मस्से जिन्हें वॉर्ट भी कहा जाता है, त्वचा पर निकलने वाले छोटे आकार के, कठोर और खुरदरे उभार होते हैं। मस्सों की समस्या काफी आम है और लगभग हर उम्र के लोगों में पायी जाती है। ज्यादातर मस्से दर्दरहित होते हैं, लेकिन कुछ मस्से परेशान करने वाले भी हो सकते हैं। देखा जाए तो सामान्य रूप से मस्से किसी गंभीर बीमारी का संकेत नहीं होते, लेकिन कभी-कभी ये शरीर में किसी कमी या समस्या की ओर इशारा कर सकते हैं। आइए, दिल्ली के सीनियर कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. प्रीतम पंकज और श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट, दिल्ली के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. विजय सिंघल से समझते हैं कि मस्से किस कारण होते हैं, इनके प्रकार क्या हैं और कैसे इनका उपचार किया जा सकता है-
मस्से होने के क्या कारण हैं?
मस्से आमतौर पर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के संक्रमण के कारण होते हैं। यह वायरस त्वचा की ऊपरी परत को प्रभावित करता है और इससे हुए संक्रमण के कारण त्वचा की कोशिकाओं का तेजी से बढ़ना शुरू हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर मस्से आने लगते हैं। यह वायरस त्वचा के सीधे संपर्क या किसी संक्रमित सतह से संपर्क में आने से फैल सकता है। यह वायरस काफी संक्रामक भी होता है। जब त्वचा पर कोई कट या खरोंच लगती है तो मस्से पैदा करने वाले वायरस का संक्रमण आसानी से फैल जाता है। यही कारण है कि बच्चों में मस्सों की समस्या ज्यादा होती है। एचपीवी के 100 से ज्यादा स्ट्रेन हैं, और मस्से इनकी विभिन्न स्ट्रेन के कारण होते हैं। हालांकि सभी प्रकार के मस्से सिर्फ एचपीवी से नहीं होते, बल्कि कुछ मस्से शारीरिक गतिविधियों, कमजोर इम्यून सिस्टम या त्वचा के खराब हो जाने के कारण भी उत्पन्न हो सकते हैं।
मस्से के प्रकार
डॉ. प्रीतम कहते हैं कि आमतौर पर मस्सों को 2 रूपों में विभाजित किया जाता है- संक्रामक और असंक्रामक। जिनका वजन ज्यादा होता है, या जो प्री-डाइबिटिक स्टेज में होते हैं या डाइबिटिक होते हैं, उनको खासकर गरदन पर, बगलों में, जांघों पर असंक्रामक मस्से हो जाते हैं। यह एक कॉस्मेटिक प्रॉब्लम होती है, देखने में खराब लगता है, इसलिए लोग इसे हटाना चाहते हैं। इसे मशीन से हटाया जाता है।
संक्रामक मस्से यानी वार्ट किसी भी उम्र में हो सकते हैं। अगर ये जननांग पर होते हैं तो इसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज कहते हैं। इनका ट्रीटमेंट भी डिस्ट्रक्टिव ही होता है। दवा लगा कर या मशीन या लेजर से इसे हटाया जा सकता है। वॉर्ट के दाबारा होने की आशंका बहुत होती है।
डॉ. विजय सिंघल के मुताबिक, मस्से शरीर में स्थान के आधार पर, आकार और रंग के आधार पर कई प्रकार के हो सकते हैं। सामान्य रूप से मस्सों को निम्नलिखित प्रकारों में बांटा जा सकता है-
सामान्य मस्से : ये मस्से आमतौर पर ग्रे या भूरे रंग के होते हैं औऱ त्वचा पर खुरदरे, उभरे हुए रूप में उंगलियों, हाथों, और घुटनों पर पाए जाते हैं।
फ्लैट मस्से : ये मस्से मखमली सतह वाले छोटे और चपटे होते हैं। ये ज्यादातर चेहरे, गरदन, हाथों और पैरों की त्वचा को प्रभावित करते हैं। इस तरह के मस्सों का प्रभाव युवा लड़कियों को ज्यादा होता है, क्योंकि उनमें ब्यूटी पार्लर में अस्वच्छ तरीके से ब्यूटी ट्रीटमेंट कराने से फैलने की आशंका रहती है।
प्लांटर मस्से : ये मस्से तलवे की त्वचा को प्रभावित करते हैं। शरीर के वजन के कारण ये अंदर की ओर दब जाते हैं और दर्द पैदा कर सकते हैं।
फिलिफॉर्म मस्से : ये मस्से आमतौर पर चेहरे, मुंह, नाक, या आंखों के आसपास की त्वचा पर पैदा होते हैं। ये लंबे और पतले होते हैं।
जननांग मस्से : ये मस्से जननांगों के आसपास या उनके अंदर उत्पन्न होते हैं। यह मस्से सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के रूप में फैलते हैं, विशेष रूप से इन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। ये मस्से हों तो ध्यान रखना चाहिए कि पार्टनर को इसका संक्रमण ना हो।
क्या मस्से किसी बीमारी या कमी का संकेत है?
मस्से अपने आपमें कोई गंभीर समस्या नहीं होते, लेकिन कुछ विशेष मामलों में शरीर में किसी अन्य समस्या का संकेत दे सकते हैं। ऐसे में मस्सों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि आपके शरीर में बार-बार मस्से हो रहे हैं तो यह इम्यून सिस्टम की कमजोरी का संकेत हो सकता है। शरीर का इम्यून सिस्टम सामान्य रूप से एचपीवी वायरस से लड़ता है, लेकिन इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर यह वायरस शरीर में ज्यादा सक्रिय हो जाता है और मस्सों को उत्पन्न कर सकता है।
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की प्रमुख वजह कुछ विशेष वॉर्ट ही हैं। लड़कियों को वॉर्ट ना हो और उनमें सर्वाइकल कैंसर का जोखिम ना बढ़े, इसके लिए उनको रीप्रोडक्टिव एज शुरू होने से पहले पैपिलोमा वायरस का इन्जेक्शन वैक्सीन के रूप में दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा यदि मस्से तेजी से बढ़ रहे हैं और उनके आकार में नियमित रूप से परिवर्तन आ रहा है तो यह किसी गंभीर समस्या की ओर इशारा हो सकता है। मस्से अगर लाल, सूजे हुए या दर्दनाक हैं तो यह किसी तरह का संक्रमण हो सकता है। इसलिए मस्सों के प्रकार और शरीर में होने वाले बदलावों पर ध्यान देना जरूरी है और इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक होता है।
यदि किसी व्यक्ति को वॉर्ट हो तो उसे कुछ बातों का एहतियात करना चाहिए। जैसे किसी को दाढ़ी में वॉर्ट हो तो इसे शेविंग करने से मना किया जाता है, क्योंकि कटने से संक्रमण फैल सकता है।
मस्सों के लिए क्या है उपचार
असंक्रामक मस्सों को ना हटाया जाए तो कोई नुकसान नहीं है, लेकिन ये असहजता पैदा करते हैं। आजकल मस्सों के कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं। डॉक्टर जरूरी जांच, मस्से के प्रकार, स्थान और लक्षणों के आधार पर इलाज करते हैं। क्रायोथेरैपी मस्सों को हटाने का एक प्रभावी उपचार है, जिसमें मस्सों को तरल नाइट्रोजन के माध्यम से जमा कर हटाया जाता है। इसके अलावा प्लांटर मस्सों के मामले में डॉक्टर मॉड्यूलेटर इन्जेक्शन लगा कर भी इलाज करते हैं। ओवर द काउंटर उपचार के रूप में सैलिसिलिक एसिड का उपयोग किया जाता है। यह मस्सों को धीरे-धीरे घुलाने में मदद करता है, जिससे मस्सा धीरे-धीरे छोटा हो सके। इसे गलत तरीके से लगाने से नुकसान हो सकता है। इसीलिए बिना डॉक्टर की सलाह के इसे नहीं लगाना चाहिए।
यदि मस्से अन्य तरीकों से ठीक नहीं हो रहे हैं तो इन्हें लेजर से जला कर भी हटाया जाता है। अगर मस्से बड़े और जटिल हैं तो डॉक्टर उन्हें सर्जरी के माध्यम से हटाने की सलाह भी दे सकते हैं। देखा गया है कि अगर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो जाए तो मस्से अपने आप भी खत्म हो जाते हैं। त्वचा को स्वस्थ रखने और संभावित स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए मस्सों का समय पर और सही तरीके से उपचार जरूरी है।
वॉर्ट का होम्योपैथी में भी उपचार संभव है, ऐसा कुछ लोग मानते हैं। थूजा नाम की दवा कुछ किस्म के वॉर्ट में कई बार प्रभावी साबित होती है। यदि सही डायग्नोस हो जाए तो वॉर्ट के उपचार में होम्योपैथ कामयाब हो सकता है।