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कच्ची हल्दी अपने पौष्टिक गुणों की वजह से आयुर्वेदिक इलाज में काफी प्रयोग की जाती है। इसे किसी भी रूप में खाएं और सरदियों में सेहत में फर्क महसूस करें। हल्दी पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है।

कभी भी खुली हल्दी नहीं खरीदें। पैकेट बंद हल्दी का प्रयोग करें। हल्दी को तेल में जला कर ना पकाएं। इससे पौष्टिकता नष्ट होगी। 

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यह इरिटेबल बाउल सिंड्रोम को कंट्रोल करती है। खाने में हल्दी जरूर डालें। इससे जोड़ों के दर्द और गठिया 
जैसी परेशानी कम होगी।

हल्दी में एंटीबायोटिक गुण होने की वजह से जब चोट लग जाए, तो हल्दी का लेप लगा सकते हैं। हल्दी मिला दूध भी पी सकते हैं। इससे घाव जल्दी भरेगा और अाप दर्द में राहत मिलेगी।

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पानी या दूध में कच्ची हल्दी के टुकड़े के साथ 2 कुटी काली मिर्च, एक टुकड़ा कुटी अदरक और एक छोटा कुटा दालचीनी का टुकड़ा डाल कर उबालें। इसे छान कर पिएं। हफ्तेभर तक यह दूध पिएं, तो ठंड में शरीर गरम और सेहतमंद रहता है। 

हल्दी कैंसर, दिल के रोग और अल्जाइमर जैसी घातक बीमारियों के खतरे भी कम करती है। यह रक्तशोधक भी है। यह ब्लड से टॉक्सिंस को दूर करती है। एंटी बैक्टीरियल गुण होने की वजह से यूटीआई की समस्या में भी राहत पहुंचाती है। फैटी लिवर की समस्या हो, तो इसमें कच्ची हल्दी राहत पहुंचाती है।

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