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किसी महिला को खुश करना हो तो उसे ज्वेलरी गिफ्ट करें और वह ज्वेलरी डायमंड की हो तो फिर कहने ही क्या ! लेकिन सोने-चांदी की बढ़ती डिमांड के कारण हर किसी के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल होता है। यों तो डायमंड के सस्ते विकल्प जैसे अमेरिकन डायमंड या जरकन हमेशा से बाजार में मौजूद रहे हैं, लेकिन कोई भी जानकार व्यक्ति इनमें आसानी से अंतर बता सकता है। फिर हीरा तो हीरा है ही। इसलिए आजकल बाजार में लैब ग्रोन डायमंड का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जी हां, है असली हीरा, लेकिन धरती से नहीं मिला, बल्कि लेबोरेटरी में बनाया गया है। जैसे कोयला सालों तक केमिकल परिवर्तनाें से गुजर कर बेशकीमती हीरे मे तब्दील होता है, वैसे ही लैब में कार्बन एटम्स में केमिकल परिवर्तन करके उसे हीरा बनाया जाता है। पहले इसे बेक्ड डायमंड कहा गया था। लेकिन अब लैब ग्रोन डायमंड के नाम से यह मशहूर हो रहा है। पारखी से पारखी जौहरी भी असली हीरे और लैब में बनाए गए हीरे में अंतर नहीं बता सकता। इसकी पहचान डायमंड की ग्रेडिंग रिपोर्ट से की जा सकती है। इसके अलावा दूसरा अंतर इनकी कीमतों का है। लैब ग्रोन डायमंड की कीमत असली हीरे के मुकाबले 40-50 प्रतिशत तक कम होती है। हालांकि इसे ले कर अभी भी लोगों के मन में ज्यादा प्यार नहीं पनप पाया है। ना ही कस्टमर्स और ना ही बड़े ब्रांड्स, लैब ग्रोन डायमंड को अपने ज्वेलरी कलेक्शन का हिस्सा बना रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि ज्वेलरी को आज भी समाज का बहुत बड़ा वर्ग इन्वेस्टमेंट और भविष्य की पूंजी से जोड़ कर देखता है।

सालों तक हीरे को लोग इसलिए नकारते रहे, क्योंकि उनका मानना था कि इसकी कोई रीसेल वैल्यू नहीं होती। ऐसे में अगर कीमतों में आसमान छूते सोने में लैब ग्रोन हीरा जड़ दिया जाए तो लोगों को यह पैसे की बर्बादी लगती है। इस बारे में जेन डायमंड, इंडिया के मैनेजिंग डाइरेक्टर नील सोनावाला का कहना है, ‘‘भारतीय बाजार में नेचुरल डायमंड के प्रति लोगों का क्रेज और प्यार कम नहीं हुआ है। आज भी लोग जब डायमंड ज्वेलरी खरीदते हैं तो वे नेचुरल डायमंड की ही डिमांड करते हैं, क्योंकि हमारे यहां गहने परंपरा और रिश्तों का प्रतीक होते हैं। लैब ग्रोन डायमंड वे लोग लेना चाहते हैं, जो कम कीमत में बेहतर गहने खरीदना चाहते हैं, लेकिन फिर भी ज्यादा लोग, जिनमें बड़ी संख्या में युवा शामिल हैं, नेचुरल डायमंड ही खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। हां, वे नए और आकर्षक डिजाइंस की डिमांड करते हैं।’’

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साफ है, युवाओं के लाखों के पैकेज ने गहनों के प्रति उनके प्रेम को कम नहीं होने दिया है। त्योहारों और शादी-ब्याह के मौकों पर अपने स्लीक और आकर्षक डिजाइंस के कारण डायमंड उनकी पहली पसंद बना हुआ है। सोने की बढ़ती कीमतों के कारण जहां सरकार ने 9 ग्राम गोल्ड पर हालमार्क लगाने की अनुमति दी है, वहीं तनिष्क का मिया जैसा ब्रांड्स 9 ग्राम गोल्ड की पूरी मिनिमलिस्टिक रेंज बाजार में उतारने को तैयार है। फिर इसमें डायमंड नेचुरल ही रखा गया है।

इस बारे में टाइटन कंपनी लिमिटेड के ज्वेलरी डिवीजन के सीईओ अजय चावला का कहना है, ‘‘अगर सच कहें तो लैब ग्रोन डायमंड्स अभी शुरुआती चरण में हैं और मार्केट में इनकी भागीदारी 2 प्रतिशत से कम ही है। हालांकि धीरे-धीरे इस क्षेत्र में कई लोग अब आने लगे हैं, लेकिन ये वे लोग हैं, जिनकी अपनी लैब में ये हीरे बन रहे हैं। एक और अहम बात है कि इनकी कीमतों में लगातार गिरावट हो रही है। जहां एक साल पहले इनकी कीमत 60-70 हजार रुपए प्रति कैरेट थी, वहीं अब 25-30 हजार रुपए प्रति कैरेट है। फिलहाल की बात की जाए तो लैब ग्रोन डायमंड को एक फैशन एक्सेसरी की तरह बेचा जा रहा है, जिसकी कोई रीसेल वैल्यू नहीं है।’’

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कहना गलत ना होगा कि लैब ग्रोन डायमंड का सफर अभी शुरू ही हुआ है और इसके प्रति लोगों का भरोसा कायम होने में थोड़ा समय और लगेगा। फिलहाल लोगों का असली हीरे के प्रति प्यार बना हुआ है सदा के लिए!

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