुलन बनाएं: सबसे पहले अपने स्वस्थ आदतें अपनाएं, जैसे सुबह की सैर, वर्गपहेली हल करना, बेर-रसभरी खाना आदि। हाल ही में किया गया अध्ययन बताता है कि जो लोग अपने लाइफस्टाइल में ये सारी बातें शामलि रखते हैं, वे दबाव व तनाव से दूर रहते हैं। उनकी याददाश्त में सुधार आता है। स्वास्थ्यकारी खानपान व शारीरकि फिटनेस में वह ताकत है कि 2 हफ्ते पहले की बातें याद रहती हैं। इसकी वजह स्ट्रेस हारमोन के स्तर का कम हो जाना है। इसके अलावा योगाभ्यास, ध्यान और एरोबकि जैसे व्यायाम तनाव व थकान को दूर करने में सहायक होते हैं। ईश्वर से प्रार्थना करने व धार्मकि कामों में शामलि होने से मन को शांति मलिती है। सुबह 20 मनिट देर से उठने से भी याददाश्त ठीक रहती है। इससे कोरि्टसल को बाहर करने में मदद मलिती है। दनिभर में एक बार आराम करें।

इनसोम्निया यानी अनदि्रा

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यदि आपको आमतौर पर नींद आने में दकि्कत है या पीरियड्स से ठीक पहले नींद डसि्टर्ब रहती है, तो ऐसा मेंस्ट्रुअल साइकल में प्रोजेस्ट्रॉन हारमोन के तत्काल तेज हो जाने के कारण होता है। न्यूयॉर्क युनविर्सिटी के स्लीप डसि्ऑर्डर सेंटर में एसोसिएट प्रोफेसर जॉयस वॉल्सबेन के अनुसार प्रोजेस्ट्रॉन बढ़ने से से हाथ-पैर ढीले हो जाते हैं। इसी वजह से पीरियड्स व डलिीवरी के समय बेआरामी महसूस होती व नींद नहीं आती है। इसके दुष्प्रभावों में ब्रेस्ट का मुलायम पड़ना व क्रैंप्स आना शामलि हैं।

संतुलन बनाएं: पानी, शरबत, शकिंजी आदि खूब लें। इससे सूजन कम होगी। दोपहर के बाद चाय-कॉफी ना लें। सोने से पहले गरम दूध पिएं और मेवे खाएं। इनमें ट्राइप्टोफन होता है, जो मस्तिष्क में सेरोटोननि केमकलि बनाता है, जसिसे नींद कंट्रोल में रहती है।

बेहसिाब भूख

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कुछ हारमोन्स की वजह से हम ज्यादा खाने लगते हैं। गेरेलनि हारमोन भूख पैदा करता और लेप्टनि ऑक्सीनटोमोड्यूलनि हारमोन भूख को दबाता है। इनका तालमेल गड़बड़ाने पर या तो भूख नहीं लगती या बहुत भूख लगती है। स्लीप एंड ओबेसिटी शोधकर्ता ग्रेजर हसल के अनुसार लेप्टनि हारमोन की कमी होने पर दिमाग को लगता है कि वसा की ज्यादा जरूरत है, लिहाजा वह भूख जगा देता है।

संतुलन बनाएं: नींद आए ना आए 7-9 घंटे आंखें मूंद कर लेटे रहें। इससे लेप्टनि हारमोन का स्तर बढ़ता है और ओवरवेट होने का खतरा 23 प्रतशित घटता है। हाई कैलोरीवाला, वसा या प्रोटीनयुक्त भोजन के बजाय ताजी सब्जियां व अनाज खाएं।

हमेशा थकान

कई बार ऐसा लगता है कि उठा ही नहीं जाएगा, शरीर में ताकत ही नहीं है। कम खाने पर भी वजन बढ़ जाता है। हो सकता है थायरॉइड हारमोन की कमी हो गयी हो। हाइपोथायरॉइडजि्म से शरीर का मेटाबोलजि्म नियंत्रण में रहता है। इसकी कमी होने पर शरीर के सारे ससि्टम की गति धीमी हो जाती है। इसलिए हाइपोथायरॉडजि्म बेहाल महसूस कराता है।

संतुलन बनाएं: थायरॉइड का स्तर जानने के लिए टेस्ट कराएं। डॉक्टर आपको उपचार बताएंगे। वुमंस एंड टीन गर्ल्स मूड एंड हारमोन क्लीनकि के डाइरेक्टर ब्रेजेनडाइन कहते हैं कि यदि आपको डपि्रेशन, घबराहट व थकान महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखा लें। हो सकता है, ऐसा थायरॉइड के असंतुलन के कारण हो रहा हो। डॉक्टर थायरॉइड का टेस्ट कराएंगे। उसके बाद जो इलाज बताया जाए, उसे पूरा करें।

पेट में मरोड़

कुछ लोग तनाव व दबाव में सरि दर्द, तो कुछ लोग पेट में मरोड़ महसूस करते हैं। क्योंकि उस स्थिति में कई हारमोन व नर्व्स दिमाग और पेट दोनों जगह समान प्रतकि्रियाएं देते हैं। सेरोटोननि हारमोन का स्तर असामान्य होने पर पेट में मरोड़, पेड़ू में दर्द, डायरिया आदि की शकिायत हो जाती है। पीरियड्स के दौरान पेट में ऐंठन इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन की वजह से होती है।

संतुलन बनाएं: शोधकर्ता डॉ. अर्नोल्ड के अनुसार जनि मरीजों ने 25 ग्राम फाइबर हर रोज भोजन के बाद लिया, उनके पेट दर्द में कमी आयी। फाइबर आंत में मौजूद हारमोन्स को प्रभावित करता है। यह छोटी-बड़ी आंत को बढ़ा देता है, जसिसे पेट की जसि मांसपेशी में दर्द हो रहा होता है, वह आराम की स्थिति में आ जाती है। अपने भोजन में साबुत अनाज, फल, सब्जियां शामलि करें।