Friday 03 March 2023 12:56 PM IST : By Indira Rathore

बढ़े हुए वेट को ले कर परेशान हैं - मुश्किल नहीं वजन घटाना

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क्या बात है, वजन काफी बढ़ा लिया है तुमने... आपसी बातचीत में अकसर बोला जानेवाला यह वाक्य कितना परेशान कर देनेवाला होता है, यह उस शख्स से पूछ कर देखिए, जो ओबेसिटी से वास्तव में जूझ रहा है। पहले माना जाता था कि अमीर देश इसकी चपेट में अधिक आते हैं, लेकिन अब निम्न-मध्य आयवाले देशों की शहरी आबादी तेजी से इसकी गिरफ्त में आ रही है। वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस और डब्लूएचओ की भविष्यवाणी है कि वर्ष 2030 तक 5 में से एक महिला और 7 में एक पुरुष का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 30 से अधिक हो सकता है। 25 तक के बीएमआई को सामान्य माना जाता है, 25-30 के बीच ओवरवेट और 30 से ऊपर बीएमआई का मतलब है ओबेसिटी। गौरतलब है कि मोटापा स्त्रियों को ज्यादा घेर रहा है। यही वजह है कि कुछ वर्ष पूर्व तक स्त्रियों को गाहेबगाहे होनेवाली बीमारियां जैसे हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, डाइबिटीज अब बहुत आम होती जा रही हैं। यहां तक कि बच्चों में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अगर समय रहते सचेत ना हुए, तो आगे समस्या गंभीर हो सकती है।

मोटापे से जुड़ी समस्याएं

एक स्टडी का मानना है कि अधिक वजनवाले लोगों के अवसादग्रस्त होने का खतरा 50 फीसदी अधिक होता है। ऐसे लोगों को शारीरिक समस्याओं के साथ ही कई तरह के मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर्स से भी जूझना पड़ता है। उन्हें रोजमर्रा के कार्यों को करने में अतिरिक्त प्रयास करना पड़ सकता है। खराब बॉडी इमेज के कारण ऐसे लोग बाहर निकलने या लोगों से मिलने-जुलने से कतराने लगते हैं। वे खुद को अलग-थलग कर लेते हैं, रोजमर्रा के कार्यों में उनकी रुचि घटने लगती है। बेचैनी, अलगाव और नकारात्मक चिंतन से स्लीपिंग या ईटिंग डिस्ऑर्डर जैसी समस्याएं घेरने लगती हैं। दूसरी ओर संतुलित वजन और फिटनेस से ना सिर्फ आत्मविश्वास मिलता है, बल्कि हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसे रोग भी दूर रहते हैं। सही वजन और कंप्लीट फिटनेस के लिए कड़ी मेहनत, मजबूत इच्छा शक्ति और अपार धैर्य की जरूरत होती है। एक-एक कदम सोच-समझ कर आगे बढ़ाना होता है।

क्यों जरूरी है हेल्दी वेट

रिसर्च और उदाहरण बताते हैं कि संतुलित वजन से मन और शरीर से जुड़ी आधी से अधिक परेशानियां दूर हो सकती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि सही वजन से डिप्रेशन के मामले आधे हो सकते हैं, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया के मामले 90 फीसदी तक, अस्थमा 60 प्रतिशत तक, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से होनेवाला खतरा 80 फीसदी तक, हाइपरटेंशन 50-90 फीसदी तक, डीजेनरेटिव जॉइंट डिजीज 70 फीसदी तक, पीसीओएस के मामले 100 प्रतिशत तक, टाइप टू डाइबिटीज 80 प्रतिशत तक और माइग्रेन के मामले 50 प्रतिशत तक कम हो सकते हैं। सही वजन से जीवन की गुणवत्ता में 95 फीसदी तक इजाफा हो सकता है। बहुत सी और भी बातें इसमें शामिल हैं। आत्मविश्वास बढ़ता है, बॉडी शेमिंग की भावना कम होती है, अपने प्रति व्यक्ति बेहतर महसूस करता है और सकारात्मक सोच में वृद्धि होती है। यहां तक कि शरीर से अगर एक किलो भी कम होता है, तो व्यक्ति को इससे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

ठान लें तो मंजिल दूर नहीं

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि वजन कम करना जरूरी क्यों है। पुराने या फैशनेबल कपड़ों में फिट आना है, लोगों से तारीफ पानी है, आत्मविश्वास लौटाना है, अपनी मिरर इमेज ठीक करनी है, सुंदरता के कथित मापदंडों पर खरा उतरना है, घर-परिवार-दोस्तों के बीच स्लिम-ट्रिम कहलाने की ख्वाहिश है... यह लिस्ट बहुत लंबी हो सकती है, लेकिन जरा ठहरिए, इनमें से कोई भी एक या अधिक वजह फिटनेस की यात्रा को शुरू करने के लिए जरूरी नहीं। संतुलित वजन की जरूरत केवल इसलिए है, ताकि स्वस्थ-फिट मन व शरीर हासिल किया जा सके, अपनी इम्युनिटी को मजबूत किया जा सके, लाइफस्टाइल डिजीज शरीर पर हमला ना कर सकें और एक सक्रिय-सकारात्मक जीवन के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। इस लक्ष्य के लिए मेहनत कर सकें, तो बाकी समस्याएं खुद दूर हो जाएंगी।

फिटनेस की इस यात्रा में कोई शॉर्टकट नहीं है। कदम दर कदम आगे बढ़ाना है। यह व्यक्ति की मानसिक-शारीरिक स्थिति, बीमारी, प्रोफेशन, उम्र, जीवनशैली जैसी कई बातों पर निर्भर करता है कि वह अपने लक्ष्य की ओर कैसे आगे बढ़ेगा। किसी को दो महीने में अपेक्षित नतीजे मिल सकते हैं, तो किसी को एक साल भी लग सकता है। फिटनेस की इस यात्रा में कई उलझे मोड़ मिलेंगे। किसी मोड़ पर दुखी होंगे, तो कहीं हैरानी होगी, कहीं विफलता हाथ लगेगी, तो कहीं खुद पर गर्व करने को दिल करेगा, कभी ऐसी थकान होगी कि हिम्मत जवाब देने लगेगी, तो कभी मोटिवेशन भी मिलेगा। शर्त यही है कि थकें बेशक पर हारें नहीं, तभी मंजिल तक पहुंचेंगे।

ऐसे भी लोग हैं, जो कभी अधिक वजन, खराब बॉडी इमेज या लाइफस्टाइल डिजीज से परेशान थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत की और असंभव लगते टारगेट को हासिल कर दिखाया। मिलें दो महिलाओं से-

शिल्पा मेहता, चार्टर्ड अकाउंटेंट, जोधपुर, राजस्थान

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36 वर्षीय शिल्पा सीए हैं। उनके 2 बच्चे हैं। जॉइंट फैमिली है, जिसमें लगभग 13-14 लोग हैं। यह एक ट्रेडिशनल फैमिली है, दो बच्चों सहित भरे-पूरे घर की जिम्मेदारी और व्यस्त प्रोफेशन, हर मोर्चे पर डट कर काम करना पड़ता है शिल्पा को।

प्रेगनेंसी के दौरान बढ़ा वजन

मेरी शादी को अब 12 साल हो गए हैं। पहले बच्चे के जन्म से पहले मेरा वजन 55 किलोग्राम था। डिलीवरी के बाद धीरे-धीरे यह 85 किलो तक पहुंच गया। मुझे लगा कि बच्चा छोटा है, कुछ समय बाद वजन घट जाएगा, मगर ऐसा हुआ नहीं। मैं वॉक करती थी, घर के काम करती थी। रात का खाना छोड़ा, चावल, चीनी, गेहूं और भी बहुत कुछ छोड़ दिया। कार्ब छोड़ने से मेरा एनर्जी लेवल कम हो गया। मैं बुरी तरह थकने लगी, चलते हुए मेरी सांस फूलती थी, मगर वजन में खास फर्क नहीं पड़ा।

दोस्त से मिली प्रेरणा

एक दिन मैंने अपनी दोस्त की इंस्टा स्टोरी में उसका ट्रांसफॉर्मेशन देखा। उसने घर में ही वर्कआउट करते हुए वजन घटाया था। सितंबर 2020 में मैंने जिम जॉइन किया। टार्गेट के हिसाब से वर्कआउट किया। बीच-बीच में लॉकडाउन के कारण जिम छोड़ना पड़ता था और मैं घर पर ही वर्कआउट करती थी। 17 महीने में मैंने लगभग 32 किलो वजन कम किया। फिलहाल मेरा वजन 53 किलो है। मैंने डाइट और न्यूट्रीशन पर ढेर सारी किताबें पढ़ीं। मेरी डाइट ऐसी है कि इससे मुझे भरपूर एनर्जी मिलती है और कोई टूट-फूट भी नहीं होती।

भ्रामक धारणाओं को छोड़ें

लोगों में भ्रम है कि कार्ब, फैट्स, शुगर छोड़ देंगे, तो वजन कम हो जाएगा। डिनर स्किप करें, चावल-गेहूं छोड़ें, ऐसी कई धारणाएं लोगों के दिमाग पर हावी रहती हैं। लेकिन जरूरत है सस्टेनेबल वजन घटाने की। खाना तो लंबे समय तक नहीं छोड़ा जा सकता, इस तरह से कम किया गया वजन जल्दी ही बढ़ जाता है। इसलिए अपनी उम्र और वजन के हिसाब से जरूरी प्रोटीनयुक्त भोजन करना आवश्यक है। लोग प्रोटीन लेने से भी डरते हैं कि कहीं इससे किडनी पर असर ना पड़े। प्रोटीन मसल्स का खाना है। अगर आप प्रति किलो एक ग्राम प्रोटीन नहीं लेंगे, तो वजन कम नहीं होगा और ना ही आप स्वस्थ रह सकेंगे। आज कई टूल्स हैं, जिनसे वजन को संतुलित रखने में मदद मिल सकती है। जरूरी नहीं कि जिम में 2-3 घंटे पसीना बहाया जाए, 30 मिनट वर्कआउट से भी अच्छे नतीजे मिल सकते हैं। 20-30 मिनट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें, थोड़ा कार्डियो करें। मसल्स की स्ट्रेंथ बढ़ानी जरूरी है। मिक्स वर्कआउट करना हमेशा अच्छा होता है।

सक्रिय जीवनशैली जरूरी

मैं संयुक्त परिवार में रहती हूं। पत्नी, बहू, मां जैसे हर किरदार निभाती हूं। मैं सुबह 5 बजे तक उठ जाती हूं। लॉकडाउन खुलने के बाद जिम जाना शुरू किया है। वहां एक घंटे वेट और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करती हूं। 10000 स्टेप्स चलती हूं या ट्रेडमिल करती हूं। साथ में कुछ देर ब्रीदिंग एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग करती हूं। फैट लूज कर चुकी हूं, अब मसल्स को मजबूत कर रही हूं। वर्कआउट से पहले एक कप ब्लैक कॉफी लेती हूं, वर्कआउट के बाद ओट्स, स्मूदी-ड्राई फ्रूट्स के साथ और व्हे प्रोटीन लेती हूं। लंच में दाल, छोले या राजमा में से कोई एक चीज, हरी सब्जी और 3-4 रोटी लेती हूं। शाम को फ्रूट्स और डिनर में 100 ग्राम पनीर, सब्जी, राइस लेती हूं। मैं सब कुछ खाती हूं, केवल अपने कैलोरी इनटेक का ध्यान रखती हूं। मुझे फिलहाल 3000 कैलोरी लेनी हैं, क्योंकि मेरी लाइफस्टाइल बहुत एक्टिव है। मुझे अब अपने शरीर और अपने खाने के बारे में पता है, इसलिए खाने से मेरी दोस्ती भी बेहतर हो चुकी है।

सरीना पाणी, प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर, लाइफस्टाइल कोच, न्यूट्रिशनिस्ट, पुणे

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मूल रूप से उड़ीसा की 32 वर्षीय सरीना पाणी 3-4 वर्ष पहले तक एक आम कैरिअर वुमन थीं। पति-पत्नी दोनों आईटी सेक्टर में कार्यरत थे। व्यस्त जीवनशैली, वीकेंड पर दोस्तों के साथ पार्टियां, काम से थक कर घर लौटते, तो कुछ भी हल्का-फुल्का बना लेते या खाना ऑर्डर करते। जीवन इसी ढर्रे पर चल रहा था। खुद बनाने-खाने का वक्त कम ही था।

जीवन का यू-टर्न

यह 2019 की बात है, जब सरीना के पति को खराब जीवनशैली और खानपान के कारण आर्टरी ब्लॉकेज की समस्या से जूझना पड़ा। सरीना बताती हैं, ‘‘हम एक ही कंपनी में काम करते थे। हमें मालूम था कि हमारी जीवनशैली बहुत खराब है। लेकिन मैं कुछ कर नहीं पा रही थी। फिर एकाएक पति की तबीयत बिगड़ी। वे 7 दिन आईसीयू में थे और इन 7 दिनों ने जीवन के प्रति मेरा नजरिया बदल दिया। पति की सेहत कुछ सुधरी, तो मैंने निर्णय लिया कि मन और शरीर को हेल्दी रखने के लिए अब कुछ करना होगा। मैंने जुंबा सर्टिफिकेशन कोर्स किया था। दोबारा प्रैक्टिस शुरू की, पुशअप्स किए। फिर जिम जॉइन किया। वहां मैं पावर लिफ्टिंग भी करती थी। कोविड के दौरान जब जिम बंद हुए, तो मैंने धीरे-धीरे अपने घर में जिम सेटअप किया। मैं अपनी सोसाइटी के लोगों को जुंबा सिखाने लगी। धीरे-धीरे मैं एक बेहतर स्थिति में आयी, तो मैंने जॉब छोड़ दी।’’

डस्की-चब्बी लड़की बनी विनर

सरीना के शब्दों में, ‘‘मैं बचपन से सांवली और थोड़े हेवी वजनवाली लड़की रही। खराब बॉडी इमेज के कारण आत्मविश्वास भी कम था। मैं एक ऐसे समाज से आती थी, जहां लड़की के लिए गोरा और दुबला होना जरूरी था। वैसे भी मैं लड़कियों के कॉलेज में पढ़ती थी, तो कई तरह के कमेंट्स और सुझाव जब-तब मिलते ही रहते थे। कह सकती हूं कि अपने वजन और सांवली रंगत के कारण बहुत तरह की बातें सुनती रहती थी। फिर शादी हुई, तो व्यस्त दिनचर्या में अलग तरह की समस्याएं शुरू हो गयीं। पति की एकाएक बिगड़ी सेहत ने मुझे सतर्क कर दिया। यह एक चेतावनी थी कि अब ना संभले, तो स्थितियां बहुत बिगड़ जाएंगी। मैंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म फिटर से मदद ली। जिम जॉइन किया, वहां स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की। इससे मेरी बॉडी में कई पॉजिटिव बदलाव हुए। दिसंबर 2020 में मेरे फिटनेस कोच ने कहा कि मैं चाहूं, तो इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ बॉडी बिल्डर्स प्रो में हिस्सा ले सकती हूं। बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेना मेरे लिए ख्वाब था, मगर यह ख्वाब हकीकत बन गया और मैं इस खिताब को जीती। मैंने जनवरी 2021 में फिट फैक्टर फीमेल फिटनेस मॉडल और बीच बॉडी फीमेल प्रतियोगिता भी जीती।

मजबूत इच्छा शक्ति है जरूरी

अपने पति के लिए भी मैंने रुटीन सेट किया है। वे बहुत हेवी वर्कआउट नहीं कर सकते, लिहाजा उनकी डाइट और न्यूट्रीशन में बदलाव करना पड़ा है। अब उनका वजन संतुलित है। वे नॉर्मल वॉक करते हैं। मैंने माता-पिता की डाइट में भी सुधार किया। डाइट चेंज करने से सबकी सेहत पर सकारात्मक असर पड़ा है। मुझे लगता है कि हर कोई वजन को संतुलित रख सकता है। इसके लिए सक्रिय जीवनशैली और सही डाइट चाहिए। बहुत से लोगों को यही मालूम नहीं है कि वे अनहेल्दी खा रहे हैं। केवल जिम जाने से वजन कम नहीं हो जाता। और भी कई बातें हैं, जिनका ध्यान रखना चाहिए। जैसे सही समय पर घर का बना ताजा खाना खाएं। भरपूर पानी पिएं। घर से लंच पैक करके ले जाएं। नियमित वॉक और योग करें। हर एक घंटे के बाद पांच मिनट का टाइमर सेट करें और सीट से उठ कर टहल लें। फोन पर बात करते हुए वॉक करें।